पिथौरागढ़ में चपरासी को बना दिया प्रिंसिपल, किरकिरी के बाद नींद से जागा विभाग
पिथौरागढ़: अक्सर चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड का शिक्षा विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में है. शिक्षा विभाग ने इस बार ऐसा काम हुआ, जिससे हर कोई हैरान है. पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को स्कूल के प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी मिली है. हालांकि बाद में ये जिम्मेदारी वापस भी ले […] The post पिथौरागढ़ में चपरासी को बना दिया प्रिंसिपल, किरकिरी के बाद नींद से जागा विभाग appeared first on Dainik Uttarakhand.

पिथौरागढ़ में चपरासी को बना दिया प्रिंसिपल, किरकिरी के बाद नींद से जागा विभाग
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पिथौरागढ़: अक्सर चर्चाओं में रहने वाला उत्तराखंड का शिक्षा विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में है। शिक्षा विभाग ने इस बार ऐसा काम किया, जिससे हर कोई हैरान है। पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को स्कूल के प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी मिली है। हालांकि बाद में ये जिम्मेदारी वापस भी ले ली गई। यह घटना विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है और शिक्षा व्यवस्था को लेकर गहरी चिंता पैदा करती है।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
पिछले महीने से उत्तराखंड के शिक्षकों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर व्यापक विरोध प्रदर्शन किया है। ऐसे में मुनस्यारी क्षेत्र के जीआईसी खतेड़ा के प्रभारी प्रिसिपल ने अपने पद से त्याग दे दिया। समय की कमी और असामान्य स्थिति के तहत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (चपरासी) को स्कूल का जिम्मा सौंपा गया। इसके परिणामस्वरूप सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां चपरासी के कंधों पर आ गईं, जो कि शिक्षा के लिए अत्यधिक आपत्तिजनक है।
क्या है स्थिति?
जीआईसी खतेड़ा में एक स्थायी शिक्षक नहीं था, जिसके कारण चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राजू गिरी को जिम्मेदारी दी गई। चपरासी होने के बावजूद, उन्होंने स्कूल में निर्णय लेने का कार्य किया। इसने शिक्षा विभाग के निकायों की निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। शिक्षा विभाग की स्थिति को और भी खराब करने के लिए, इस मामले का खुलासा होते ही विभाग की किरकिरी हो गई।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी मुनस्यारी दिगंबर आर्या ने स्थिति की जिम्मेदारी लेते हुए बताया कि वह वर्तमान में स्कूल का कार्यभार देख रहे हैं और सभी शिक्षण व्यवस्था सुचारू चल रही है। आर्या ने कहा कि "किसी प्रकार की परेशानी नहीं है" लेकिन उनकी बातों ने उन सवालों का समाधान नहीं किया जो इस घटना ने खड़े किए हैं।
शिक्षा विभाग में स्थायी प्रधानाचार्य की कमी
पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न स्कूलों में प्रधानाचार्यों की गंभीर कमी है। यहां केवल 87 हाई स्कूलों में 1 स्थायी और 128 इंटर कॉलेजों में केवल 4 स्थायी प्रधानाचार्य हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए मूलभूत सुधारों की आवश्यकता है। अध्यापकों की हड़ताल के दौरान ऐसे निर्णय लेना कहीं न कहीं शिक्षा प्रशासन की विफलता का प्रतीक है।
निष्कर्ष
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि उत्तराखंड का शिक्षा विभाग गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। शिक्षा के प्रति प्रबंधन की लापरवाही और असंगति से केवल छात्र ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण समाज प्रभावित हो रहा है। हमें उम्मीद है कि संबंधित अधिकारी इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर भविष्य में ऐसी कुप्रथाओं को रोकेंगे।
समाप्त करते हुए, आशा है कि शिक्षा का स्तर सुधरेगा और भविष्य में छात्रों को उनकी योग्यताओं के अनुसार नेतृत्व प्रदान किया जाएगा।
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