राशनकार्ड सत्यापन अभियान में 14,228 यूनिट मानकों पर खरे नहीं उतरे
जिलाधिकारी के निर्देश पर चला अभियान: अपात्र कार्डधारकों पर हुई कार्रवाई पूरे जिले में डोर-टू-डोर सर्वे में 3,136 राशनकार्ड व 14,228 यूनिट अपात्र पाए गए पात्र व्यक्तियों को दिया… The post राशनकार्ड सत्यापन अभियान में 14,228 यूनिट मानकों पर खरे नहीं उतरे first appeared on .

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लेखिका: सुनीता मेहता, प्रिया सिंह, और टीम avpganga
पौड़ी, 28 सितम्बर, 2025 – जनपद गढ़वाल में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया के सहायक में आयोजित राशनकार्ड सत्यापन अभियान ने हाल ही में एक चौंकाने वाला परिणाम प्रस्तुत किया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत, जिले में डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान कुल 3,136 राशनकार्ड और 14,228 यूनिट मानकों पर खरे नहीं उतरने का खुलासा हुआ। इस प्रक्रिया से अपात्र कार्डधारकों पर कार्रवाई की गई है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि खाद्य सामग्री का लाभ सिर्फ जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचे।
अभियान की जानकारी
जिलाधिकारी के निर्देश के अनुसार, यह राशनकार्ड सत्यापन अभियान पूरे जिले में फैलाया गया, जिससे स्थानीय प्रशासन को वास्तविक स्थिति का पता लगाने में मदद मिली। सर्वेक्षण के नतीजों से पता चला कि कई लोग योग्य नहीं थे, लेकिन फिर भी उनके पास राशन कार्ड थे।
अपात्र यूनिट की जानकारी
जिला पूर्ति अधिकारी, अरुण वर्मा ने बताया कि इस अभियान के तहत अलग-अलग योजनाओं द्वारा अपात्र कार्डों और यूनिटों की संख्या का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया गया। अंत्योदय अन्न योजना से 199 कार्ड और 883 यूनिट, प्राथमिक परिवार योजना से 1,259 कार्ड और 6,604 यूनिट, और राज्य खाद्य योजना से 1,678 कार्ड और 6,741 यूनिट अपात्र पाई गई।
क्या हैं मुख्य उद्देश्य?
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को सही ढंग से लाभ प्रदान करना है। खाद्य योजनाओं की पारदर्शिता बनाए रखना और सुनिश्चित करना कि संसाधन सही स्थान पर पहुँचें, यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। अधिकारी वर्मा ने भी स्वीकार किया कि अपात्र व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
आगे की योजना
भविष्य में, ऐसी योजना-आधारित गतिविधियों को जारी रखने की उम्मीद है। इससे सरकार को योजना के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और प्रभावशीलता बनाए रखने में मदद मिलेगी। अधिकारी यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि पात्र परिवारों को उनका अधिकार समय पर दिया जाए।
निष्कर्ष
इस अभियान की सफलता यह साबित करती है कि यदि जितनी मेहनत से रोजगार और खाद्य सामग्री का वितरण किया जाए, उतनी ही मेहनत से अपात्र व्यक्तियों का पता लगाकर उन्हें सिस्टम से बाहर किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से प्रतीत होता है कि सरकार अपने संसाधनों को सही दिशा में लगाने की पूरी कोशिश कर रही है।
आखिरकार, राशनकार्ड सत्यापन अभियान न केवल गढ़वाल, बल्कि पूरे देश के लिए एक उदाहरण है कि कैसे पारदर्शिता, जिम्मेदारी और निष्पक्षता के मिश्रण द्वारा आवश्यक सेवाएँ सही लाभार्थियों तक पहुँचाई जा सकती हैं।
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