PM मोदी ने एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से बात की:PMO ने फोटो शेयर किया, 2 दिन पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे शुभांशु
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से बातचीत की। प्राइम मिनिस्टर ऑफिस ने इस बातचीत का फोटो शेयर किया है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु दो दिन पहले 26 जून को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे हैं। वे 41 साल बाद स्पेस में जाने वाले भारतीय हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु के स्पेस में जाने को ऐतिहासिक पल बतायाा था। एक्सियम मिशन 4 के तहत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे सभी एस्ट्रोनॉट ISS के लिए रवाना हुए थे। स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से जुड़े ड्रैगन कैप्सूल में इन्होंने कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण 6 बार टाला गया था। ISS पर 14 दिन रहेंगे शुभांशु, डेटा जुटाएंगे शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 14 दिनों तक रहेंगे और 7 प्रयोग करेंगे, जो भारतीय शिक्षण संस्थानों ने तैयार किए हैं। इनमें ज्यादातर बायोलॉजिकल स्टडीज होंगी, जैसे कि अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य और जीवों पर असर देखना। वे NASA के साथ 5 और प्रयोग करेंगे, जिसमें लंबे अंतरिक्ष मिशनों के लिए डेटा जुटाएंगे। इस मिशन में किए गए प्रयोग भारत के गगनयान मिशन को मजबूत करेंगे। शुभांशु ने कहा था- मेरी किस्मत ISS पर वेलकम सेरेमनी में शुभांशु ने कहा था- ये मेरी किस्मत है कि मैं उन चंद लोगों में शामिल हो सका, जिन्होंने स्पेस स्टेशन से पृथ्वी का नजारा देखा।आपके प्यार और आशिर्वाद से मैं इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर पहुंचा हूं। यहां खड़ा होना बहुत आसान दिख रहा है, लेकिन ये सब काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा था कि मेरा सर भारी है और थोड़ी तकलीफ हो रही है। लेकिन ये सब बहुत छोटी चीजें हैं, कुछ ही दिनों में हमें इसकी आदत हो जाएगी। 26 जून की दोपहर स्पेसक्राफ्ट से लाइव बातचीत में शुभांशु ने कहा था- नमस्कार फ्रॉम स्पेस! यहां एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं... अंतरिक्ष में चलना और खाना कैसे है।" मिशन की 4 तस्वीरें... स्पेसक्राफ्ट से शुभांशु का पूरा मैसेज... नमस्ते फ्रॉम स्पेस! मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां आकर बहुत उत्साहित हूं। सच कहूं तो, जब मैं कल लॉन्चपैड पर कैप्सूल में बैठा था। 30 दिन के क्वारंटाइन के बाद, मैं बस यही चाहता था कि अब चल पड़ें। लेकिन जब यात्रा शुरू हुई, तो ऐसा लगा जैसे आपको सीट में पीछे धकेला जा रहा हो। यह एक अद्भुत राइड थी.. और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया। आपने बेल्ट खोली और आप वैक्यूम की शांति में तैर रहे थे। मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इस यात्रा का हिस्सा रहा है। मैं समझता हूं कि यह कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह आप सभी की सामूहिक उपलब्धि है, जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं। मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। परिवार और दोस्तों को भी.. आपका समर्थन बहुत मायने रखता है। यह सब आप सभी की वजह से संभव हुआ है। हमने आपको जोय और ग्रेस दिखाए। यह हंस है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रतीक। यह बहुत प्यारा लगता है, लेकिन हमारे भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। मुझे लगता है कि पोलैंड, हंगरी और भारत में भी इसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह संयोग जैसा लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका इससे कहीं ज़्यादा अर्थ है। जब हम वैक्यूम में लॉन्च हुए, तब मुझे बहुत अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन कल से मुझे बताया गया है कि मैं बहुत सोया हूं, जो एक अच्छा संकेत है। मुझे लगता है कि यह एक शानदार संकेत है। मैं इस माहौल में अच्छी तरह से ढल रहा हूं। दृश्यों का आनंद ले रहा हूं, पूरे अनुभव का आनंद ले रहा हूं। एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं- नए कदम, चलना, खुद को नियंत्रित करना, खाना, सब कुछ। यह एक नया वातावरण है, नई चुनौती है, और मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस अनुभव का बहुत आनंद ले रहा हूं। गलतियां करना ठीक है, लेकिन किसी और को गलती करते देखना और भी बेहतर है। यहां ऊपर बहुत मजेदार समय रहा है। बस इतना ही कहना चाहता हूं। आप सभी को इसे संभव बनाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे यकीन है कि हम यहां बहुत अच्छा समय बिताएंगे। लॉन्चिंग के तुरंत बाद शुभांशु ने कहा था... मिशन के पहले दिन की 3 तस्वीरें... 41 साल बाद कोई भारतीय एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया है। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी। शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं। 6 बार टाला गया एक्सियम-4 मिशन मिशन का उद्देश्य: स्पेस स्टेशन बनाने की प्लानिंग का हिस्सा Ax-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में रिसर्च करना और नई टेक्नोलॉजी को टेस्ट करना है। ये मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल को बढ़ावा देने के लिए भी है और एक्सियम स्पेस प्लानिंग का हिस्सा है, जिसमें भविष्य में एक कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन (एक्सियम स्टेशन) बनाने की योजना है। अब 6 जरूरी सवालों के जवाब: सवाल 1: कौन हैं शुभांशु शुक्ला? जवाब: शुभांशु का जन्म 1986 में उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से की। वह 2006 में वायु सेना में शामिल हुए और फाइटर जेट उड़ाने का अनुभव रखते हैं। उन्हें ISRO के गगनयान मिशन के लिए भी चुना गया है, जो भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है। अंतरिक्ष यात्री बनने के लिए उन्होंने रूस और अमेरिका में खास ट्रेनिंग

PM मोदी ने एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से बात की: PMO ने फोटो शेयर किया, 2 दिन पहले इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंचे थे शुभांशु
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से अपनी हाल की बातचीत के दौरान उन्हें शुभकामनाएँ दी। यह बातचीत 26 जून को हुई जब शुभांशु, जो भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन हैं, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर पहुंचे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने इस खास मुलाकात की तस्वीर भी साझा की, जिसमें मोदी ने शुभांशु के ऐतिहासिक मिशन को सराहा।
अंतरिक्ष यात्रा का ऐतिहासिक क्षण
शुभांशु शुक्ला भारत के ऐसे दूसरे एस्ट्रोनॉट हैं, जो 41 साल बाद अंतरिक्ष में गए हैं। इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत यूनियन से यात्रा की थी। शुभांशु का यह मिशन स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के द्वारा कैनेडी स्पेस सेंटर से यात्रा करते हुए को सफलतापूर्वक शुरू हुआ था।
शुभांशु का अनुभव और उद्देश्य
शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में 14 दिन बिताएंगे, जहाँ वे सात प्रयोग करेंगे, जिन्हें भारतीय शिक्षण संस्थानों ने तैयार किया है। इनमें मुख्य रूप से बायोलॉजिकल अध्ययन शामिल हैं, जैसे कि अंतरिक्ष में मानव स्वास्थ्य के प्रभाव का अध्ययन करना। इसके अलावा, वे NASA के साथ मिलकर 5 और प्रयोग करेंगे, जो लंबे अंतरिक्ष मिशनों हेतु डेटा संग्रहित करने में मदद देंगे। इससे भारत के गगनयान मिशन को मजबूती मिलेगी।
शुभांशु का संकल्प
शुभांशु ने ISS में अपनी वेलकम सेरेमनी में कहा, "यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं उन चुनिंदा लोगों में शामिल हो सका हूं, जिन्होंने स्पेस स्टेशन से आदिमा का दृश्य देखा है।" उन्होंने कहा, "यह सब आपके प्यार और आशीर्वाद की वजह से संभव है।" उनका उत्साह और हिम्मत उनकी बातों में झलकती है, जिसे सुनकर सभी को गर्व महसूस होता है।
भारत के लिए महत्व
इस मिशन के तहत शुभांशु का अनुभव गगनयन मिशन के लिए अत्यंत उपयोगी होगा, जिसका लक्ष्य 2027 में मानव अंतरिक्ष उड़ान शुरू करना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है और यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
समापन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शुभांशु से बातचीत ने भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति देशवासियों का मनोबल ऊँचा किया है। शुभांशु की यात्रा केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरी भारतीय समाज की सामूहिक उपलब्धि है। उनकी सफलता की कहानी भविष्य के गगनयात्री के लिए प्रेरणा बनी रहेगी। भारत का यह मिशन दर्शाता है कि कैसे मेहनत, लगन और समर्पण से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।
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