उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत…पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवा में हर बार मिलेगा आरक्षण
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में पूर्व सैनिकों को आरक्षण मामले में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने पूर्व सैनिकों को केवल एक बार आरक्षण देने संबंधी शासनादेश को निरस्त कर दिया है। अदालत ने उन्हें हर बार सरकारी नौकरी में आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया है। वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज तिवारी […] The post उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत…पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवा में हर बार मिलेगा आरक्षण appeared first on Dainik Uttarakhand.

उत्तराखंड : हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत…पूर्व सैनिकों को सरकारी सेवा में हर बार मिलेगा आरक्षण
नैनीताल : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी में पूर्व सैनिकों को आरक्षण मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उच्च न्यायालय ने पूर्व सैनिकों को केवल एक बार आरक्षण देने संबंधी शासनादेश को निरस्त कर दिया है। अब पूर्व सैनिकों को हर बार सरकारी नौकरी के लिए आरक्षण का लाभ देने का आदेश दिया गया है। यह फैसला वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनाया।
निर्णय का महत्व
इस फैसले से पूर्व सैनिकों को बड़ी राहत मिली है, जो सरकारी नौकरियों में आरक्षण से वंचित रह रहे थे। उच्च न्यायालय की इस निर्णय ने यह स्पष्ट किया है कि आरक्षण केवल एक बार नहीं, बल्कि प्रत्येक बार उपलब्ध होगा। याचिका दायर करने वाले पूर्व सैनिक दिनेश कांडपाल ने कोर्ट में यह तर्क प्रस्तुत किया था कि वर्ष 1993 के एक अधिनियम के तहत पूर्व सैनिकों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान दिया गया है। उन्होंने दावा किया कि इस कानून में यह नहीं कहा गया है कि आरक्षण केवल एक बार मिल सकता है।
सरकार के निर्देशन पर सवाल
याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार के 22 मई 2020 के शासनादेश को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि इस आदेश के तहत, अगर किसी पूर्व सैनिक को एक बार आरक्षण मिल चुका है, तो वह बाकी सरकारी नौकरियों के लिए इस आरक्षण का लाभ नहीं उठा सकेगा। यह शासनादेश पूर्व सैनिकों के लिए अत्यधिक समस्याजनक हो गया था, जिससे वे सरकारी नौकरी की संभावनाओं से वंचित हो रहे थे।
अदालत का निर्णय
इसके बाद, उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि पूर्व सैनिकों को उनके हक से वंचित नहीं किया जा सकता है। यह निर्णय न केवल पूर्व सैनिकों के अधिकारों के संरक्षण में महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे राज्य की सरकारी सेवाओं में उनके योगदान को भी मान्यता मिलती है। न्यायालय ने यह भी कहा कि यह कार्यवाही पूर्व सैनिकों की गरिमा और उनके योगदान को मान्यता देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
समाज पर प्रभाव
इस निर्णय का सीधा प्रभाव उन पूर्व सैनिकों पर पड़ेगा, जो सरकारी सेवाओं में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद नए अवसरों की तलाश में थे। इससे निसंदेह पूर्व सैनिकों का मनोबल बढ़ेगा और वे अधिक सक्रियता से अपने अधिकारों की बाज़ी पलटने का प्रयास करेंगे। यह निर्णय समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजेगा, जो अहसास दिलाएगा कि देश की सेवा करने वाले योद्धाओं को उनकी सेवा के बाद भी उचित सम्मान और अवसर मिलना चाहिए।
निष्कर्ष
आखिरकार, उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिया गया यह निर्णय पूर्व सैनिकों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है। यह न केवल उनके लिए नई संभावनाओं के दरवाजे खोलेगा, बल्कि यह समाज में पूर्व सैनिकों की भूमिका को भी पुनः परिभाषित करेगा। ऐसी नीतियों की अनिवार्यता है, जो समाज के ऐसे वर्गों का सहयोग और सम्मान करें, जिन्होंने देश की रक्षा में अपनी जान की बाज़ी लगाई है। इसके साथ ही, यह निर्णय अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करता है कि वे पूर्व सैनिकों के अधिकारों के प्रति सजग रहें।
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