17 अक्तूबर को बंद होंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, पूजा अर्चना के बाद प्रस्थान करेगी डोली

गोपेश्वर : चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 17 अक्तूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद छह माह तक भगवान रुद्रनाथ के दर्शन शीतकालीन गद्दीस्थल गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में होंगे। जहां शीतकालीन पूजा होंगी। पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि 17 को सुबह ब्रह्ममुहुर्त में पूजा-अर्चना […] The post 17 अक्तूबर को बंद होंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, पूजा अर्चना के बाद प्रस्थान करेगी डोली appeared first on Dainik Uttarakhand.

Sep 29, 2025 - 09:33
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17 अक्तूबर को बंद होंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, पूजा अर्चना के बाद प्रस्थान करेगी डोली
17 अक्तूबर को बंद होंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, पूजा अर्चना के बाद प्रस्थान करेगी डोली

17 अक्तूबर को बंद होंगे रुद्रनाथ मंदिर के कपाट, पूजा अर्चना के बाद प्रस्थान करेगी डोली

गोपेश्वर: चतुर्थ केदार रुद्रनाथ मंदिर के कपाट 17 अक्तूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। इसके बाद भगवान रुद्रनाथ के दर्शन सिर्फ शीतकालीन गद्दीस्थल गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में ही होंगे, जहाँ छः महीने तक शीतकालीन पूजा आयोजित की जाएगी। रुद्रनाथ मंदिर, जो हिमालय की पहाड़ियों में बसा है, हर साल भक्तों का ध्यान आकर्षित करता है।

प्रस्तावित कार्यक्रम

पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि 17 अक्तूबर को सुबह ब्रह्ममुहुर्त में विशेष पूजा-अर्चना होगी। इसके बाद रुद्रनाथ के चल विग्रह की डोली गोपीनाथ मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। यह एक धार्मिक पर्व की तरह मनाया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

इस वर्ष की तीर्थयात्रा

इस वर्ष, बारिश के कारण रुद्रनाथ मंदिर की तीर्थयात्रा प्रभावित रही है। हालाँकि, केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग की ओर से हक-हकूकधारी गांवों में इको पर्यटन समिति (ईडीसी) का गठन किया गया है, जिससे तीर्थयात्रियों के लिए बुग्याल क्षेत्रों में रहने और खाने की बेहतर सुविधाएं प्रदान की गई हैं। ये प्रयास तीर्थयात्रियों के अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए किए गए हैं।

महत्व और धार्मिक मान्यता

रुद्रनाथ मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है और यहाँ की विशेष पूजा और धार्मिक अनुष्ठान देशभर के भक्तों को आकर्षित करते हैं। यहाँ भगवान शिव की पूजा की जाती है और इसे एक प्रमुख कैथोलिक स्थल माना जाता है। जब मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तो यह एक गहरी धार्मिक भावना का प्रतीक बन जाता है, जिसमें भक्त अपनी आस्था और संकल्प के साथ यहाँ आते हैं।

निष्कर्ष

17 अक्तूबर को रुद्रनाथ मंदिर के कपाट बंद होने से संबंधित यह खबर पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। भक्तों को इस समय अपनी यात्रा योजनाएँ बनानी चाहिए ताकि वे भगवान रुद्रनाथ के अनुभव का लाभ उठा सकें। इन धार्मिक समारोहों में भाग लेना न केवल आध्यात्मिक लाभ देने वाला है, बल्कि यह सांस्कृतिक उत्सव का हिस्सा भी है।

भविष्य में इस तरह की धार्मिक गतिविधियों और कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट avpganga पर जाएँ।

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