रिजिजू बोले- मोदी ने छूट लेने से मना किया:कहा- PM भी नागरिक, कानून के दायरे में लाएं; गिरफ्तारी पर पद से हटाने का बिल

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा के दौरान उस नियम से छूट लेने से इनकार कर दिया था, जिसके तहत अगर PM-CM या कोई मंत्री किसी गंभीर अपराध में 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है तो उसे पद से हटना पड़ेगा। रिजिजू ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा- कैबिनेट में सुझाव दिया गया था कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए, लेकिन PM मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री भी देश का नागरिक है, उन्हें भी कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए। रिजिजू ने आगे कहा कि यह कदम राजनीति में नैतिकता और ईमानदारी की मिसाल पेश करेगा। गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त को लोकसभा और 21 अगस्त को राज्यसभा में गंभीर आरोपों में गिरफ्तार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिन बाद पद से हटाने से जुड़े 3 बिल पेश किए थे। हालांकि, विपक्ष के हंगामे के चलते इन्हें संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिए गए। 22 अगस्त: PM की बिहार-पश्चिम बंगाल सभा में बिल का जिक्र कलकत्ता में- PM मोदी ने पश्चिम बंगाल में बिल को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री तक जेल से सरकार चलाते हैं। ये संविधान और लोकतंत्र का अपमान है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने TMC सरकार, भ्रष्टाचार और ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। पूरी खबर पढ़ें... गयाजी में- PM ने बिहार के गया जी में कहा कि जिसने पाप किया है, वो अपने पाप को दूसरों से छिपाता है, लेकिन खुद तो जानते हैं कि उन्होंने क्या किया है। कोई बेल पर बाहर है, कोई रेल के खेल में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। ये लोग कानून का विरोध कर रहे हैं। ये लोग मोदी को भांति-भांति की गाली दे रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें... 21 अगस्त: शाह ने को राज्यसभा में बिल पेश किया केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 21 अगस्त को राज्यसभा में इस कानून से संबंधित 3 बिल पेश किए थे। इस दौरान विपक्ष के भारी विरोध और हंगामा किया। इस दौरान तीनों बिलों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया। पूरी खबर पढ़ें... 20 अगस्त: शाह ने लोकसभा में बिल पेश किया था केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 20 अगस्त को गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और लगातार 30 दिन हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद से हटाने के प्रावधान वाले 3 बिल पेश किए थे। इस दौरान विपक्ष के भारी विरोध और हंगामा किया। कुछ सदस्यों ने बिल की कॉपियां फाड़ दीं। पूरी खबर पढ़ें... CBI-ED ने 2014 के बाद 13 सिटिंग मंत्रियों को गिरफ्तार किया 2014 के बाद कम से कम 13 सिटिंग मंत्रियों को CBI-ED गिरफ्तार कर चुकी हैं। इनमें से 10 गिरफ्तारी PMLA के कड़े प्रावधानों के तहत हुईं। अधिकतर गिरफ्तारी APP शासित दिल्ली और TMC शासित पश्चिम बंगाल में हुईं। किसी भाजपाई मंत्री की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सिर्फ उत्तर प्रदेश के मंत्री राकेश सचान को अवैध हथियार के मामले में एक वर्ष की सजा हुई थी। वह जमानत के बाद द पर बने हुए हैं। केजरीवाल ने गिरफ्तारी के 6 महीने बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था केंद्र सरकार का मानना है कि ये तीनों बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेंगे। अब तक संविधान के तहत केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं को हटाने को लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसको लेकर कानूनी और सियासी विवाद होते रहे हैं। दिल्ली के तत्कालीन CM अरविंद केजरीवाल शराब नीति केस केस में ED की गिरफ्तारी के बाद भी पद पर थे। जमानत के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया था। इधर, तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी भी 241 दिन जेल में रहते हुए मंत्री रहे थे, बालाजी को मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (MTC) में नौकरी के बदले नकद घोटाले के आरोपों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जून 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया था। इसके बाद भी वह 13 फरवरी 2024 तक पद पर बने रहे थे। गिरफ्तारी से पहले वे बिजली, आबकारी और मद्य निषेध विभाग संभाल रहे थे। गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने उन्हें “बिना विभाग वाला मंत्री” बनाए रखा और उनके विभाग अन्य सहयोगियों को सौंप दिए।

Aug 24, 2025 - 00:33
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रिजिजू बोले- मोदी ने छूट लेने से मना किया:कहा- PM भी नागरिक, कानून के दायरे में लाएं; गिरफ्तारी पर पद से हटाने का बिल
रिजिजू बोले- मोदी ने छूट लेने से मना किया:कहा- PM भी नागरिक, कानून के दायरे में लाएं; गिरफ्तारी पर पद स

रिजिजू बोले- मोदी ने छूट लेने से मना किया: कहा- PM भी नागरिक, कानून के दायरे में लाएं; गिरफ्तारी पर पद से हटाने का बिल

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केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा के दौरान एक विवादास्पद नियम से छूट लेने से मना कर दिया। यह नियम कहता है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या कोई मंत्री किसी गंभीर अपराध में 30 दिन से ज्यादा जेल में रहता है, तो उसे अपने पद से हटना पड़ सकता है। यह बयान राजनीतिक गलियारे में मिलीजुली प्रतिक्रियाओं का कारण बन गया है।

रिजिजू का बयान और कैबिनेट चर्चा

रिजिजू ने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में बताया कि जब कैबिनेट में यह सुझाव दिया गया कि प्रधानमंत्री को इस प्रावधान से बाहर रखा जाए, तो पीएम मोदी ने यह कहते हुए इनकार कर दिया, "प्रधानमंत्री भी इस देश का नागरिक हैं और उन्हें भी कोई विशेष सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि यह कदम राजनीति में नैतिकता और ईमानदारी की मिसाल के तौर पर काम करेगा।

अमित शाह द्वारा पेश किए गए बिल

गृह मंत्री अमित शाह ने 20 और 21 अगस्त को लोकसभा और राज्यसभा में तीन विभिन्न बिल पेश किए, जो गंभीर आरोपों में गिरफ्तार पीएम, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को 30 दिन बाद पद से हटाने से संबंधित हैं। हालांकि, इन बिलों को विपक्ष के भारी हंगामे के कारण संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया।

मोदी का बयान और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

22 अगस्त को पश्चिम बंगाल में हुई एक सभा में, प्रधानमंत्री मोदी ने इस बिल का जिक्र करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री तक जेल से सरकार चलाते हैं। यह संविधान और लोकतंत्र का अपमान है।" उन्होंने कहा कि राजनीतिक भ्रष्टाचार एक गंभीर मुद्दा है और इसे रोकने की आवश्यकता है।

गिरफ्तारी और राजनीति की डर का साया

2014 के बाद से CBI-ED ने 13 सिटिंग मंत्रियों को गिरफ्तार किया है, जिसमें से अधिकांश गिरफ्तारी PMLA के प्रावधानों के तहत हुई हैं। उल्लेखनीय है कि इनमें से किसी भी BJP के मंत्री की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पिछले घटनाक्रम दर्शाते हैं कि कई मंत्री लंबी अवधि तक पद पर बने रहे, भले ही उन्हें गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा हो।

विश्लेषण और अन्य महत्वपूर्ण बातें

इन बिलों का उद्देश्य लोकतंत्र और सुशासन की साख को बढ़ाना है। वर्तमान कानूनों के तहत केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। ऐसे में इस प्रस्तावित कानून से कानून के अपराधियों को दंडित करने के लिए एक ठोस उपाय मिल सकता है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी का यह निर्णय निश्चित ही राजनीतिक क्षेत्र में ईमानदारी और नैतिकता को जोर देने वाला है। इसके बावजूद, इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देश के राजनीतिक परिदृश्य में देखने की बात होगी।

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— टीम avpganga

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