फिर एक्शन में देहरादून डीएम, 12 अस्पतालों का औचक निरीक्षण, नहीं मिले डॉक्टर, अनियमितताएं भारी
देहरादून: जिलाधिकारी के नेतृत्व में आज प्रशासन की टीम ने अर्बन पीएचसी पर छापेमारी की. जिला प्रशासन के औचक निरीक्षण में डीएम समेत मुख्य विकास अधिकारी,एसडीएम,एसडीएम ने एक साथ अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई. पीपीपी मोड पर 12 शहरी अस्पताल पर औचक निरीक्षण किया गया. इस दौरान डॉक्टर नदारद मिले. दवाइयां आधी मिली. सफाई […] The post फिर एक्शन में देहरादून डीएम, 12 अस्पतालों का औचक निरीक्षण, नहीं मिले डॉक्टर, अनियमितताएं भारी appeared first on Dainik Uttarakhand.

फिर एक्शन में देहरादून डीएम, 12 अस्पतालों का औचक निरीक्षण, नहीं मिले डॉक्टर, अनियमितताएं भारी
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देहरादून: जिलाधिकारी के नेतृत्व में आज प्रशासन ने अर्बन पीएचसी पर बड़े पैमाने पर छापेमारी की। यह जांच अस्पतालों में हो रही अनियमितताओं की शिकायतों के बाद की गई। जिला प्रशासन की टीम जिसमें मुख्य विकास अधिकारी और अन्य अधिकारी शामिल थे, ने एक साथ अलग-अलग स्थानों पर औचक निरीक्षण किया। पीपीपी मोड पर चलने वाले 12 शहरी अस्पतालों पर जब छापेमारी की गई, तो वहां डॉक्टरों की अनुपस्थिति और दवाईयों की कमी पाई गई। यह स्थिति ही तात्कालिक जांच का कारण बनी।
जाँच के दौरान पाई गई समस्याएँ
इस निरीक्षण के दौरान, जिलाधिकारी को जानकारी मिली कि अर्बन पीएचसी जाखन और गांधी ग्राम में आवश्यक मानकों के अनुसार स्टॉफ, डॉक्टर और नर्स उपलब्ध नहीं थे। मरीजों और तीमारदारों के लिए बैठने की पर्याप्त व्यवस्था, पेयजल, और दवाइयों की कमी जैसी समस्याएँ सामने आईं। ऐसे में डीएम ने सीएमओ को आवश्यक निर्देश देते हुए, मामले की गंभीरता को समझाते हुए एक कार्रवाई की योजना बनाने की आवश्यकता बताई।
अनुपस्थिति और अव्यवस्थाओं पर कड़ी कार्रवाई
मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह के मार्गदर्शन में, चूना भट्टा, अधोईवाला और कारगी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का औचक निरीक्षण किया गया। इन केन्द्रों में कई खामियाँ पाई गईं, जिसके कारण सीडीओ ने प्रबंधकों से स्पष्टीकरण मांगा। प्रमुख रूप से, पीएचसी अधोईवाल में बहुत से स्टाफ अनुपस्थित पाए गए। अस्पताल में केवल एक एएनएम और वार्ड आया मौजूद थे, जबकि अन्य सेवाएं जैसे टीकाकरण और आपातकालीन सेवाएं भी ठप पाई गईं।
स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर और सुधार की आवश्यकता
अर्थात, निरीक्षण के दौरान यह स्पष्ट हो गया कि अर्बन पीएचसी में मानक के अनुसार कोई भी उचित व्यवस्था नहीं पाई गई। सामान की कमी, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, और सफाई में भी कमी का पता चला। इसके चलते, जिलाधिकारी ने जुर्माना लगाने का निर्णय लिया और मुख्य सचिव को कंपनी के अनुबंध को निरस्त करने की सिफारिश की। यदि यह स्थिति बनी रही, तो यह सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति लोगों के विश्वास को प्रभावित कर सकती है।
निष्कर्ष
इस घटना के बाद, जिला प्रशासन की भूमिका की महत्ता और भी बढ़ जाती है। नागरिकों को निश्चित रूप से स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध होनी चाहिए। हमें इस बात की उम्मीद है कि प्रशासन इन समस्याओं पर कड़ी नजर रखेगा और जल्द ही सुधारात्मक कदम उठाएगा। देहरादून के नागरिकों को ये देखने की जरूरत है कि क्या जिला प्रशासन अपने दावों पर खरा उतर पाएगा या स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में कोई स्थायी सुधार होगा।
ईशा शarma, रिया वर्मा, जहांनवी मेहता, टीम avpganga
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