सर! बेटा मुझे घर से निकाल रहा है’, बेटे की प्रताड़ना से परेशान मां की गुहार
“सर! मेरा बेटा मुझे और मेरी बेटी को घर से निकाल रहा है। मेरी हालत बहुत खराब है। मैं अपनी बेटी के साथ एक जीर्ण-शीर्ण (खस्ताहाल) मकान में रह रही हूं। आय का कोई साधन नहीं है और बीमार भी रहती हैं।” यह शिकायत चुक्खूवाला की रहने वाली बुजुर्ग महिला सुशीला देवी ने जनता दर्शन में डीएम से की।

सर! बेटा मुझे घर से निकाल रहा है’, बेटे की प्रताड़ना से परेशान मां की गुहार
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“सर! मेरा बेटा मुझे और मेरी बेटी को घर से निकाल रहा है। मेरी हालत बहुत खराब है। मैं अपनी बेटी के साथ एक जीर्ण-शीर्ण (खस्ताहाल) मकान में रह रही हूं। आय का कोई साधन नहीं है और बीमार भी रहती हूं।” यह शिकायत चुक्खूवाला की निवासी बुजुर्ग महिला सुशीला देवी ने जनता दर्शन में डीएम से की। इस नृशंसता का सामना कर रही सुशीला देवी की गुहार ने सभी को हैरान कर दिया।
एक अस्तित्व की लड़ाई
सुशीला देवी की कहानी न केवल उनके दर्द को दर्शाती है, बल्कि यह समाज में परिवारिक मुद्दों और पारिवारिक हिंसा के गंभीर पहलुओं को भी उजागर करती है। बुजुर्ग महिलाओं का इस तरह प्रताड़ना का शिकार होना यह दिखाता है कि परिवार के भीतर सुरक्षा और प्यार की भावना समय-समय पर कितनी कमजोर हो सकती है। सुशीला देवी ने कहा कि वह अपने बेटे की मानसिकता को समझने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उसकी हरकतें उनके लिए अत्यंत दुखद हैं।
समाज और कानून की भूमिका
इस मामले में स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर भी ध्यान देना जरूरी है। कई बार बुजुर्गों के मामले में सही कार्रवाई नहीं होती, जिसके कारण वे और भी ज्यादा असहाय महसूस करते हैं। ऐसे मामलों में法律援助 और समाज सेवा संगठनों का योगदान न काफी महत्वपूर्ण है। डीएम को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और सुशीला देवी की मदद की दिशा में एक ठोस कदम उठाना चाहिए।
क्यों जरूरी है संवेदनशीलता
समाज में ऐसे मामलों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने की आवश्यकता है। हमें यह समझना चाहिए कि परिवार का हर सदस्य, चाहे वो कोई भी हो, उसकी सुरक्षा और कल्याण सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है। वृद्धावस्था में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उन्हें सम्मान और प्यार दें, न कि उन्हें प्रताड़ित करें।
क्या किया जा सकता है?
यदि आप या आपके आस-पास किसी को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो तुरंत सहायता मांगना आवश्यक है। कानूनी सहायता के लिए नजदीकी समाज सेवा संगठनों से संपर्क करें, जो इस प्रकार की समस्याओं को हल करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, परिवार के सदस्यों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करना भी महत्वपूर्ण है, ताकि हितों की रक्षा की जा सके।
निष्कर्ष
सुशीला देवी जैसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि परिवार के भीतर प्यार और सुरक्षा की भावना महत्वपूर्ण है। हर एक सदस्य के लिए यह जरूरी है कि वे एक-दूसरे का ध्यान रखें और किसी भी प्रकार की हिंसा या प्रताड़ना को सहन न करें। इस मुद्दे को उठाना केवल सुशीला देवी के लिए नहीं, बल्कि समाज के हर एक वृद्ध के लिए एक आवाज उठाना है।
समाज में एक बदलाव लाने के लिए आवश्यक है कि हम सब मिलकर आवाज उठाएं और परिवार की सुरक्षा और सम्मान का ख्याल रखें।
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