SC में वांगचुक की हिरासत पर 6 अक्टूबर को सुनवाई:पत्नी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी; अभी जोधपुर जेल में बंद

सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। गीतांजलि ने अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी। उन्होंने दावा किया था कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है। दरअसल, वांगचुक फिलहाल जोधपुर की जेल में हैं, उन्हें 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। हिंसा में 4 लोग मारे गए थे। सोनम के अलावा लेह की स्थानीय जेल में बंद 56 आंदोलनकारियों में से 26 को 2 अक्टूबर को छोड़ दिया गया। इन पर गंभीर धाराएं नहीं थीं। 30 लोग अभी जेल में हैं। वांगचुक की पत्नी बोलीं- एक हफ्ता बीता, डिटेंशन ऑर्डर कॉपी नहीं मिली गीतांजलि ने 2 अक्टूबर को X पर एक पोस्ट में लिखा था- 7 दिन बाद भी मुझे सोनम की सेहत, हालत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। गीतांजलि ने वांगचुक के खिलाफ NSA लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया था। अंगमो ने कहा था कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है। दरअसल, अंगमो ने वकील सर्वम ऋतम खरे के जरिए दायर याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है। क्या है हैबियस कार्पस... हेबियस कार्पस लैटिन भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है- शरीर सामने लाओ। यानी किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है, हिरासत में रखा है, तो अदालत उस व्यक्ति को तुरंत कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दे सकती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह अधिकार हर नागरिक को मिला है। कोई भी व्यक्ति, उसका परिवार/दोस्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है। आदेश के बाद पुलिस को पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखनी होती है। गीतांजलि का आरोप- उनका पीछा किया जा रहा है अंगमो ने ANI को बताया था, "दिल्ली में हर जगह मेरा पीछा किया जा रहा है। मैं जहां भी जाती हूं, एक कार मेरा पीछा करती है। हमारे साथ मिलकर काम करने वाले एक कर्मचारी को हिरासत में लिया गया है। उसे पीटा जा रहा है और मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।" PM, प्रेसिडेंट और गृह मंत्री को लेटर लिख चुकीं अंगमो अंगमो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लेह जिला कलेक्टर को लेटर लिखा था। जिसकी कॉपी उन्होंने X पर शेयर की थी। अंगमो का आरोप है कि वांगचुक को शांत कराने के लिए पिछले महीने से विच हंट शुरू किया गया है। अंगमो ने कहा था कि वांगचुक कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, अपने राष्ट्र की तो बात ही छोड़ दें। सोनम की गिरफ्तारी के बाद पत्नी के 3 रिएक्शन... ------------------------- ये खबर भी पढ़ें... उद्धव बोले- पाकिस्तान जाने पर वांगचुक देशद्रोही फिर मोदी क्या: न्याय के लिए लड़ना अब देशद्रोह हो गया शिवसेना (UBT) चीफ उद्धव ठाकरे ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार की आलोचना की। दादर वेस्ट में दशहरा मेला में ठाकरे ने कहा- देश में अधिकारों और न्याय के लिए लड़ना अब देशद्रोह हो गया है। ठाकरे ने कहा- वांगचुक देशद्रोही नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उनपर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। अगर वांगचुक को इसके लिए गिरफ्तार किया जा सकता है, तो नवाज शरीफ से मिलने मोदी जी के जाने के बारे में आप क्या कहेंगे? पढ़ें पूरी खबर...

Oct 5, 2025 - 00:33
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SC में वांगचुक की हिरासत पर 6 अक्टूबर को सुनवाई:पत्नी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी; अभी जोधपुर जेल में बंद
SC में वांगचुक की हिरासत पर 6 अक्टूबर को सुनवाई:पत्नी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी; अभी ज�

SC में वांगचुक की हिरासत पर 6 अक्टूबर को सुनवाई: पत्नी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी; अभी जोधपुर जेल में बंद

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सुप्रीम कोर्ट में सोनम वांगचुक की रिहाई की मांग को लेकर लगाई गई याचिका पर 6 अक्टूबर को सुनवाई होगी। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी। सोनम वांगचुक की पत्नी, गीतांजलि जे अंगमो ने 2 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां उन्होंने अनुच्छेद 32 के तहत हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने दावा किया था कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है।

वांगचुक की गिरफ्तारी का संदर्भ

वांगचुक वर्तमान में जोधपुर की जेल में बंद हैं। उन्हें 24 सितंबर को लेह हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था, जिसमें चार लोग मारे गए थे। इस समय, लेह में 56 स्थानीय आंदोलनकारियों में से 26 को 2 अक्टूबर को छोड़ा गया, जबकि 30 अन्य जेल में बने हुए हैं।

गीतांजलि का आरोप और याचिका का विवरण

गीतांजलि ने अपनी याचिका में कहा कि उन्हें मदद के लिए उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने लिखा है, "7 दिन बाद भी मुझे सोनम की सेहत, हालत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।" गीतांजलि ने यह भी कहा कि उन्हें हिरासत आदेश की कॉपी नहीं दी गई है, जो नियमों का उल्लंघन है।

हैबियस कार्पस का महत्व

हेबियस कार्पस लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है 'शरीर सामने लाओ'। यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत हर नागरिक को दिया गया है। यह कानूनी प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए है कि यदि किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से गिरफ्तार किया गया है, तो उसे अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया जा सके।

गीतांजलि के बयान और चिंताएँ

गीतांजलि ने आरोप लगाया है कि उनके ऊपर निगरानी रखी जा रही है और उनके आस-पास संदिग्ध वाहन मौजूद हैं। उन्होंने ANI को दिए एक बयान में कहा, "दिल्ली में हर जगह मेरा पीछा किया जा रहा है।" वांगचुक की पत्नी ने प्रधानमंत्री मोदी और अन्य उच्च अधिकारियों को भी पत्र लिखकर इस मामले की गंभीरता से अवगत कराया है।

सामाजिक प्रतिक्रिया और राजनीतिक विश्लेषण

इस मामले में राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ भी सामने आई हैं। उद्धव ठाकरे ने वांगचुक की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए कहा कि "देश में अधिकारों और न्याय के लिए लड़ना अब देशद्रोह हो गया है।" उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वांगचुक को शांतिपूर्ण तरीके से बोलने के लिए दंडित किया जा रहा है।

निष्कर्ष

6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई इस मामले के भविष्य का निर्धारण कर सकती है। वांगचुक और उनके परिवार के लिए यह समय अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। क्या वांगचुक को न्याय मिलेगा या उनकी स्थिति और खराब होगी? यह सब इस सुनवाई पर निर्भर करेगा।

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