सबसे छोटे कद के प्रत्याशी की बड़ी छलांग, लक्ष्मण सिंह लच्छू दा ने क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीता, यू ट्यूबर को मिली हार
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सबसे छोटे कद के प्रत्याशी की बड़ी छलांग, लक्ष्मण सिंह लच्छू दा ने क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव जीता, यू ट्यूबर को मिली हार
रैबार डेस्क: उत्तराखंड पंचायत चुनावों के नतीजों में कई हैरानी भरे परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इस बार चुनाव में यू ट्यूब और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़े कई क्रिएटर्स भी चुनावी रण में उतर आए थे। इनमे से कुछ को जीत मिली और कई लाखों फॉलोअर्स के बावजूद हार का सामना करना पड़ा।
लक्ष्मण का ऐतिहासिक चुनावी सफर
बागेश्वर जिले में गढ़खेत क्षेत्र पंचायत से लक्ष्मण सिंह, जिन्हें lovingly लच्छू दा कहा जाता है, ने बीडीसी चुनाव में एक विशेष मील का पत्थर स्थापित किया है। उनके पास सबसे छोटे कद का होने का अनोखा रिकॉर्ड है और उन्होंने इस चुनाव में 118 वोटों से जीत दर्ज की। लक्ष्मण ने कुल 348 वोट प्राप्त किए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कैलाश राम ने 230, पप्पू लाल ने 227, और प्रताप राम ने 181 वोट प्राप्त किए। यह जीत उनके परिवार और समर्थकों के लिए गर्व की एक नई कहानी है।
अनोखे प्रचार का तरीका
लक्ष्मण का प्रचार का अंदाज हमेशा खास रहा है। वे खच्चर पर सवार होकर गाँव-गाँव वोट मांगने गए और अपने अनोखे कॉमेडी अंदाज में लोगों को लुभाते रहे। इस चुनाव में उनकी लोकप्रियता का एक बड़ा कारण यही था कि उन्होंने लोगों से सीधे संवाद स्थापित करने का प्रयास किया। यह सब दर्शाता है कि कैसे एक साधारण आदमी ने अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया और समाज में क्रांति लाने का प्रयास किया।
यू ट्यूबरों की हार का सफर
वहीं, इस चुनाव में कई प्रमुख सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर भी चुनावी मैदान में थे, लेकिन वे लक्ष्मण की तरह सफलता प्राप्त नहीं कर पाए। फेसबुक और यूट्यूब पर अपनी पहचान बना चुकी व्लॉगर दीपा नेगी, जो रुद्रप्रयाग की ग्राम सभा सुवांस स्वारीग्वास-घिमतोली से चुनाव लड़ रही थीं, हार गईं। उन्हें 256 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंदी कविता देवी को 480 वोट मिले। इसी तरह, दीप्ति बिष्ट, जो पिथौरागढ़ में प्रधान का चुनाव लड़ रही थीं, को भी महज 55 वोट मिले, जो दर्शाता है कि सिर्फ सोशल मीडिया पर फेमस होना चुनावी सफलता की गारंटी नहीं है।
समाज और राजनीति में बदलाव की जरुरत
इस चुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विकास और ईमानदारी से कार्य करने वाले उम्मीदवारों को ज्यादा तरजीह दी जा रही है। लक्ष्मण जैसे व्यक्ति ने साबित कर दिया कि यदि मन में साहस हो तो हर किसी को अपने सपने पूरे करने का मौका मिल सकता है। यह न केवल उनके लिए, बल्कि सभी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक प्रेरणा है।
निष्कर्ष
इस बार के चुनावों में जितना महत्वपूर्ण लक्ष्मण सिंह की जीत है, उतना ही इन परिणामों ने यह भी दिखाया है कि सामाजिक मीडिया व्यवसायियों को अपनी पहुँच से ज्यादा वोटों के लिए समझदारी और ईमानदारी से काम करना पड़ेगा। एक छोटे से आदमी की बड़ी छलांग ने क्या संभव किया, इसे हमारे समाज को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना होगा।
इस लेख का उद्देश्य यह समझाना था कि किस तरह से छोटे कद का एक व्यक्ति, अपने विचारधारा और मेहनत से सामाजिक राजनीति में एक बड़ी पहचान बना सकता है। भविष्य के चुनावों में हमें ऐसे और उदाहरण देखने की उम्मीद है।
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लेख: टीम avpganga
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