हाईकोर्ट ने कहा हमारी मंशा पंचायत चुनाव टालना नहीं, नियमों का पालन जरूरी, सरकार ने पेश किया आरक्षण रोस्टर

नैनीताल: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण रोस्टर निर्धारण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई आज भी जारी रही. मामले में सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हुई. आज सरकार की ओर से आरक्षण का रोस्टर कोर्ट में पेश किया गया. जिस पर याचिकाकर्ताओं ने अध्ययन के लिए आज का समय मांगा. […] The post हाईकोर्ट ने कहा हमारी मंशा पंचायत चुनाव टालना नहीं, नियमों का पालन जरूरी, सरकार ने पेश किया आरक्षण रोस्टर appeared first on Dainik Uttarakhand.

Jun 27, 2025 - 09:33
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हाईकोर्ट ने कहा हमारी मंशा पंचायत चुनाव टालना नहीं, नियमों का पालन जरूरी, सरकार ने पेश किया आरक्षण रोस्टर
हाईकोर्ट ने कहा हमारी मंशा पंचायत चुनाव टालना नहीं, नियमों का पालन जरूरी, सरकार ने पेश किया आरक्ष�

हाईकोर्ट ने कहा हमारी मंशा पंचायत चुनाव टालना नहीं, नियमों का पालन जरूरी, सरकार ने पेश किया आरक्षण रोस्टर

नैनीताल: उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर के निर्धारण को लेकर याचिकाओं पर सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बताया कि उनकी मंशा चुनावों को टालना नहीं है, बल्कि नियमों का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पंचायती चुनाव की तैयारी में बाधाएं

आज सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में आरक्षण का रोस्टर प्रस्तुत किया, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं ने इस पर अध्ययन के लिए और समय की मांग की। दरअसल, राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में हरिद्वार जिले को छोड़कर 12 अन्य जिलों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी, जिसके अनुसार चुनाव करीब दो चरणों में होने थे।

हाईकोर्ट का रुख

मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र तथा न्यायमूर्ति आलोक मेहरा ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को बिना नियमों का पालन किए नहीं आगे बढ़ाया जा सकता। याचिकाकर्ताओं द्वारा उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम और संविधान के अनुच्छेद 243 टी, डी का उल्लेख करते हुए कहा गया कि आरक्षण रोस्टर की प्रक्रिया संवैधानिक आवश्यकताओं का पालन करती है।

आरक्षण रोस्टर की नेपथ्य

महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने सरकार की ओर से अपने तर्क प्रस्तुत किए, जिसमें बताया गया कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण रोस्टर को सही ठहराना आवश्यक था। उन्होंने अपनी बात को मजबूती से रखते हुए कहा कि नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करना पहली प्राथमिकता है।

गज़ट नोटिफिकेशन और आगे की प्रक्रिया

महाधिवक्ता ने यह भी बताया कि 9 जून को जारी किए गए नियमों को 14 जून को गज़ट में नोटिफाई किया गया था। हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया। आज की सुनवाई में, कोर्ट ने फिर से 27 जून को सुनवाई की तिथि निर्धारित की।

चुनाव की स्थिति

हालांकि, हाल के घटनाक्रम की वजह से चुनाव प्रक्रिया पर रोक लग गई है, क्योंकि आरक्षण रोस्टर को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। 24 जून को राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव को आगे के आदेशों तक स्थगित कर दिया। इस स्थिति में, स्पष्टता की अनुपस्थिति से चुनावी प्रक्रिया जटिल हो गई है।

निष्कर्ष

हाईकोर्ट का स्पष्ट कहना है कि चुनाव को स्थगित करने का उनका कोई इरादा नहीं है, लेकिन नियमों का पालन करना अनुशासनिक आवश्यकताएं हैं। अगले सप्ताह होने वाली सुनवाई में पुनः इस विषय पर चर्चा की जाएगी, जिससे पता चलेगा कि चुनावी प्रक्रिया कितनी जल्दी पुन: शुरू हो सकती है।

अगले सुनवाई की तिथि तक, सभी की नजरें राज्य निर्वाचन आयोग पर रहेंगी, जो इस संकट के समय में स्पष्ट एवं प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकती है।

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लोगों का ध्यान इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बरकरार रहेगा, जो उत्तराखंड की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

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