देवभूमि लोक गौरव सम्मान से नवाजे गए सौरभ मैठाणी
देहरादून: उत्तराखंड की लोक संस्कृति और विरासत को बचाने और अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार देश-विदेश में करने वाले उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक गायक सौरभ मैथानी को देवभूमि लोक गौरव सम्मान से नवाजा गया है। हाल ही में उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक सौरभ मैठाणी ने सिंगापुर में अपने उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार-प्रसार और संवर्धन […] The post देवभूमि लोक गौरव सम्मान से नवाजे गए सौरभ मैठाणी appeared first on Dainik Uttarakhand.

देवभूमि लोक गौरव सम्मान से नवाजे गए सौरभ मैठाणी
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देहरादून: उत्तराखंड की लोक संस्कृति और विरासत को बचाने के लिए उत्सुकता से कार्यरत सौरभ मैठाणी, एक सुप्रसिद्ध लोक गायक, को हाल ही में देवभूमि लोक गौरव सम्मान से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें उनकी कला के माध्यम से उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रदान किया गया है।
सौरभ मैठाणी का योगदान
सौरभ मैठाणी ने न केवल उत्तराखंड में बल्कि विदेशों में भी अपनी सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाल ही में, उन्होंने सिंगापुर में अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से उत्तराखंड की संस्कृति का प्रचार किया। इसके पहले, सौरभ ने कनाडा, दुबई, ओमान सहित कई देशों में अपनी लोक संस्कृति को विस्तारित करने के लिए गहन प्रयास किए हैं। उनके प्रयासों ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को एक नई दिशा और दशा दी है।
सम्मान का महत्व
इस विशेष सम्मान का वितरण RIMT Institute of Hotel Management के संस्थापक श्री मिथेश सेमवाल, फोर जी मिशन के अध्यक्ष सुभाष भट्ट, डॉ. राकेश डंगवाल, अनुज पुरोहित और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा किया गया। यह सम्मान सौरभ मैठाणी के उत्तराखंड की संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और निष्ठा को दर्शाता है।
आने वाले समय में
सौरभ मैठाणी की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति के लिए भी गर्व का विषय है। उनकी लोक कला और परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रयास हो रहे हैं, वे वास्तव में प्रशंसनीय हैं। आने वाले समय में, ऐसे और भी अनेक अवसर आएंगे जहां वह अपनी कला के माध्यम से उत्तराखंड की विरासत को विश्व स्तर पर प्रमोट करते रहेंगे।
निष्कर्ष
सौरभ मैठाणी का यह सम्मान हमारे लिए प्रेरणा प्रदान करता है कि हम अपनी लोक संस्कृति को बचाने और उसका प्रचार-प्रसार करने में अपनी भूमिका निभाएं। हमें चाहिए कि हम इस दिशा में निरंतर प्रयास करते रहें ताकि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाया जा सके। सौरभ जैसे कलाकारों की मेहनत से हमारी सांस्कृतिक पहचान और भी तेज होती है।
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