मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की मिली लोकेशन, बाबा के दर्शन की जगी उम्मीद…लगाई हनुमान झंडी

उत्तरकाशी : ग्रामीणों की मांग पर धराली आपदा में मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की जीपीआर के माध्यम से लोकेशन तलाश की गई जो मिल गई है। ग्रामीणों ने आईटीबीपी सहित एसडीआरएफ के जवानों के साथ हनुमान झंडी स्थापित कर दी है। उम्मीद जताई कि जिस प्रकार से मलबे के नीचे से राजराजेश्वरी की […] The post मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की मिली लोकेशन, बाबा के दर्शन की जगी उम्मीद…लगाई हनुमान झंडी appeared first on Dainik Uttarakhand.

Aug 23, 2025 - 09:33
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मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की मिली लोकेशन, बाबा के दर्शन की जगी उम्मीद…लगाई हनुमान झंडी
मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की मिली लोकेशन, बाबा के दर्शन की जगी उम्मीद…लगाई हनुमान झंडी

मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की मिली लोकेशन, बाबा के दर्शन की जगी उम्मीद…लगाई हनुमान झंडी

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उत्तरकाशी: हाल ही में, धराली आपदा के दौरान मलबे में दबे कल्प केदार मंदिर की लोकेशन को जीपीआर तकनीक के माध्यम से तलाशा गया है। यह जानकारी ग्रामीणों की मांग पर निकली है, जिससे स्थानीय लोगों में एक नई उम्मीद जग गई है कि जल्द ही बाबा के दर्शन होंगे। इस मौके पर, ग्रामीणों ने आईटीबीपी और एसडीआरएफ के जवानों के साथ मिलकर वहां एक हनुमान झंडी स्थापित की है, ताकि भक्ति और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में उनकी पूजा की जा सके।

आपदा के बाद का संक्षिप्त विवरण

बीते पांच अगस्त को आए बाढ़ के दौरान धराली बाजार में एक बहुमंजिला होटल और अन्य भवनों के साथ महाभारतकालीन कल्प केदार मंदिर भी मलबे में दब गया था। इस घटना के बाद से ही एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें लगातार मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटी हुई थीं। जीपीआर और रेको डिटेक्टर मशीनों का उपयोग करके राहत कार्य जारी था।

मंदिर की लोकेशन का पता लगना

मंदिर समिति के सचिव संजय पंवार ने जानकारी दी कि गुरुवार सुबह आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमों ने मंदिर की लोकेशन का पता लगाया। जेपीआर तकनीक की मदद से यह पता चला कि मंदिर मलबे में लगभग आठ से दस फीट नीचे दबा हुआ है।

ग्रामीणों की भक्ति और उम्मीद

मंदिर की लोकेशन मिलने के बाद, ग्रामीण एकत्रित हुए और सर्चिंग टीमों के साथ मिलकर एक हनुमान झंडी स्थापित की। पंवार ने बताया कि जब तक बाबा का मंदिर नहीं मिल जाता, तब तक वहां लगाई गई हनुमान झंडी की सुबह और शाम पूजा की जाएगी। इस प्रकार, स्थानीय लोगों में भक्ति और विश्वास की भावना भरी हुई है कि जल्द ही बाबा की दिव्य कृपा उनके ऊपर होगी।

भविष्य की उम्मीदें

ग्रामीणों ने यह साहस भी व्यक्त किया है कि जिस प्रकार से मलबे के नीचे से राजराजेश्वरी की मूर्ति मिली थी, उसी तरह से बाबा कल्प केदार का मंदिर भी मिल जाएगा और उनके दर्शन संभावित हैं। यह घटना शिर्षकित करता है कि प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद मानव की विश्वास और भक्ति को कभी कम नहीं किया जा सकता।

यह एक महत्वपूर्ण संकेत है जो दिखाता है कि उम्मीद हमेशा बनी रहती है। भविष्य में हो रही खोजों और समर्थन से यह संभव हो सकेगा कि मंदिर के स्थान पर पुनः श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हो पाएगा।

इन घटनाओं से यह भी सिद्ध होता है कि जब हम साथ होते हैं और हमारी आस्थाएँ मजबूत होती हैं, तब हम किसी भी संकट का सामना कर सकते हैं। स्थानीय निवासियों की मेहनत और भक्ति के ये उदाहरण न केवल एक समुदाय की एकता को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि विपरीत परिस्थितियों में कैसे एकजुटता से हम आगे बढ़ सकते हैं।

इस दिशा में प्रगति देखने के लिए हमें आशा है कि भविष्य में जल्द ही मंदिर को पुनः प्रकट किया जाएगा और श्रद्धालु वहाँ अपनी आस्था के अनुसार पूजा कर सकेंगे।

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