पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट ने कहा, चुनाव नहीं टालना चाहते, लेकिन नियमों का पालन जरूरी, कल आ सकता है अंतिम फैसला

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Jun 27, 2025 - 00:33
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पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट ने कहा, चुनाव नहीं टालना चाहते, लेकिन नियमों का पालन जरूरी, कल आ सकता है अंतिम फैसला
पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट ने कहा, चुनाव नहीं टालना चाहते, लेकिन नियमों का पालन जरूरी, कल आ सकता है अंत�

पंचायत चुनाव: हाईकोर्ट ने कहा, चुनाव नहीं टालना चाहते, लेकिन नियमों का पालन जरूरी, कल आ सकता है अंतिम फैसला

रैबार डेस्क: पंचायत चुनावों में आरक्षण रोस्टर के मामले पर सरकार अदालत में घिरी है। हाईकोर्ट द्वारा चुनावों पर रोक लगाने के बाद इस मामले पर सुनवाई गुरुवार को भी जारी रही। कोर्ट ने कहा कि हम चुनाव नहीं टालना चाहते, लेकिन सरकार को नियमों का पालन करना भी जरूरी है। अब इस मामले पर शुक्रवार को फिर से सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि शुक्रवार को मामले पर अंतिम फैसला आ सकता है।

आरक्षण रोस्टर के खिलाफ याचिकाएं

बता दें कि पंचायत चुनावों में आरक्षण के रोस्टर को लेकर कई याचिकाएं हाईकोर्ट में दायर हैं जिन पर चीफ जस्टिस की बेंच सुनवाई कर रही है। आरक्षण का नोटिफिकेशन जारी न करने के बावजूद चुनावी कार्यक्रम की घोषणा से कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इस मामले पर कई याचिकाएं दायर हुई थी जिनको क्लब करके चीफ जस्टिस जी नरेंद्र व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की बेंच सुनवाई कर रही है।

सरकार की दलीलें

गुरुवार को सरकार की ओर से कोर्ट में आरक्षण का रोस्टर पेश किया गया था। जिस पर सुनवाई जारी है। इस दौरान सरकारी वकील ने दलील पेश की कि आरक्षण में रिपीटीशन नहीं किया गया है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि करीब 40 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण का रिपीटीशन हुआ है जिससे कई लोगों का हक मारा जा रहा है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि प्राइमा फेसी आपकी बात सही लग रही है। रोस्टर के अध्ययन के लिए याचिकाकर्ताओं ने आज का समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई को कल तक के लिए टाल दिया।

नियमों का पालन अनिवार्य

इस दौरान सरकार की ओर से चुनाव प्रक्रिया पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया गया। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि उनकी मंशा चुनाव टालने की नहीं है, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है। याचिकाकर्ताओं ने उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 243 टी, डी व अन्य का उल्लेख करते हुए कहा कि आरक्षण में रोस्टर अनिवार्य है। यह संवैधानिक बाध्यता है।

अंत में क्या होगा?

चुनावों की प्रक्रिया में इस तरह की कानूनी बाधाओं के बीच, सभी की निगाहें अब कोर्ट के अगले फैसले पर हैं। यदि कोर्ट शुक्रवार को सही दिशा में निर्णय लेता है, तो पंचायत चुनाव जल्द ही निर्धारित समय पर हो सकेंगे। हालांकि, यदि नियमों का पालन सुनिश्चित नहीं किया गया तो चुनावों में और भी देरी हो सकती है। ऐसा प्रतीत होता है कि जनता को अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है।

इस मामले में अब सबकी नजरें हाईकोर्ट पर हैं, जहां कल पेचिदा मुद्दे पर अंतिम सुनवाई होगी। उम्मीद है कि अदालत अपना निर्णय देते हुए कानून और संविधान की रक्षा करेगी।

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