जब संघ की शाखा में आए थे डॉ अंबेडकर, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सुनाया पूरा किस्सा

मोहन भागवत ने बताया है कि 1934 में डॉ अंबेडकर महाराष्ट्र के कराड की एक संघ कि शाखा में आए थे। वहां पर उन्होंने कहा कि, कुछ बातों में हमारे मतभेद है, तो भी संघ को अपनत्व की भाव से में देखता हूं।

Apr 14, 2025 - 21:33
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जब संघ की शाखा में आए थे डॉ अंबेडकर, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सुनाया पूरा किस्सा
जब संघ की शाखा में आए थे डॉ अंबेडकर, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सुनाया पूरा किस्सा

जब संघ की शाखा में आए थे डॉ अंबेडकर, RSS प्रमुख मोहन भागवत ने सुनाया पूरा किस्सा

AVP Ganga

लेखिका: सुमिता शर्मा, टीम नेतानागरी

परिचय

हाल ही में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने डॉ भीमराव अंबेडकर के संघ की शाखा में आने की कहानी सुनाई। यह किस्सा न केवल इतिहास के पन्नों को पलटता है, बल्कि भारतीय समाज के विकास और संघ के उद्देश्यों को भी स्पष्ट करता है। आईए, जानते हैं इस दिलचस्प घटना के बारे में।

डॉ अंबेडकर का संघ से संबंध

डॉ भीमराव अंबेडकर, जिन्हें भारतीय संविधान के प्रमुख निर्माता के रूप में जाना जाता है, ने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं में समाज के लिए योगदान दिया। मोहन भागवत ने बताया कि किस प्रकार डॉ अंबेडकर ने संघ की शाखा में हिस्सा लिया और वहां के विचारों को समझा। यह घटना उस समय की है जब अंबेडकर और संघ के विचारों के बीच मतभेद थे। भागवत ने बताया कि उनकी उपस्थिती ने एक नई दिशा दी।

संघ की विचारधारा और डॉ अंबेडकर

मोहन भागवत ने संघ की विचारधारा को स्पष्ट करते हुए कहा कि संघ का लक्ष्य समस्त समाज को जोड़ना है। अंबेडकर ने संघ के साथ अपने संपर्क को एक महत्वपूर्ण पहलू माना, क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि संघ और उनके विचारों में कुछ समानताएँ थीं। यह इंटरैक्शन उस समय के समाज में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।

डॉ अंबेडकर ने संघ को क्या सिखाया?

डॉ अंबेडकर ने न केवल संघ के सदस्यों को सामाजिक समरसता के महत्व के बारे में बताया, बल्कि उन्होंने यह भी सिखाया कि समाज में समानता सबसे जरूरी है। मोहन भागवत के अनुसार, अंबेडकर की उपस्थिति ने संघ के नेताओं को यह देखने का अवसर दिया कि कैसे वे समाज के हर वर्ग को जोड़ सकते हैं।

सम्बंध और साहचर्य

भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि डॉ अंबेडकर और संघ के बीच कोई दुश्मनी नहीं थी, बल्कि वे दोनों के विचारों में एक अद्भुत सामंजस्य था। अंबेडकर ने संघ के सदस्यों को अपनी सोच के लिए प्रेरित किया और संघ ने अंबेडकर के दृष्टिकोण से सीखा। यह संबंध न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और धार्मिक भी था।

समापन विचार

मोहन भागवत का यह किस्सा न केवल डॉ अंबेडकर की महानता को दर्शाता है, बल्कि यह भारतीय समाज की एकता और विविधता की भी एक मिसाल है। इस प्रकार की घटनाएं हमें यह समझाती हैं कि विचारों का आदान-प्रदान हमेशा समाज के विकास का कारण बनता है। आइए, हम भी इस साझा विश्वास और साहचर्य को आगे बढ़ाएं।

Keywords

Dr. Ambedkar, RSS, Mohan Bhagwat, Indian Society, History, Social Unity, Nationalism, Cultural Exchange, Social Reform, Indian Constitution

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