राउत बोले- उद्धव और राज साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे:BMC, नासिक समेत 4 शहरों के नगर निगम चुनाव में मिलकर प्रत्याशी उतारेंगे

महाराष्ट्र में मराठी भाषा के मुद्दे पर पिछले महीने एक मंच पर आए उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे गठबंधन करने जा रहे हैं। कुछ महीनों बाद होने वाले स्थानीय और नगर निकाय चुनाव में दोनों पार्टियां एक साथ चुनाव लड़ेंगी। नासिक में शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने कहा कि मुंबई महानगरपालिका (BMC) का चुनाव तो हम साथ लड़ेंगे ही, इसके अलावा ठाणे , कल्याण-डोंबिवली, नासिक समेत कई अन्य शहरों की महापालिका चुनाव में भी गठबंधन की ताकत दिखेगी। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, 'मुंबई महानगरपालिका चुनाव दोनों भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे मिलकर जीतेंगे। उद्धव और राज की ताकत मराठी लोगों की एकता की ताकत है। अब कोई भी अघोरी शक्ति मराठी मानुष की इस वज्रमूठ को तोड़ नहीं सकेगी।' 20 साल बाद ठाकरे परिवार एक साथ आया था महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 'मराठी एकता' पर 5 जुलाई को मुंबई के वर्ली डोम में रैली की थी। इस मौके पर दोनों की तरफ से आगे साथ मिलकर राजनीति करने के संकेत दिए गए। राज ठाकरे ने कहा था, 'मैंने अपने इंटरव्यू में कहा था कि झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है। 20 साल बाद हम एक मंच पर आए हैं आपको दिख रहे हैं। हमारे लिए सिर्फ महाराष्ट्र और मराठी एजेंडा है, कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है।' वहीं, उद्धव ने कहा था-​​​​​​, 'हमारे बीच की दूरियां जो मराठी ने दूर कीं सभी को अच्छी लग रही हैं। मेरी नजर में, हमारा एक साथ आना और यह मंच साझा करना, हमारे भाषण से कहीं ज्यादा अहम है।' पूरी खबर पढ़ें.. अब जानिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच फूट कैसे पड़ी थी 1989 से राजनीति में सक्रिय हैं राज ठाकरे 1989 में राज ठाकरे 21 साल की उम्र में शिवसेना की स्टूडेंट विंग, भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष थे। राज इतने सक्रिय थे कि 1989 से लेकर 1995 तक 6 साल के भीतर उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने के अनगिनत दौरे कर डाले। 1993 तक उन्होंने लाखों की तादाद में युवा अपने और शिवसेना के साथ जोड़ लिए। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे राज्य में शिवसेना का तगड़ा जमीनी नेटवर्क खड़ा हो गया। 2005 में शिवसेना पर उद्धव हावी होने लगे 2002 तक राज ठाकरे और उद्धव शिवसेना को संभाल रहे थे। 2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। बालासाहेब ठाकरे ने राज से कहा- 'उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाओ। राज ने पूछा, ‘मेरा और मेरे लोगों का क्या होगा।’ 2005 तक उद्धव पार्टी पर हावी होने लगे थे। पार्टी के हर फैसले में उनका असर दिखने लगा था। ये बात राज ठाकरे को अच्छी नहीं लगी। राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी, MNS का ऐलान किया 27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे के घर के बाहर हजारों समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हुई। यहां राज ने समर्थकों से कहा, 'मेरा झगड़ा मेरे विट्ठल (भगवान विठोबा) के साथ नहीं है, बल्कि उसके आसपास के पुजारियों के साथ है। कुछ लोग हैं, जो राजनीति की ABC को नहीं समझते हैं। इसलिए मैं शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। बालासाहेब ठाकरे मेरे भगवान थे, हैं और रहेंगे।' 9 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ यानी मनसे का ऐलान कर दिया। राज ने मनसे को ‘मराठी मानुस की पार्टी’ बताया और कहा- यही पार्टी महाराष्ट्र पर राज करेगी।

Aug 16, 2025 - 00:33
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राउत बोले- उद्धव और राज साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे:BMC, नासिक समेत 4 शहरों के नगर निगम चुनाव में मिलकर प्रत्याशी उतारेंगे
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राउत बोले- उद्धव और राज साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे: BMC, नासिक समेत 4 शहरों के नगर निगम चुनाव में मिलकर प्रत्याशी उतारेंगे

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राज्य की राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक नई खबर सामने आई है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच एक खास बैठक में यह घोषणा की गई है कि वे आगामी नगर निगम चुनावों में मिलकर चुनाव लड़ेंगे। खासकर, मुंबई महानगरपालिका (BMC) और नासिक समेत चार शहरों के नगर निगम चुनाव में वे एक-दूसरे के साथ प्रत्याशी उतारेंगे। इस निर्णय के पीछे की वजह वहां के मराठी लोगों की एकता के मुद्दे को सशक्त करना है।

राजनीतिक पुनर्मिलन और एकता

शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने इस संबंध में कहा है कि “हम साथ में चुनाव लड़ेंगे और इन चुनावों में हमारी ताकत दिखाई देगी।” यह दो दशकों के बाद ठाकरे परिवार का एक साथ आना है, जो भाषा और राजनीति के मुद्दों को लेकर सबका ध्यान आकर्षित कर रहा है। राज ठाकरे ने कहा, “झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है,” और यह दोनों नेताओं के बीच की दूरियों को दूर करने का एक प्रयास है।

स्थानीय चुनावों की रणनीति

उद्धव और राज ठाकरे का यह राजनीतिक गठबंधन केवल BMC तक सीमित नहीं रहेगा। ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, और नासिक जैसे अन्य शहरों के नगर निगम चुनावों में भी यह गठबंधन सक्रिय रहेगा। संजय राउत का कहना है, “उद्धव और राज की ताकत मराठी लोगों की एकता की ताकत है, और अब कोई भी अघोरी शक्ति इस एकता को तोड़ नहीं सकेगी।”

गठबंधन की ऐतिहासिकता

इस गठबंधन का महत्व केवल चुनावों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह मराठी सांस्कृतिक एकता को भी मजबूती देने की कोशिश है। पिछले एक साल में, दोनों नेताओं के बीच की दूरियां कम होने लगी हैं। 5 जुलाई को आयोजित एक रैली में स्वर्णिम विचारों का आदान-प्रदान हुआ, जहां उद्धव ठाकरे ने कहा था कि “हमारा एक साथ आना और यह मंच साझा करना, हमारे भाषण से कहीं ज्यादा अहम है।”

ठाकरे परिवार का इतिहास

ठाकरे परिवार की राजनीति में 1989 से अब तक एक चुनौतीपूर्ण अध्याय रहा है। राज ठाकरे ने 2006 में अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ (MNS) की स्थापना के बाद से ही अपने आप को एक स्वतंत्र नेतृत्व के रूप में स्थापित किया। लेकिन हाल की घटनाओं ने दर्शाया है कि दोनों नेताओं के बीच पूर्व की भांति विवाद अब हल हो चुके हैं।

आगे का रास्ता

जैसा कि महाराष्ट्र में चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस गठबंधन की सही दिशा और सफलता मुख्य रूप से चुनावी रणनीति, स्थानीय मुद्दों की समझ और जनता के समर्थन पर निर्भर करेगी। साथ ही, अगर दोनों खुद को सही ढंग से प्रस्तुत करते हैं, तो उनकी एकता निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण शक्ति बन सकती है।

कुल मिलाकर, उद्धव और राज ठाकरे का सामूहिक प्रयास न सिर्फ एक चुनावी समीकरण बनाता है, बल्कि यह राज्य के भीतर एक नई राजनीतिक संस्कृति को भी जन्म दे सकता है। दीर्घकालिक फायदे के लिए यह जरूरी होगा कि ये नेता न केवल चुनावी मुद्दों, बल्कि व्यापक मुद्दों पर भी मिलकर काम करें।

टीम avpganga

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