AIIMS में इलाज के दौरान ओडिशा की नाबालिग की मौत:19 जुलाई को जिंदा जलाया गया था; पुलिस बोली-किसी के शामिल होने के सबूत नहीं
ओडिशा के बायाबर गांव में में 19 जुलाई को कुछ लोगों ने 15 साल की एक लड़की को जिंदा जला दिया था। अब इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई है। लड़की को गंभीर हालत में पहले भुवनेश्वर और फिर दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया था। नाबालिग की मौत के बाद ओडिशा पुलिस ने कहा कि जांच में अब तक किसी और व्यक्ति के शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, लड़की की मां FIR में तीन अज्ञात लोगों पर बेटी को जलाने का आरोप लगाया था। वहीं, मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस घटना पर गहरा दुख जताते हुए X पर लिखा, मैं इस दुखद खबर से स्तब्ध हूं। सरकार और एम्स दिल्ली के डॉक्टरों की हर कोशिश के बावजूद हम उसकी जान नहीं बचा सके। पीड़ित परिवार की हर संभव मदद और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। ओडिशा के पुरी में 19 जुलाई को 15 साल की नाबालिग लड़की पर तीन लोगों ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी थी। लड़की की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है। उसे 20 जुलाई को भुवनेश्वर एम्स से एयरलिफ्ट करके दिल्ली एम्स लाया गया था। यहां उसे बर्न्स और प्लास्टिक सर्जरी ब्लॉक के ICU में भर्ती किया गया था। डॉक्टरों की एक टीम उसकी हालत पर लगातार नजर रख रही थी। लड़की को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। इतनी कवायद के बाद भी नाबालिग को बचाया नहीं जा सका। पुलिस ने बताया कि उन्होंने मामले की जांच पूरी ईमानदारी से की है और यह अंतिम चरण में है। वैज्ञानिक टीम, डॉग स्क्वॉड और वरिष्ठ अफसरों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। एक विशेष जांच टीम (SIT) भी बनाई गई है। हालांकि, पुलिस ने अब तक यह साफ नहीं किया कि लड़की को आग कैसे लगी। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे इस दुखद समय में संवेदनशील बयान न दें। 22 जुलाईः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम शर्मिंदा हैं इससे पहले 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'हम शर्मिंदा हैं।' जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने सोमवार को कहा कि ग्रामीण इलाकों की स्कूली लड़कियों, घरेलू महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित वातावरण मिलना चाहिए। कोर्ट ने केंद्र और सभी पक्षों से ठोस सुझाव मांगे हैं। कोर्ट ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और महिला सुरक्षा पर गंभीर चिंता जताई। सहेली के घर जाते वक्त तीन लोगों ने आग लगा दी थी घटना पुरी जिले के बायाबर गांव में उस वक्त हुई जब पीड़ित लड़की अपनी सहेली के घर जा रही थी। तीन लोगों ने उसे रास्ते में रोका और पेट्रोल डालकर आग लगा दी। छात्रा को आग क्यों लगाई, अभी तक इसकी कोई वजह सामने नहीं आई है। नवीन पटनायक बोले- राज्य में अपराधी बेखौफ ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि इस घटना की मुझे बेहद पीड़ा है। दिनदहाड़े एक बच्ची को जलाने की कोशिश की गई, यह बेहद डरावनी बात है। एक हफ्ते पहले ही एफएम कॉलेज की छात्रा ने न्याय न मिलने पर खुद को आग लगा ली थी। एक महीना पहले गोपालपुर में भी एक भयानक घटना हुई थी। पटनायक ने सवाल किया, 'क्या अब सरकार जागेगी? क्या अपराधियों को जल्द पकड़ा जाएगा? और क्या आगे ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे? ओडिशा की बेटियां इसका जवाब चाहती हैं।' 12 जुलाई- छात्रा ने आत्मदाह किया, आरोपी अरेस्ट 17 जुलाई: कांग्रेस सहित 8 पार्टियों का प्रदर्शन सेक्शुअल हैरेसमेंट की शिकार छात्रा की मौत को लेकर विपक्ष ने 17 जुलाई को ओडिशा बंद बुलाया था। प्रदर्शनकारियों ने भद्रक में ट्रेन को रोका था। भुवनेश्वर में बसों का चक्काजाम किया गया था। भद्रक जिले के चेन्नई-कोलकाता हाईवे पर टायर जलाए गए थे, जिसके चलते ट्रकों की लंबी कतार लग गई थी। मयूरभंज में भी लोग सड़क पर प्रदर्शन करने उतरे थे कांग्रेस सहित 8 विपक्षी पार्टियां इस प्रदर्शन में शामिल हुईं थीं। इनमें बीजू जनता दल, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी CPI(M), सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (SUCI) के नेता-कार्यकर्ता भी प्रदर्शन में नजर आए थे। पूरी खबर पढ़ें... ------------------------------------------------ मामले से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... 'जलती लड़की दरवाजे पर गिरी, बोली- भैया बचा लो', तीन अनजान लड़कों ने हाथ-पैर बांधकर जलाया 'मैं अपने घर में चाय पी रहा था। तभी एक लड़की भागते हुए घर की तरफ आई। वो जल रही थी। भागते-भागते वो दरवाजे पर आकर गिर गई। उसने पानी मांगा। बोली- भैया मुझे बचा लो। मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूं। मैंने उस पर पानी डाला।' पूरी खबर पढ़ें...

AIIMS में इलाज के दौरान ओडिशा की नाबालिग की मौत: 19 जुलाई को जिंदा जलाया गया था, पुलिस बोली— किसी के शामिल होने के सबूत नहीं
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ओडिशा के बायाबर गांव में 19 जुलाई को एक भयावह घटना घटित हुई जब तीन लोगों ने 15 वर्षीय एक लड़की को जिंदा जला दिया। इस दर्दनाक हादसे के बाद, लड़की को गंभीर हालत में भुवनेश्वर और फिर दिल्ली के AIIMS अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने राज्य में महिला सुरक्षा के मुद्दे को एक बार फिर से उठाया है और इसकी गंभीरता को देखते हुए, कई राजनीतिक नेताओं ने इस निरंतर बढ़ते अपराध का विरोध किया है।
घटना का विवरण: कैसे हुआ यह सब?
आपराधिक घटना तब हुई जब लड़की अपनी सहेली के घर जा रही थी। रास्ते में, तीन लोगों ने उसे रोका और पेट्रोल डालकर उसकी जान लेने की कोशिश की। इस मामले में, लड़की की मां ने FIR में तीन अज्ञात व्यक्तियों पर केस दर्ज कराया है, जबकि पुलिस द्वारा कहा गया है कि जांच में किसी अन्य के शामिल होने के सबूत नहीं मिले हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि वैज्ञानिक टीम, डॉग स्क्वॉड और वरिष्ठ अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है।
मौत के बाद पुलिस की प्रतिक्रिया
लड़की की मृत्यु के बाद, ओडिशा पुलिस ने कहा कि उन्हें जांच के बारे में किसी और के शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिला है। इस पर स्थानीय लोगों में असंतोष है और जानकारी के अभाव में वे ऊहापोह की स्थिति में हैं। धन्यवादी यह है कि घटना के बाद एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई गई है ताकि इस जघन्य अपराध की गहराई से जांच की जा सके।
मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा, "मैं इस दुखद खबर से स्तब्ध हूं।" उन्होंने यह भी कहा कि सरकार पीड़ित परिवार की हर संभव मदद करेगी और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
नागरिकों की सुरक्षा पर चिंता
इस घटना के बाद से, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "दिनदहाड़े एक बच्ची को जलाना बेहद डरा देने वाली बात है। क्या अब सरकार अपराधियों को जल्द पकड़ने के लिए ठोस कदम उठाएगी?" इस सवाल ने कई लोगों के मन में राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां
22 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना के बारे में कहा, "हम शर्मिंदा हैं।" कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण इलाकों के बच्चों और महिलाओं को सुरक्षा मिलनी चाहिए। न्यायालय ने केंद्र और सभी संबंधित पक्षों से ठोस सुझाव मांगे हैं।
समाज का प्रतिक्रिया और प्रदर्शन
नागरिकों ने भी इस मामले को लेकर आक्रोश व्यक्त किया है। 17 जुलाई को, विपक्ष ने ओडिशा बंद का आह्वान किया, जिसमें कई लोगों ने ट्रेनें रोकी और सड़कों पर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों में कांग्रेस, बीजू जनता दल और अन्य पार्टियों के नेता शामिल हुए।
निष्कर्ष
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त महिला सुरक्षा की कमी का संकेत भी है। सभी प्रयासों के बावजूद, अगर अपराधियों को गंभीर सजा नहीं दी जाती है, तो आने वाले समय में इस तरह की घटनाएँ और बढ़ सकती हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की जघन्य घटनाएं पुनः न हों। अब समय है कि सरकार और समाज को एकजुट होकर इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए।
ओडिशा की नाबालिग के साथ घटी यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमें एक संवेदनशील और सुरक्षित समाज का निर्माण करना चाहिए।
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