हार्ट अटैक से जवान की मौत, एक महीने पहले ही हुई थी शादी, घर की खुशियां मातम में बदली
कोटद्वार : गढ़वाल राइफल्स में तैनात 26 वर्षीय फौजी की हार्ट अटैक से मौत हो गई। फौजी की एक महीने पहले ही शादी हुई थी। जिस घर में अभी-अभी खुशियां का माहौल था, वहां सन्नाटा पसर गया। लोकेंद्र प्रताप, पुत्र भगत सिंह, गांव कटाखोली (पोस्ट नवाखाल), श्रीनगर पौड़ी निवाली आठ साल पहले ही सेना में […] The post हार्ट अटैक से जवान की मौत, एक महीने पहले ही हुई थी शादी, घर की खुशियां मातम में बदली appeared first on Dainik Uttarakhand.

हार्ट अटैक से जवान की मौत, एक महीने पहले ही हुई थी शादी, घर की खुशियां मातम में बदली
कोटद्वार: गढ़वाल राइफल्स में तैनात 26 वर्षीय फौजी की हार्ट अटैक से दुखद मौत ने उसके परिवार को गहरे शोक में डाल दिया है। लोकेंद्र प्रताप, पुत्र भगत सिंह, जो गांव कटाखोली (पोस्ट नवाखाल), श्रीनगर पौड़ी के निवासी थे, की एक महीने पूर्व, 8 जून को ही शादी हुई थी। शादी की खुशियों के महौल में जब यह घटना घटी, तब परिवार का सारा आनंद मातम में बदल गया।
घटनाक्रम
सूत्रों के मुताबिक, लोकेंद्र प्रताप आठ वर्ष पूर्व सेना में भर्ती हुए थे और हाल ही में गब्बर सिंह कैंप कौड़िया में ट्रेनिंग पर गए थे। घटना के रात, उन्होंने अपने परिजनों से बातचीत की थी और सोने चले गए। अगली सुबह, जब उनके साथी उन्हें उठाने पहुंचे, तो उन्हें अचेत अवस्था में पाया गया।
सामाजिक दृष्टिकोण
यह घटना न केवल परिवार के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक झटका है। जवान की अचानक मौत ने एक सवाल खड़ा किया है कि क्या जवानों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं, खासकर जब वे आतंकवाद और अन्य खतरों का सामना कर रहे हैं। उनकी मौत ने यह भी दर्शाया कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल भी उतनी ही आवश्यक है।
स्थानीय प्रेम
फौजी के गांव में परिवार, दोस्तों और ग्रामीणों का आंसू भरा चेहरा देखने को मिला। स्थानीय लोगों ने बताया कि लोकेंद्र एक खुशमिजाज और मददगार व्यक्ति थे, जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहते थे। उनकी अनियोजित मृत्यु ने पूरे गांव में गम का माहौल बनाया है।
भारत में सेना के जवानों की स्वास्थ्य स्थिति
यह घटना एक महत्वपूर्ण सवाल उठाती है कि हमारी सेना में कार्यरत जवानों की स्वास्थ्य स्थिति क्या है। देश के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाले जवानों को जब ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो यह हमारे जिम्मेदारियों की ओर इशारा करता है। समाज को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
निर्णय और समाजिक प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी जवान की असामयिक मृत्यु पर शोक व्यक्त किया जा रहा है। कई लोगों ने इस मामले में शोक व संवेदना व्यक्त की है और सरकार से अनुरोध किया है कि वे जवानों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सुधारात्मक कदम उठाए।
इस दुखद घटना के माध्यम से हमें यह समझना चाहिए कि परिवार के सदस्यों, खासकर जवानों, को हमें प्राथमिकता देनी होगी और उनकी सेहत के प्रति जागरूक रहना होगा। परिवार में खुशियां वापस लौटाने के बजाय, दुखों का पहाड़ गिरना किसी भी परिवार के लिए असहनीय होता है।
निष्कर्ष
इस घटना ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमें जवानों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। हमें उनकी भलाई के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे दुखद घटनाओं से बचा जा सके। लोकेंद्र की याद हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।
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