फरीदकोट में कारगिल सैनिक ने प्रशासन को लौटाया मेडल:सीएम से मुलाकात न करवाए जाने से नाराज; राष्ट्रपति और पीएम कर चुके सम्मानित

पंजाब के फरीदकोट में कारगिल वीरता पुरस्कार से सम्मानित वायु सेना के रिटायर अधिकारी कृष्ण सिंह ढिल्लों ने आज यानी बुधवार को अपना मेडल जिला प्रशासन को लौटा दिया। वे स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में सीएम से मुलाकात ना करवाए जाने से नाराज थे। इस समारोह के दौरान कारगिल के बहादुर सैनिकों और शहीदों की विधवाओं को सीएम की जगह एडीसी से मेडल दिलवाए गए और उनकी सीएम से मुलाकात भी नहीं करवाई गई। प्रशासन के इस रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कृष्ण सिंह ढिल्लों ने जिला प्रशासन द्वारा दिए गए मेडल को वापस लौटने का फैसला किया है। जानकारी के अनुसार 20 सालों तक भारतीय वायु सेवा में सेवा करने के बाद कैबिनेट सचिवालय (पीएमओ) में बतौर सीनियर फ्लाइट इंजीनियर की सेवाएं निभाने वाले फरीदकोट के गांव गुरुसर निवासी कृष्ण सिंह ढिल्लों को कारगिल युद्ध के बाद 1999 में राष्ट्रपति के. आर. नारायणन ने वीरता पुरस्कार से नवाजा गया था। कैबिनेट सचिवालय में सेवाओं के लिए भी उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी से उत्तम सेवा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। 15 अगस्त को सीएम मान से नहीं मिलने पर नाराज इस बार 15 अगस्त को फरीदकोट के नेहरू स्टेडियम में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में कारगिल युद्ध के बहादुर सैनिकों और सैनिकों की विधवाओं को सीएम से सम्मानित करवाने के लिए आमंत्रित किया गया था। उस दिन जब वह समारोह स्थल पर पहुंचे तो उन्हें पहले तो गेट पर ही रोक दिया गया और बाद में समारोह स्थल में सीएम की जगह अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर ने उन्हें सम्मान मेडल प्रदान कर दिए। इस रवैया से उन्हें महसूस हुआ कि उन्हें सम्मानित करने की जगह अपमानित किया गया है। मेडल लौटाते हुए डीसी व सीएम को पत्र भी लिखा-ढिल्लों इस मामले में कृष्ण सिंह ढिल्लों ने कहा कि कारगिल युद्ध के बहादुर सैनिकों और सैनिक विधवाओं को प्रशासन ने आमंत्रित करके योग्य सम्मान नहीं दिया जिसके चलते उन्होंने फैसला किया है कि जिला प्रशासन द्वारा दिए गए मेडल को वह वापस करेंगे। उन्होंने मेडल वापिस भेजने के साथ साथ डिप्टी कमिश्नर फरीदकोट और सीएम भगवंत मान को पत्र भी भेजा है।

Aug 21, 2025 - 00:33
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फरीदकोट में कारगिल सैनिक ने प्रशासन को लौटाया मेडल:सीएम से मुलाकात न करवाए जाने से नाराज; राष्ट्रपति और पीएम कर चुके सम्मानित
फरीदकोट में कारगिल सैनिक ने प्रशासन को लौटाया मेडल:सीएम से मुलाकात न करवाए जाने से नाराज; राष्ट्र

फरीदकोट में कारगिल सैनिक ने प्रशासन को लौटाया मेडल: सीएम से मुलाकात न करवाए जाने से नाराज; राष्ट्रपति और पीएम कर चुके सम्मानित

पंजाब के फरीदकोट में कारगिल वीरता पुरस्कार से सम्मानित वायु सेना के रिटायर अधिकारी कृष्ण सिंह ढिल्लों ने आज बुधवार को अपना मेडल जिला प्रशासन को लौटा दिया है। उनका यह कदम उस समय उठाया, जब स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री भगवंत मान से मुलाकात ना करवाने की वजह से वे नाराज थे।

स्वतंत्रता दिवस समारोह का विवाद

बता दें कि इस समारोह के दौरान कारगिल के बहादुर सैनिकों और शहीदों की विधवाओं को मुख्यमंत्री की जगह अतिरिक्त डिप्टी कमिश्नर द्वारा मेडल प्रदान किया गया। इस पृष्ठभूमि में, ढिल्लों को यह महसूस हुआ कि उन्हें सम्मानित करने के बजाय अपमानित किया गया है। उनकी नाराजगी का मुख्य कारण यह है कि प्रशासन ने इस महत्वपूर्ण अवसर पर उन्हें हाशिए पर रखा।

वीरता पुरस्कार और सम्मान

यह उल्लेखनीय है कि कृष्ण सिंह ढिल्लों को कारगिल युद्ध के बाद 1999 में राष्ट्रपति के. आर. नारायणन द्वारा वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने कैबिनेट सचिवालय में सीनियर फ्लाइट इंजीनियर के रूप में भी सेवा दी, जिसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तम सेवा प्रमाण पत्र भी प्रापत हुआ। 20 वर्षों तक वायु सेवा में रहकर उन्होंने अपनी बहादुरी दिखाई।

मेडल लौटाने का निर्णय

कृष्ण सिंह ढिल्लों ने कहा कि "कारगिल युद्ध के बहादुर सैनिकों और सैनिकों की विधवाओं को उचित सम्मान नहीं दिया गया है। इसलिए मैंने मेडल लौटाने का निर्णय लिया।" अपना मेडल लौटाते समय उन्होंने डिप्टी कमिश्नर फरीदकोट और मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र भी लिखा, जिसमें उन्होंने प्रशासन के रवैये पर अपनी नाराजगी व्यक्त की।

क्या यह प्रशासन की अनदेखी है?

यह घटना इस बात पर सवाल उठाती है कि क्या प्रशासन सही तरीके से उन बहादुर सैनिकों की सम्मान की रक्षा कर पा रहा है, जिन्होंने अपने देश के लिए कड़ी मेहनत की है। क्या यह एक संकेत है कि प्रशासन को ऐसे सैनिकों के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखानी चाहिए? इस मामले की जांच और सुधार की मांग उठ सकती है।

संक्षेप में

कृष्ण सिंह ढिल्लों का यह कदम न केवल व्यक्तिगत अपमान का प्रतीक है, बल्कि यह उन लाखों सैनिकों की भावनाओं को भी दर्शाता है, जिन्होंने अपने देश के लिए बलिदान दिया है। हमें उम्मीद है कि प्रशासन इस विषय पर गंभीरता से विचार करेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचने का प्रयास करेगा।

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लेखकों की टीम: सौम्या, नisha, दीपिका

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