रिपोर्ट- देश के 40% मुख्यमंत्रियों पर क्रिमिनल केस:33% पर किडनैपिंग, रिश्वतखोरी जैसे गंभीर आरोप; तेलंगाना CM पर सबसे ज्यादा 89 मामले
देश के 30 मुख्यमंत्रियों में से 12 यानी 40% मुख्यमंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 10 यानी 33 फीसदी पर हत्या की कोशिश, किडनैपिंग और रिश्वतखोरी जैसे गंभीर केस हैं। तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी पर सबसे ज्यादा 89 मामले दर्ज हैं। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाले NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब सरकार तीन बिल लाई है, जिनमें गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिन की हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पद के लिए अयोग्य मान लिया जाएगा। ADR ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मौजूदा 30 मुख्यमंत्रियों के हलफनामों का एनालिसिस करके यह रिपोर्ट तैयार की है। डेटा पिछला चुनाव लड़ने से पहले दायर हलफनामों से लिया गया है। गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की आय 223% बढ़ी जुलाई, 2025 की एक रिपोर्ट में ADR ने बताया था कि देश में नाममात्र के वोट पाने वाली रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों (RUPP) की आय 2022-23 में 223% बढ़ गई। देश में 2764 RUPP पार्टियां हैं। इनमें से 73% से ज्यादा (2025 पार्टियों) ने अपना फाइनेंशियल रिकॉर्ड सार्वजनिक ही नहीं किया है। बाकी 739 रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों ने अपना रिकॉर्ड साझा किया है। रिपोर्ट में इन्हीं पार्टियों का एनालिसिस किया गया है। रिपोर्ट से पता चलता है कि गुजरात की ऐसी 5 पार्टियों की कुल आय ₹2316 करोड़ रही। इनमें एक साल की आमदनी ₹1158 करोड़ थी। जबकि बीते 5 सालों में हुए 3 चुनावों में इन्हें सिर्फ 22 हजार वोट मिले। इन पांचों दलों ने 2019 से 2024 के बीच दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव में कुल 17 उम्मीदवार खड़े किए, लेकिन कोई जीत नहीं सका। इनमें से चार दल 2018 के बाद रजिस्टर्ड हुए हैं। पूरी खबर पढ़ें... क्या है एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स... एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है, जो भारत में चुनावी और राजनीतिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए काम करता है। इसकी स्थापना वर्ष 1999 में भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद के कुछ प्रोफेसरों और पूर्व छात्रों द्वारा की गई थी। ADR का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और जिम्मेदार बनाना है। यह खास तौर पर राजनीतिक दलों और नेताओं की पृष्ठभूमि, आय-व्यय और आपराधिक रिकॉर्ड को सार्वजनिक करने का कार्य करता है। ADR के मुख्य काम... -------------------------------------- ADR की रिपोर्ट से जुड़ी ये खबरें भी पढ़ें... राष्ट्रीय पार्टियों में BJP को सबसे ज्यादा ₹2064 करोड़ चंदा, कांग्रेस को ₹190 करोड़ का कॉरपोरेट डोनेशन ADR ने अप्रैल 2025 में बताया था कि वित्त वर्ष 2023-24 में नेशनल पार्टियों को 20 हजार रुपए से ज्यादा के चंदों में सबसे ज्यादा BJP को मिला। रिपोर्ट के अनुसार, BJP को मिला चंदा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPEP) और माकपा (CPI-M) को मिले कुल चंदे से 6 गुना ज्यादा है। पूरी खबर पढ़ें... लोकसभा चुनाव 2024- भाजपा ने ₹1494 करोड़ खर्च किए, कांग्रेस ₹620 करोड़ के साथ दूसरे नंबर पर भाजपा ने 2024 के लोकसभा और साथ में हुए विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया। पार्टी ने लगभग 1494 करोड़ रुपए खर्च किए। वहीं, कांग्रेस ने 620 करोड़ रुपए खर्च किए। ये जानकारी ADR ने अपनी रिपोर्ट में दी है। पूरी खबर पढ़ें...

रिपोर्ट- देश के 40% मुख्यमंत्रियों पर क्रिमिनल केस: 33% पर किडनैपिंग, रिश्वतखोरी जैसे गंभीर आरोप; तेलंगाना CM पर सबसे ज्यादा 89 मामले
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नई दिल्ली: हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि भारत के 30 मुख्यमंत्रियों में से 12, अर्थात 40% मुख्यमंत्री, किसी न किसी आपराधिक मामले का सामना कर रहे हैं। इनमें से 10 मुख्यमंत्री, अर्थात 33%, पर हत्या की कोशिश, किडनैपिंग और रिश्वतखोरी जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी पर सबसे ज्यादा 89 आपराधिक मामले दर्ज हैं। यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) द्वारा जारी की गई है।
रिपोर्ट की पृष्ठभूमि
इस रिपोर्ट ने उस समय की चर्चा को और भी बढ़ा दिया है, जब सरकार ने तीन बिल पेश किए हैं। इनमें से एक बिल के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिन के भीतर गिरफ्तारी होने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को उनके पद से अयोग्य माना जाएगा। ADR ने यह रिपोर्ट राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मौजूदा सभी 30 मुख्यमंत्रियों के हलफनामों का विश्लेषण करके तैयार की है, जिसमें पिछले चुनाव से पहले दाखिल हलफनामों से डेटा जुटाया गया है।
गंभीर अपराधों का आंकड़ा
रिपोर्ट में उल्लेखित है कि मुख्यमंत्रियों पर दर्ज आपराधिक मामलों में से एक तिहाई से अधिक उन मामलों में आते हैं जो गंभीर श्रेणी में आते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह हमारे राजनीतिक तंत्र की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर प्रश्नचिह्न नहीं है।
राजनीतिक दलों की आय में वृद्धि
पिछले कुछ वर्षों में, गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की आय में भी काफी वृद्धि हुई है। ADR की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया था कि रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों की आय में 223% की वृद्धि हुई है। देश में ऐसे 2764 राजनीतिक दल हैं, जिनमें से 73% ने अपना वित्तीय रिकॉर्ड सार्वजनिक नहीं किया है।
सरकारी सुधार और भविष्य की संभावनाएँ
इन नकारात्मक रिपोर्टों के बीच, सरकार के द्वारा सुधारात्मक कदम उठाने की कोशिश की जा रही है ताकि आपराधिक मामलों से जुड़े नेताओं को चुनावी राजनीति से दूर रखा जा सके। हालांकि, क्या ये सभी प्रयास सफल होंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
निष्कर्ष
अंत में, यह स्पष्ट हो चुका है कि भारत की राजनीति को तत्काल सुधार की आवश्यकता है। मुख्यधारा की राजनीति में जोड़-तोड़ और आपराधिक प्रथाएँ सर्वथा अनावश्यक हैं। जमीनी स्तर पर जनता की भलाई के लिए, ऐसे संगठनों और रिपोर्टों का होना आवश्यक है जो पारदर्शिता की ओर कदम बढ़ाएं।
यह रिपोर्ट न केवल राजनेताओं की कुप्रथाओं को उजागर करती है, बल्कि यह राजनीतिक जवाबदेही की ओर भी ध्यान केंद्रित करती है।
इस प्रकार, भारत के खिलाफ को अत्यावश्यक है कि वह अपनी चुनावी प्रक्रिया को सुधारें, ताकि जनता का विश्वास कायम रह सके।
टीम avpganga द्वारा।
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