पंजाब-चंडीगढ़ के 2 टीचर राष्ट्रपति से सम्मानित:राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, एक का 15 साल से 100% रिजल्ट, दूसरे ने सरकारी स्कूलों में लगाए AC

शिक्षक दिवस के मौके पर पंजाब और चंडीगढ़ के दो शिक्षकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इनमें चंडीगढ़ के सेक्टर 20-बी स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल की टीजीटी (सोशल साइंस) प्रवीण कुमारी और पंजाब के लुधियाना जिले के सरकारी प्राइमरी स्कूल, जंदियाली में सेवा दे रहे नरिंदर सिंह शामिल हैं। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने दोनों शिक्षकों को शुभकामनाएं दी हैं। 15 सालों से 100% रिजल्ट प्रवीण कुमारी का रिजल्ट पिछले 15 सालों से 100 फीसदी रहा है। उनके पढ़ाए हुए बच्चे आज सेना, पुलिस और अन्य कई क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं। वह बताती हैं कि उनकी कोशिश हमेशा यही रहती है कि लड़कियों को इतना सक्षम बनाया जाए कि वे अपने फैसले खुद ले सकें। उनका कहना है कि उनके माता-पिता दोनों शिक्षक रहे हैं और उन्हीं की राह पर चलते हुए वह एक बेहतरीन शिक्षक बनने की कोशिश कर रही हैं। उनका कहना है कि जैसे हर सफल पुरुष के पीछे उसकी पत्नी का हाथ होता है, वैसे ही उनके पीछे उनके पति रजनीश कुमार का साथ है। वह दवा कंपनी चलाते है। जबकि उनके दो बच्चे है। बेटा पार्थ बीटेक कर रहा है और बेटी प्राची एयर फोर्स स्कूल में कक्षा 9 में पढ़ती है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से अंग्रेजी और इतिहास में एमए और एमफिल की डिग्री प्राप्त पूर्व छात्रा परवीन ने कक्षा में सीखने की प्रक्रिया को नया रूप दिया है। डिजिटल क्षेत्र में, वह दो पॉडकास्ट और एक यूट्यूब चैनल चलाती हैं ।जिनमें साक्षात्कार, नैतिक कहानियां और वैचारिक पाठ शामिल हैं। सरकारी स्कूलों में शुरू किए समर कैंप नरिंदर सिंह ने सरकारी स्कूलों की परंपरागत छवि बदलने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने 2008 में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पहला समर कैंप शुरू किया, जो शिक्षा प्रणाली में नई मिसाल बना। 2006 में जब उन्होंने यह स्कूल जॉइन किया था, तब यहाँ केवल 3 कमरे और 174 छात्र थे। आज उनके नेतृत्व में स्कूल में 800 छात्र और 15 एयर-कंडीशन्ड स्मार्ट क्लासरूम हैं। उनकी इसी लगन और प्रयासों के लिए उन्हें 2012 में राज्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर मिली यह पहचान उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। बच्चों की गणित में पकड़ मजबूत बनाने के लिए उन्होंने मैथ्स पार्क भी बनाया है।

Sep 6, 2025 - 00:33
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पंजाब-चंडीगढ़ के 2 टीचर राष्ट्रपति से सम्मानित:राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, एक का 15 साल से 100% रिजल्ट, दूसरे ने सरकारी स्कूलों में लगाए AC
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पंजाब-चंडीगढ़ के 2 टीचर राष्ट्रपति से सम्मानित: राष्ट्रीय पुरस्कार मिला

शिक्षक दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पंजाब और चंडीगढ़ के दो अद्वितीय शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार देकर उनका सम्मान किया। ये शिक्षक, जिन्होंने न केवल शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की बल्कि समाज के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है, उनकी मेहनत और लगन को यह पुरस्कार एक नई पहचान देता है। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे प्रवीण कुमारी और नरिंदर सिंह की उपलब्धियों के बारे में।

प्रवीण कुमारी: 100% रिजल्ट का सफर

चंडीगढ़ के सेक्टर 20-बी स्थित गवर्नमेंट गर्ल्स मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल की टीजीटी (सोशल साइंस) प्रवीण कुमारी ने शिक्षा को एक नई दिशा दी है। पिछले 15 वर्षों से उनके द्वारा पढ़ाए गए सभी छात्र सफलतापूर्वक परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं, जिससे उनके द्वारा प्राप्त किया गया 100% रिजल्ट एक नई मिसाल बना है।

प्रवीण का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाना भी है। वे कहती हैं, "मेरी कोशिश हमेशा यह रहती है कि लड़कियाँ अपने पैरों पर खड़ी हों और अपने फैसले खुद ले सकें।" उनके माता-पिता शिक्षकों के रूप में कार्यरत रहे हैं, और उनके विचारों को अपनाते हुए उन्होंने इस पेशे में कदम रखा।

प्रवीण की शिक्षा में नवाचार के चलते, उन्होंने डिजिटल क्षेत्र में भी कदम रखा है। वो यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट चलाती हैं, जिसमें नैतिक कहानियाँ और विचारशील पाठ शामिल हैं। उनके पति रजनीश कुमार एक दवा कंपनी चलाते हैं, और उन्हें अपने परिवार का भी पूरा समर्थन मिला है।

नरिंदर सिंह: सरकारी स्कूलों में नया परिवर्तन

पंजाब के लुधियाना जिले के सरकारी प्राइमरी स्कूल, जंदियाली में कार्यरत नरिंदर सिंह ने सरकारी शिक्षा प्रणाली में उल्लेखनीय बदलाव लाने का प्रयास किया है। उन्होंने 2008 में सरकारी स्कूलों में पहला समर कैंप शुरू किया, जिससे बच्चे न केवल पाठ्यक्रम में अच्छे हुए बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास में भी मदद मिली।

जब नरिंदर ने स्कूल जॉइन किया था, तब वहां केवल 3 कमरे और 174 छात्र थे। आज उनके नेतृत्व में स्कूल की संख्या बढ़कर 800 हो गई है, और वहां 15 एयर-कंडीशन्ड स्मार्ट क्लासरूम हैं। उनकी मेहनत के लिए उन्हें 2012 में राज्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन इस राष्ट्रीय पहचान को उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। उन्होंने बच्चों की गणित में पकड़ मजबूत बनाने के लिए मैथ्स पार्क भी स्थापित किया।

समापन: शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता

प्रवीण कुमारी और नरिंदर सिंह की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि सही मार्गदर्शन और प्रयास से कितनी बड़ी सफलताएँ हासिल की जा सकती हैं। उनके द्वारा किए गए कार्य न केवल छात्रों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि समाज में भी प्रेरणा का संचार कर रहे हैं। ऐसे शिक्षकों के माध्यम से एक नई पीढ़ी तैयार हो रही है जो अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हैं। शिक्षा में ऐसे ही दृष्टिकोण को अपनाते हुए, हम एक उज्जवल भविष्य की तरफ अग्रसर हो सकते हैं।

शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने भी इस अवसर पर दोनों शिक्षकों को बधाई दी है। उनकी इस उपलब्धि से युवा शिक्षकों को प्रेरणा मिलेगी कि वे भी अपने काम में मेहनत और लगन के साथ आगे बढ़ें।

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