राष्ट्रीय लोक अदालत का फैसला नही मान रहा बैंक, यूनियन बैंक के प्रबन्धक पर आपराघिक कार्यवाही के निर्देश
बुजुर्ग को वर्षों से चक्कर कटा रहे अधिकारी; डीएम का चढा पारा; ऐसे कार्मिकों पर जल्द गिर सकती है बड़ी गाज; डीएम ने तलब की पत्रावली 4 घंटे चला… The post राष्ट्रीय लोक अदालत का फैसला नही मान रहा बैंक, यूनियन बैंक के प्रबन्धक पर आपराघिक कार्यवाही के निर्देश first appeared on .

राष्ट्रीय लोक अदालत का फैसला नही मान रहा बैंक, यूनियन बैंक के प्रबन्धक पर आपराघिक कार्यवाही के निर्देश
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तारीख: 15 सितंबर, 2025
देहरादून: हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में एक बुजुर्ग ग्राहक के मामले में निर्णय लिया गया था, जिसके अनुसार यूनियन बैंक को तत्काल उनकी सभी शिकायतों का समाधान करना था। बावजूद इसके, बैंक द्वारा अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है। इस विषय में जिलाधिकारी, सविन बंसल ने यूनियन बैंक के प्रबन्धक पर आपराधिक कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
बैंक का लापरवाह रवैया
बुजुर्ग ग्राहक, लक्ष्मण सिंह ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 50 लाख रुपये का लोन लिया था और अब तक 55.93 लाख रुपये चुका चुके हैं। इसके बाद भी बैंक ने उन्हें एनओसी जारी नहीं किया है। इस समस्या के समक्ष आने पर जिलाधिकारी ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया। उन्होंने महसूस किया कि बैंक के अधिकारियों द्वारा जानबूझकर ग्राहकों को मानसिक दबाव में रखा जा रहा है।
डीएम का कड़ा संदेश
जिलाधिकारी ने चेतावनी दी है कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जो अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब कोई और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। डीएम ने एसडीएम मुख्यालय को पत्रावली तलब करने का निर्देश दिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
जनता दर्शन में दर्ज समस्याएं
हाल ही में आयोजित जनता दर्शन कार्यक्रम में 194 लोगों ने अपनी समस्याएं प्रस्तुत कीं। इनमें भूमि विवाद, कब्जा, अतिक्रमण, घरेलू विवाद, पेयजल, आर्थिक सहायता, शिक्षा, नगर निगम और पुलिस से जुड़ी समस्याएं प्रमुख थीं। जिलाधिकारी ने इस दौरान अधिकतर समस्याओं का मौके पर ही समाधान किया।
आर्थिक सहायता का आश्वासन
इस कार्यक्रम में एक 78 वर्षीय बुजुर्ग दंपत्ति ने आर्थिक सहायता की गुहार लगाई। जिलाधिकारी ने उनकी स्थिति को गंभीरता से लेते हुए प्राथमिकता पर मामले का निराकरण करने का निर्देश दिया। ऐसे कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन लोगों की समस्याओं को गंभीरता से ले रहा है।
निष्कर्ष
यूनियन बैंक के प्रबन्धक पर आपराधिक कार्रवाई के निर्देश से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन अब न्यायपूर्ण और तत्काल निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध है। वहीं, बैंक के सख्त रवैये ने न केवल ग्राहकों की समस्याओं को बढ़ाया है बल्कि न्याय की प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिन्ह उठाए हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस निर्णय के बाद अन्य बैंकों को भी सीख मिलेगी और वे अदालत के आदेशों के प्रति सही तरह से जिम्मेदारी निभाएंगे।
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