धनखड़ ने इस्तीफे के 42 दिन बाद उपराष्ट्रपति आवास छोड़ा:अभय चौटाला के फॉर्महाउस में रहेंगे; 21 जुलाई को पद से इस्तीफा दिया था
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अब दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में स्थित अभय चौटाला के फॉर्महाउस में रहेंगे। सोमवार शाम को उन्होंने इस्तीफे के 42 दिन बाद उपराष्ट्रपति आवास छोड़ा। धनखड़ और चौटाला परिवार के बीच करीब 40 साल पुराना संबंध रहा है। 1989 में हरियाणा के बड़े जाट नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल ने राजस्थान के युवा वकील धनखड़ को फ्यूचर का लीडर कहा था। धनखड़ देवीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। तब से वे जनता की नजरों से दूर हैं। वे अब तक संसद भवन के पास उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में रह रहे थे। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। टाइप-8 बंगला मिलने तक फॉर्महाउस में रहेंगे धनखड़ इस प्राइवेट फार्महाउस में तब तक रहेंगे जब तक उन्हें टाइप-8 सरकारी बंगला आवंटित नहीं कर दिया जाता, जिसके वे पूर्व उपराष्ट्रपति होने के नाते हकदार हैं। धनखड़ के करीबी सूत्रों ने बताया कि वे अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं, टेबल टेनिस खेल रहे हैं और योग का अभ्यास कर रहे हैं। उनके उत्तराधिकारी के चयन के लिए चुनाव 9 सितंबर को होना है। उपराष्ट्रपति चुनाव में, एनडीए द्वारा चुने गए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन का मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी से है। 2 दिन पहले पेंशन के लिए आवेदन किया था पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 30 अगस्त को पूर्व विधायक के नाते मिलने वाली पेंशन के लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय में फिर से आवेदन किया है। धनखड़ 1993 से 1998 तक किशनगढ़ सीट से कांग्रेस के विधायक रहे थे। पूर्व विधायक के तौर पर उन्हें जुलाई 2019 तक पेंशन मिल रही थी। जुलाई 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनने के बाद पेंशन बंद हो गई थी। देश के पहले उपराष्ट्रपति जिनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था। विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा है। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं। उपराष्ट्रपति रहते धनखड़ के चर्चित बयान ----------------------------------------- उपराष्ट्रपति पद से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... उपराष्ट्रपति चुनाव- I.N.D.I.A उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी ने नामांकन किया विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी ने 21 अगस्त को नामांकन भरा। रेड्डी ने चार सेट में नामांकन दाखिल किया। खड़गे समेत 20 नेता प्रस्तावक बने। पूरी खबर पढ़ें...

धनखड़ ने इस्तीफे के 42 दिन बाद उपराष्ट्रपति आवास छोड़ा: अभय चौटाला के फॉर्महाउस में रहेंगे; 21 जुलाई को पद से इस्तीफा दिया था
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पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को 42 दिन के बाद उपराष्ट्रपति आवास को छोड़ दिया। धनखड़ अब दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर क्षेत्र में स्थित अभय चौटाला के फॉर्महाउस में निवास करेंगे। उनका इस्तीफा 21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन स्वास्थ्य कारणों से दिया गया था। उनके और चौटाला परिवार के बीच का संबंध लगभग 40 वर्षों पुराना है। इस आर्टिकल में हम धनखड़ के जीवन के इस नए अध्याय और उनके राजनीतिक सफर की चर्चा करेंगे।
धनखड़ का इस्तीफा और स्वास्थ्य कारण
जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने की वजह स्वास्थ्य कारण बताई थी। उनके इस्तीफे की वजह से उनके अनुयायियों और राजनीतिक साथियों के बीच चिंता का माहौल बना हुआ था। अब जब वे अभय चौटाला के फॉर्महाउस में रहेंगे, वे अपने परिवार के साथ समय बिता रहे हैं, टेबल टेनिस खेल रहे हैं और योग का अभ्यास कर रहे हैं। यह उन्हें मानसिक व शारीरिक दोनों रूप से स्वस्थ रहने में मदद करेगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां
धनखड़ के इस्तीफे के बाद, उनके उत्तराधिकारी के चयन के लिए चुनाव 9 सितंबर को होने हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए द्वारा चुने गए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन का मुकाबला सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी से है। यह चुनाव देश की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
पूर्व विधायक की पेंशन का मामला
धनखड़ ने 30 अगस्त को एक बार फिर से पूर्व विधायक के नाते मिलने वाली पेंशन के लिए राजस्थान विधानसभा सचिवालय में आवेदन किया है। यह उनके लिए एक आवश्यक कदम है, क्योंकि पिछले कुछ समय से उनकी पेंशन बंद थी। उनकी पेंशन का अधिकार 1993 से 1998 के बीच किशनगढ़ सीट से विधायक रहने के कारण प्राप्त हुआ था।
राजनीतिक इतिहास
धनखड़ का राजनीतिक सफर उल्लेखनीय रहा है। वे देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। यह प्रस्ताव दिसंबर 2024 में पेश किया गया था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे खारिज कर दिया गया था। विपक्ष हमेशा उनसे पक्षपात का आरोप लगाता रहा है, और यह सुनिश्चित करता रहा है कि उनकी आवाज को दबाया न जाए।
निष्कर्ष
धनखड़ का फॉर्महाउस में निवास करना और उनका स्वास्थ्य ध्यान रखना, उनके जीवन के एक नए अध्याय की शुरुआत है। यह बदलाव न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन में महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी। यह देखना होगा कि उनके उत्तराधिकारी चुनाव पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा।
अंत में, केवल समय ही बताएगा कि क्या धनखड़ अपने नए निवास में एक शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे, या वे जल्द ही राजनीति में सक्रियता दिखाएंगे।
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