भारी मात्रा में आया मलबा, भागीरथी का प्रवाह रुकने से बनी झील, दो मंदिर मलबे में दबे
टिहरी : भिलंगना ब्लॉक के सीमांत क्षेत्र गेंवाली में शुक्रवार तड़के बादल फटने से भारी तबाही हुई है। इस प्राकृतिक आपदा से गांव में निजी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है, हालांकि गनीमत रही कि किसी भी ग्रामीण को कोई चोट नहीं आई। मलबा और बोल्डर बहकर आने से भागीरथी नदी के प्रवाह […] The post भारी मात्रा में आया मलबा, भागीरथी का प्रवाह रुकने से बनी झील, दो मंदिर मलबे में दबे appeared first on Dainik Uttarakhand.

भारी मात्रा में आया मलबा, भागीरथी का प्रवाह रुकने से बनी झील, दो मंदिर मलबे में दबे
टिहरी: भिलंगना ब्लॉक के सीमांत क्षेत्र गेंवाली में शुक्रवार तड़के बादल फटने से भारी तबाही हुई है। इस प्राकृतिक आपदा से गांव में निजी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया गया है, हालांकि गनीमत रही कि किसी भी ग्रामीण को कोई चोट नहीं आई। मलबा और बोल्डर बहकर आने से भागीरथी नदी के प्रवाह में रुकावट आई है, जिससे लगभग 100 मीटर तक एक झील बन गई है।
आपदा का मंजर
जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे जब ग्रामीण सो रहे थे, तब अचानक एक तेज आवाज आई, जिसने लोगों को दहशत में डाल दिया। ग्रामीणों ने बताया कि यह आवाज बादल फटने के कारण गदेरे (छोटी नदी) में आए मलबे और बोल्डर की थी। जब सुबह अंधेरा छटा, तो तबाही का मंजर साफ नजर आया। इस आपदा में एक गोशाला पूरी तरह से मलबे में दब गई, जिसमें बंधी दो गाय भी मारी गईं। गांव के पास स्थित शिव और भैरव मंदिर भी मलबे की चपेट में आ गए हैं, जिससे उनका केवल ऊपरी हिस्सा ही नजर आ रहा है।
नुकसान का आकलन
आपदा की सूचना मिलने के बाद राहत एवं बचाव टीम नुकसान का जायजा लेने के लिए गेंवाली के लिए रवाना हुई, लेकिन जखाणा से आगे नहीं बढ़ पाई। जखाणा में नदी उफान पर होने और जखाणा-गेंवाली रोड के तीन हिस्सों के कटाव के कारण टीम को वहां पहुंचने में कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। एसडीएम संदीप कुमार ने बताया कि टीम ग्रामीणों के संपर्क में है और गांव में सभी लोग सुरक्षित हैं।
पूर्व प्रधान बचन सिंह रावत ने कहा कि शुक्रवार सुबह करीब 500 मीटर ऊपर गरखेत नामक तोक में बादल फटा। गनीमत यह रही कि गदेरा गांव से थोड़ी दूर था, जिससे गांव तो बच गया, लेकिन खेती-बाड़ी और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। गांव वाले वर्षों से संचार सुविधा की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
भविष्य का खतरा
गेंवाली में बादल फटने के कारण बालगंगा और भिलंगना नदी का जलस्तर बढ़ गया, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी नुकसान हुआ है। बूढ़ाकेदार नदी के उफान पर आने से कई मकानों को खतरा पैदा हो गया है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से गांव की सुरक्षा के लिए स्थायी उपाय करने की मांग की है।
पूर्व प्रधान ने इस बात की भी जानकारी दी कि भूवैज्ञानिकों ने पहले ही गांव के विस्थापन की चर्चा की थी, लेकिन तब से कोई कार्रवाई नहीं हुई। गेंवाली में रहने वाले 65 से अधिक परिवार अब भी आपदा के डर में जी रहे हैं। इस आपदा का अनुभव करने के बाद, यह स्पष्ट हो गया है कि अब स्थायी समाधान की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
गेंवाली क्षेत्र में हुए इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल मानव जीवन को प्रभावित किया, बल्कि स्थानीय संस्कृति और धार्मिक स्थलों को भी नुकसान पहुंचाया। ग्रामीणों का अपील है कि सरकार इस स्थिति को गंभीरता से ले और दीर्घकालिक उपाय लागू करें, ताकि भविष्य में इसी तरह की तबाही का सामना न करना पड़े।
गांव के लोग राहत की प्रतीक्षा में हैं और अपनी आवाज उठाने के लिए प्रयत्नशील हैं। हमारी प्रार्थना है कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान दे और उचित कदम उठाए। राहत कार्य जल्द शुरू होने की उम्मीद है, ताकि प्रभावितों को जल्द से जल्द सहायता मिल सके।
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