कान्हा टाइगर रिजर्व में मॉर्निंग सफारी, शाम की बांधवगढ़ में:961 KM लंबा टाइगर कॉरिडोर जोड़ेगा 4 रिजर्व, जबलपुर बनेगा वाइल्डलाइफ टूरिज्म का गेटवे

एमपी के कूनो नेशनल पार्क में एक दिन पहले ही चीता मुखी ने शावकों को जन्म दिया है। कूनों मे चीतों का कुनबा बढ़ रहा है तो इधर बाघों के लिए फोरलेन टाइगर कॉरिडोर बनाने का काम भी तेजी से हो रहा है। दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 23 अगस्त 2025 को जबलपुर में इसका ऐलान किया था। इसी के बाद से ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। ये फोरलेन टाइगर कॉरिडोर 961 किमी लंबा होगा और इसकी लागत है 5500 करोड़ रुपए। इस कॉरिडोर से प्रदेश के चार प्रमुख टाइगर रिजर्व कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना और पेंच सीधे जबलपुर से जुड़ेंगे। कॉरिडोर बनने के बाद चारों टाइगर रिजर्व की दूरियां कम होंगी। यदि पर्यटक मंडला के कान्हा टाइगर रिजर्व में मॉर्निंग सफारी करते हैं तो शाम की सफारी वो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कर सकते हैं। जानकारों के मुताबिक यह परियोजना न केवल बाघ दर्शन के लिए आने वाले लाखों पर्यटकों का सफर आसान और तेज बनाएगी, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक 'गेम-चेंजर' साबित होगी। पढ़िए रिपोर्ट टाइगर कॉरिडोर परियोजना का मकसद इस कॉरिडोर का मकसद यात्रा के समय को कम करना, वाहनों की गति बढ़ाना और पर्यटकों को एक विश्वस्तरीय सड़क का अनुभव प्रदान करना है। मौजूदा दौर में इन रिजर्व तक पहुंचने के लिए कई हिस्सों में सड़कें या तो टू-लेन हैं या उनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं है, जिससे सफर लंबा और थका देने वाला हो जाता है। फोरलेन कॉरिडोर बन जाने से यह दूरी और समय, दोनों में कमी आएगी। जानकारों के मुताबिक यह सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका सेंटर पॉइंट जबलपुर को बनाया गया है। जबलपुर में एयरपोर्ट की मौजूदगी इसे देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक प्राकृतिक प्रवेश द्वार बनाती है। पर्यटक हवाई रूट से सीधे जबलपुर पहुंचकर यहां से अपनी पसंद के किसी भी टाइगर रिजर्व तक आरामदायक और तेज गति से पहुंच सकेंगे। चारों दिशाओं में बिछेगा सड़कों का जाल NHAI ने इस मेगा प्रोजेक्ट का विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है। हर रिजर्व को जोड़ने के लिए एक समर्पित फोरलेन रोड डेवलप किया जाएगा। टू लेन सड़क फोर लेन में बदलेगी जबलपुर को कान्हा से जोड़ने वाला मंडला-चिल्फी स्टेट हाईवे इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान टू-लेन सड़क को फोरलेन में अपग्रेड किया जाएगा। इसके अलावा, जबलपुर-रायपुर नेशनल हाईवे, जो मंडला से होकर गुजरता है, उसे चिल्फी तक फोरलेन किया जाएगा और मंडला से लगभग 25 किलोमीटर दूर बम्हनी तक एक नई फोरलेन सड़क बनाकर कान्हा को इससे जोड़ा जाएगा। इस अपग्रेडेशन से जबलपुर से कान्हा की दूरी लगभग 10-20 किलोमीटर कम होने की संभावना है। कटनी से बांधवगढ़ तक की सड़क बनेगी वर्तमान में जबलपुर से कटनी तक शानदार फोरलेन सड़क मौजूद है। अब चुनौती कटनी से आगे बांधवगढ़ तक के लगभग 80-90 किलोमीटर के हिस्से की है। इस मार्ग पर कटनी-उमरिया सेक्शन को फोरलेन में बदला जाएगा। इसे ग्रीन फील्ड कॉरिडोर से भी जोड़ा जाएगा, जिससे यात्रा का समय घटेगा और दूरी में भी 10 से 20 किलोमीटर की कमी आने की उम्मीद है। राम वन गमन पथ से जुड़ेगी सड़क यह मार्ग सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह राम वन गमन पथ से जुड़ेगा। जबलपुर से मैहर तक फोरलेन सड़क पहले से ही मौजूद है। यहां से पर्यटक मैहर-बमीठा मार्ग के जरिए सतना पहुंचेंगे, जिसे फोरलेन बनाया जाएगा। इसके बाद सतना से पन्ना तक के 88 किलोमीटर के हिस्से को फोरलेन में विकसित किया जाएगा। इस नए कॉरिडोर से जबलपुर से पन्ना की दूरी भी लगभग 10-20 किलोमीटर कम हो जाएगी। 12 किमी का हिस्सा फोरलेन बनेगा सिवनी जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व तक कनेक्टिविटी पहले से ही काफी बेहतर है, क्योंकि अधिकांश मार्ग फोरलेन है। अब केवल खबासा से पेंच तक के 12 किलोमीटर के हिस्से को फोरलेन में बदलना बाकी है। इस छोटे से टुकड़े के लिए भी डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसमें वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 15 अंडरपास का निर्माण भी शामिल है। अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए एक क्रांतिकारी कदम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, यह गलियारा मध्य प्रदेश की वन अर्थव्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी परिवर्तनकारी साबित होगा। इससे न केवल ईको-टूरिज्म को अभूतपूर्व बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अनगिनत अवसर भी पैदा होंगे। बेहतर कनेक्टिविटी से होटल, रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट, गाइड और टैक्सी सेवाओं की मांग बढ़ेगी, जिससे स्थानीय युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिलेगा। पिछले पांच सालों के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। इन सालों में मध्य प्रदेश के बाघ अभयारण्यों में कुल 7,38,637 भारतीय और 85,742 विदेशी पर्यटक आए, जिससे 61.22 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। जब यात्रा सुगम और तेज हो जाएगी, तो इन आंकड़ों में कई गुना वृद्धि होना तय है। क्यों हैं ये चारों रिजर्व पर्यटकों की पहली पसंद? मध्य प्रदेश को 'टाइगर स्टेट' का दर्जा दिलाने में इन चारों रिजर्व का सबसे बड़ा योगदान है। यहां बाघों का घनत्व देश में सबसे अधिक है, जिससे पर्यटकों को बाघ दिखने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, बांधवगढ़ में 165, कान्हा में 129, पेंच में 123 और पन्ना टाइगर रिजर्व में 62 से अधिक बाघ हैं। 2022 की बाघ गणना में भारत में कुल 3,682 बाघों की पुष्टि हुई, जिसमें सर्वाधिक 785 बाघ अकेले मध्य प्रदेश में पाए गए। यह आंकड़ा कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) जैसे राज्यों से कहीं आगे है। अधिकारी बोले- 70 फीसदी काम पहले से पूरा एनएचएआई जबलपुर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, अमृत लाल साहू ने परियोजना की प्रगति पर विश्वास जताते हुए कहा, 'सड़क का काफी काम पहले ही हो चुका है। जबलपुर से पेंच तक तो फोरलेन सड़क पहले से बनी हुई है। कान्हा और पन्ना तक भी काफी हद तक काम हो चुका है। सिर्फ बांधवगढ़ ही शेष है, जिसके स

Nov 22, 2025 - 09:33
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कान्हा टाइगर रिजर्व में मॉर्निंग सफारी, शाम की बांधवगढ़ में:961 KM लंबा टाइगर कॉरिडोर जोड़ेगा 4 रिजर्व, जबलपुर बनेगा वाइल्डलाइफ टूरिज्म का गेटवे
एमपी के कूनो नेशनल पार्क में एक दिन पहले ही चीता मुखी ने शावकों को जन्म दिया है। कूनों मे चीतों का कुनबा बढ़ रहा है तो इधर बाघों के लिए फोरलेन टाइगर कॉरिडोर बनाने का काम भी तेजी से हो रहा है। दरअसल, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 23 अगस्त 2025 को जबलपुर में इसका ऐलान किया था। इसी के बाद से ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। ये फोरलेन टाइगर कॉरिडोर 961 किमी लंबा होगा और इसकी लागत है 5500 करोड़ रुपए। इस कॉरिडोर से प्रदेश के चार प्रमुख टाइगर रिजर्व कान्हा, बांधवगढ़, पन्ना और पेंच सीधे जबलपुर से जुड़ेंगे। कॉरिडोर बनने के बाद चारों टाइगर रिजर्व की दूरियां कम होंगी। यदि पर्यटक मंडला के कान्हा टाइगर रिजर्व में मॉर्निंग सफारी करते हैं तो शाम की सफारी वो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में कर सकते हैं। जानकारों के मुताबिक यह परियोजना न केवल बाघ दर्शन के लिए आने वाले लाखों पर्यटकों का सफर आसान और तेज बनाएगी, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक 'गेम-चेंजर' साबित होगी। पढ़िए रिपोर्ट टाइगर कॉरिडोर परियोजना का मकसद इस कॉरिडोर का मकसद यात्रा के समय को कम करना, वाहनों की गति बढ़ाना और पर्यटकों को एक विश्वस्तरीय सड़क का अनुभव प्रदान करना है। मौजूदा दौर में इन रिजर्व तक पहुंचने के लिए कई हिस्सों में सड़कें या तो टू-लेन हैं या उनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं है, जिससे सफर लंबा और थका देने वाला हो जाता है। फोरलेन कॉरिडोर बन जाने से यह दूरी और समय, दोनों में कमी आएगी। जानकारों के मुताबिक यह सिर्फ एक सड़क परियोजना नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका सेंटर पॉइंट जबलपुर को बनाया गया है। जबलपुर में एयरपोर्ट की मौजूदगी इसे देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक प्राकृतिक प्रवेश द्वार बनाती है। पर्यटक हवाई रूट से सीधे जबलपुर पहुंचकर यहां से अपनी पसंद के किसी भी टाइगर रिजर्व तक आरामदायक और तेज गति से पहुंच सकेंगे। चारों दिशाओं में बिछेगा सड़कों का जाल NHAI ने इस मेगा प्रोजेक्ट का विस्तृत रोडमैप तैयार कर लिया है। हर रिजर्व को जोड़ने के लिए एक समर्पित फोरलेन रोड डेवलप किया जाएगा। टू लेन सड़क फोर लेन में बदलेगी जबलपुर को कान्हा से जोड़ने वाला मंडला-चिल्फी स्टेट हाईवे इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वर्तमान टू-लेन सड़क को फोरलेन में अपग्रेड किया जाएगा। इसके अलावा, जबलपुर-रायपुर नेशनल हाईवे, जो मंडला से होकर गुजरता है, उसे चिल्फी तक फोरलेन किया जाएगा और मंडला से लगभग 25 किलोमीटर दूर बम्हनी तक एक नई फोरलेन सड़क बनाकर कान्हा को इससे जोड़ा जाएगा। इस अपग्रेडेशन से जबलपुर से कान्हा की दूरी लगभग 10-20 किलोमीटर कम होने की संभावना है। कटनी से बांधवगढ़ तक की सड़क बनेगी वर्तमान में जबलपुर से कटनी तक शानदार फोरलेन सड़क मौजूद है। अब चुनौती कटनी से आगे बांधवगढ़ तक के लगभग 80-90 किलोमीटर के हिस्से की है। इस मार्ग पर कटनी-उमरिया सेक्शन को फोरलेन में बदला जाएगा। इसे ग्रीन फील्ड कॉरिडोर से भी जोड़ा जाएगा, जिससे यात्रा का समय घटेगा और दूरी में भी 10 से 20 किलोमीटर की कमी आने की उम्मीद है। राम वन गमन पथ से जुड़ेगी सड़क यह मार्ग सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह राम वन गमन पथ से जुड़ेगा। जबलपुर से मैहर तक फोरलेन सड़क पहले से ही मौजूद है। यहां से पर्यटक मैहर-बमीठा मार्ग के जरिए सतना पहुंचेंगे, जिसे फोरलेन बनाया जाएगा। इसके बाद सतना से पन्ना तक के 88 किलोमीटर के हिस्से को फोरलेन में विकसित किया जाएगा। इस नए कॉरिडोर से जबलपुर से पन्ना की दूरी भी लगभग 10-20 किलोमीटर कम हो जाएगी। 12 किमी का हिस्सा फोरलेन बनेगा सिवनी जिले में स्थित पेंच टाइगर रिजर्व तक कनेक्टिविटी पहले से ही काफी बेहतर है, क्योंकि अधिकांश मार्ग फोरलेन है। अब केवल खबासा से पेंच तक के 12 किलोमीटर के हिस्से को फोरलेन में बदलना बाकी है। इस छोटे से टुकड़े के लिए भी डीपीआर तैयार कर ली गई है, जिसमें वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए 15 अंडरपास का निर्माण भी शामिल है। अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए एक क्रांतिकारी कदम केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, यह गलियारा मध्य प्रदेश की वन अर्थव्यवस्था के लिए एक क्रांतिकारी परिवर्तनकारी साबित होगा। इससे न केवल ईको-टूरिज्म को अभूतपूर्व बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अनगिनत अवसर भी पैदा होंगे। बेहतर कनेक्टिविटी से होटल, रिसॉर्ट, रेस्टोरेंट, गाइड और टैक्सी सेवाओं की मांग बढ़ेगी, जिससे स्थानीय युवाओं को अपने ही क्षेत्र में रोजगार मिलेगा। पिछले पांच सालों के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। इन सालों में मध्य प्रदेश के बाघ अभयारण्यों में कुल 7,38,637 भारतीय और 85,742 विदेशी पर्यटक आए, जिससे 61.22 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। जब यात्रा सुगम और तेज हो जाएगी, तो इन आंकड़ों में कई गुना वृद्धि होना तय है। क्यों हैं ये चारों रिजर्व पर्यटकों की पहली पसंद? मध्य प्रदेश को 'टाइगर स्टेट' का दर्जा दिलाने में इन चारों रिजर्व का सबसे बड़ा योगदान है। यहां बाघों का घनत्व देश में सबसे अधिक है, जिससे पर्यटकों को बाघ दिखने की संभावना काफी बढ़ जाती है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, बांधवगढ़ में 165, कान्हा में 129, पेंच में 123 और पन्ना टाइगर रिजर्व में 62 से अधिक बाघ हैं। 2022 की बाघ गणना में भारत में कुल 3,682 बाघों की पुष्टि हुई, जिसमें सर्वाधिक 785 बाघ अकेले मध्य प्रदेश में पाए गए। यह आंकड़ा कर्नाटक (563) और उत्तराखंड (560) जैसे राज्यों से कहीं आगे है। अधिकारी बोले- 70 फीसदी काम पहले से पूरा एनएचएआई जबलपुर के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, अमृत लाल साहू ने परियोजना की प्रगति पर विश्वास जताते हुए कहा, 'सड़क का काफी काम पहले ही हो चुका है। जबलपुर से पेंच तक तो फोरलेन सड़क पहले से बनी हुई है। कान्हा और पन्ना तक भी काफी हद तक काम हो चुका है। सिर्फ बांधवगढ़ ही शेष है, जिसके सर्वे और होमवर्क का काम शुरू किया जा रहा है।

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