मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ भारत की सख्त कार्रवाई की इंटरनेशनल लेवल पर सराहना हुई है। वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने अपनी रिपोर्ट में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के काम को एक प्रभावशाली वैश्विक मॉडल बताया है। रिपोर्ट में FATF ने कहा कि भारत की कानूनी व्यवस्था और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम तंत्र मजबूत और भरोसेमंद है। यह प्रणाली अपराध से जुड़ी संपत्ति को जब्त करने और पीड़ितों को राहत दिलाने के मामले में अन्य देशों के लिए मिसाल बन गई है। रिपोर्ट में महाराष्ट्र के एक मामले का जिक्र है, जिसमें अवैध कमाई से खरीदी गई संपत्तियों को जब्त कर पीड़ितों को लौटाया गया। FATF ने कहा कि भारत ने वित्तीय अपराधों से जब्त संपत्तियों को समाजहित में उपयोग करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। संस्था के मुताबिक, भारत का यह मॉडल अन्य देशों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकता है। FATF ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) और भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम (2018) को संपत्ति वसूली और प्रबंधन का एक प्रभावी और व्यापक मॉडल बताया है। FATF रिपोर्ट में जांच के कई उदाहरण शामिल रिपोर्ट में ED के कई प्रमुख मामलों का उल्लेख है, जिनमें करीब 17520 करोड़ रुपए के रोज वैली पोंजी घोटाले में पीड़ितों को संपत्ति लौटाना और भारत-अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई में 268 बिटकॉइन (करीब 130 करोड़ रुपए मूल्य) और 10 लाख डॉलर की संपत्तियों की जब्ती शामिल है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश पुलिस सीआईडी के साथ मिलकर 6,000 करोड़ रुपए की संपत्तियों की बहाली, और PMLA के तहत 17.77 अरब रुपए की अचल संपत्ति जब्त करने जैसे उदाहरण भी रिपोर्ट में दर्ज हैं। FATF ने भारत के पीड़ित-केंद्रित संपत्ति पुनर्वसूली मॉडल और तकनीक, वित्तीय डेटा विश्लेषण व एजेंसियों के बेहतर तालमेल की सराहना की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पारदर्शिता, जवाबदेही और पीड़ितों के हितों को प्राथमिकता देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एक नया वैश्विक मानक स्थापित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कार्यशैली पर नाराजगी जताई थी एक तरफ FATF ने ईडी की कार्रवाई की तारीफ की है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट में ED को दी गई अरेस्ट और प्रॉपर्टी जब्त करने की ताकत के फैसले पर पुनर्विचार किया जा रहा है। दरअसल, इस पूरे मामले में सबसे पहले कोर्ट ने 2022 में सुनवाई शुरू की, जब देशभर में 200 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुईं। इन याचिकाओं में PMLA (प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) की कई धाराओं को चुनौती दी गई थी। जैसे ED की गिरफ्तारी, संपत्ति की जब्ती, ECIR न देना और जमानत की कड़ी शर्तें। एक केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने PMLA कानून पर टिप्पणी की थी। कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग दुनिया भर में एक बड़ी परेशानी है और ये कानून कोई आम कानून नहीं है। ED के अफसर पुलिस जैसे नहीं माने जाते और ECIR को FIR की तरह नहीं देखा जा सकता। हर केस में ECIR की कॉपी देना जरूरी नहीं है, बस गिरफ्तारी के वक्त वजह बताना काफी है। ---------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... वकीलों को समन भेजने पर सुप्रीम कोर्ट ED से नाराज, कहा- सारी हदें पार कर रही सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'प्रवर्तन निदेशालय (ED) सारी हदें पार कर रहा है।' सुप्रीम कोर्ट ने यह बात दो वकीलों को आपराधिक मामलों के आरोपियों को कानूनी सलाह देने के मामले में ईडी के समन पर कही। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक वकील और मुवक्किल के बीच की बातचीत विशेष होती है। भले ही वह गलत हो। पूरी खबर पढ़ें...