‘बेहतर होगा कि आप बरी होने तक जेल में रहें…’: एसजी की दलील पर हाईकोर्ट से दिल्ली दंगों के 10 आरोपियों को झटका
2020 Delhi Riots: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े बड़े साजिश मामले में 10 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। इनमें कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (यूएएच) के संस्थापक खालिद सैफी, अतहर खान, मोहम्मद सलीम, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, शादाब अहमद और तस्लीम अहमद शामिल हैं। न्यायमूर्ति नवीन चावला और शैलिंदर कौर की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, सभी अपीलें खारिज की जाती हैं। कोट ने 9 जुलाई को इन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा था। एक अन्य पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और हरीश वैद्यनाथन शंकर शामिल थे, ने तस्लीम अहमद की जमानत भी खारिज की।

‘बेहतर होगा कि आप बरी होने तक जेल में रहें…’: एसजी की दलील पर हाईकोर्ट से दिल्ली दंगों के 10 आरोपियों को झटका
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दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े एक बड़े साजिश मामले में 10 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। यह मामला विशेष रूप से विवादास्पद रहा है, जिसमें कई कार्यकर्ताओं और समुदाय के सदस्यों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इसमें कार्यकर्ता उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (यूएएच) के संस्थापक खालिद सैफी, अतहर खान, मोहम्मद सलीम, शिफा उर रहमान, मीरान हैदर, शादाब अहमद और तस्लीम अहमद शामिल हैं। न्यायमूर्ति नवीन चावला और शैलिंदर कौर की पीठ ने इस फैसले में कहा कि सभी अपीलें खारिज की जाती हैं।
जमानत याचिकाओं का खारिज होना
इस मामले में विशेष महाधिवक्ता (एसजी) ने अदालत में दलील दी कि एक सामान्य नागरिक के रूप में इनके रिहा होने से सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा हो सकता है। एसजी ने कहा, "बेहतर होगा कि आप बरी होने तक जेल में रहें, क्योंकि यह मुद्दा न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक सुरक्षा से भी जुड़ा है।" कोर्ट ने 9 जुलाई को इस पर निर्णय सुरक्षित रखा था। न्यायालय ने आरोपियों की रिहाई के लिए याचिकाएं खारिज करते समय कहा कि इन मामलों की गंभीरता को देखते हुए कोई विशेष परिस्थिति मौजूद नहीं है।
अधिकारी और आरोपियों का संदर्भ
दिल्ली दंगों की यह घटना 2020 में हुई थी, जिससे पूरे देश में गहरा असर पड़ा। आरोपियों पर विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें दंगा भड़काने, हत्या, और अन्य आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप शामिल है। आरोपियों में से कुछ ने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लिया था, जो इस मामले को और जटिल बनाती हैं। अदालत का यह निर्णय इस बात का संकेत देता है कि सरकार और न्यायपालिका इस प्रकार के मामलों को गंभीरता से ले रही है और कोई भी ढील नहीं दी जाएगी।
अतिरिक्त जानकारी और भविष्य की कार्यवाही
अगले कार्यवाही के लिए, आरोपियों के वकीलों ने निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने की योजना बनाई है। ऐसे में यह देखना होगा कि उच्चतम न्यायालय इस मामले को किस तरह से लेगा और क्या आरोपियों को राहत मिलेगी। जानकारी के अनुसार, इस मामले में लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता के विषय पर भी गंभीर चर्चा होनी चाहिए।
निष्कर्ष
दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय 2020 के दंगों से जुड़े आरोपियों के लिए एक वृहद संदेश है कि सुरक्षा और कानून व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसी परिस्थितियों में सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता देना जरुरी है। इस मामले की आगामी सुनवाई और ताजा घटनाक्रमों पर नजर रखना आवश्यक होगा।
फिलहाल, यह स्पष्ट है कि दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले ने इन 10 आरोपियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया है, जो न्यायालय के समक्ष अपनी स्थिति को साबित करने के लिए आगे की लड़ाई में बाधित हो सकते हैं। ऐसे में यह राजनीतिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है।
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