किन्नर कैलाश यात्रा में फंसे 889 तीर्थयात्रियों को बचाया:ITBP ने चलाया ऑपरेशन, भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बिगड़े हालात
किन्नौर में गुरुवार को कैलाश यात्रा मार्ग पर भारी बारिश और भूस्खलन के कारण फंसे 889 तीर्थयात्रियों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने सुरक्षित बाहर निकाला है। 17वीं वाहिनी के सेनानी सुनील कुमार ने बताया कि किन्नौर प्रशासन से मदद का अनुरोध मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई। सहायक सेनानी समीर संगोलकी के नेतृत्व में 32 जवानों की एक पर्वतारोहण टीम घटनास्थल की ओर रवाना हुई। टीम को मौके पर पहुंचने के लिए लगभग 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। शाम 5:30 बजे बचाव अभियान शुरू किया गया। जवानों ने पर्वतारोहण और रस्सी बचाव की विशेष तकनीकों का उपयोग करते हुए 10 घंटे से ज्यादा समय तक लगातार काम किया। सभी तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। बचे हुए तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए प्रशासन के एक और अनुरोध पर 16 जवानों की एक अन्य टीम ने दूसरे चरण में कुल 476 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस प्रकार आईटीबीपी के जवानों ने कुल 889 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित बचाकर अपनी कर्तव्यनिष्ठा और शौर्य का परिचय दिया

किन्नर कैलाश यात्रा में फंसे 889 तीर्थयात्रियों को बचाया: ITBP ने चलाया ऑपरेशन, भारी बारिश और भूस्खलन के कारण बिगड़े हालात
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किन्नौर में गुरुवार को हुई अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदा के कारण 889 तीर्थयात्रियों को बचाने का उत्कृष्ट अभियान भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने चलाया। भारी बारिश और भूस्खलन के चलते कैलाश यात्रा मार्ग पर उत्पन्न संकट के बीच इस अभियान ने सभी को राहत दी।
संकट की घड़ी में तत्परता
आईटीबीपी के 17वीं वाहिनी के सेनानी सुनील कुमार ने जानकारी दी कि किन्नौर प्रशासन से मदद की अपील मिलने पर तुरंत कार्रवाई की गई। सहायक सेनानी समीर संगोलकी के नेतृत्व में 32 जवानों की एक पर्वतारोहण टीम घटनास्थल की ओर रवाना हुई। वहां पहुँचने के लिए टीम को लगभग 5 किलोमीटर की कठिनाई का सामना करना पड़ा। बचाव कार्य का शुभारंभ शाम 5:30 बजे किया गया।
दृढ़ता और साहस की मिसाल
आईटीबीपी के जवानों ने पर्वतारोहण और रस्सी बचाव की विशेष तकनीकों का उपयोग करते हुए लगातार 10 घंटे तक काम किया। इस दौरान उन्होंने संकल्प और साहस का बेहतरीन उदाहरण पेश किया। सभी तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने में सफलता प्राप्त की गई।
सफलता का दूसरा चरण
बचे हुए तीर्थयात्रियों को निकालने के लिए प्रशासन के एक नया अनुरोध मिलने पर, 16 जवानों की एक दूसरी टीम ने दूसरे चरण में कुल 476 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकालने का कार्य किया। इस तरीके से आईटीबीपी के जवानों ने कुल 889 तीर्थयात्रियों को सुरक्षित बचाकर अपना कर्तव्य निभाया। इस घटनाक्रम ने यह दर्शाया कि हमारी सुरक्षा बल कितने दृढ़निश्चयी और साहसी होते हैं।
हमारी टिप्पणी
यह घटना न केवल कर्तव्यनिष्ठा की एक प्रेरक कहानी है, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाती है कि कुदरती आपदाओं के समय मानवता कैसे एकजुट होती है। इस प्रकार के मिशनों में जवानों की शौर्य और उनकी दृढ़ता सभी के लिए प्रेरणा बनीं। हालांकि, भविष्य में हमें प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए और अधिक तैयार रहने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
कैलाश यात्रा के दौरान भारी बारिश और भूस्खलन के कारण उत्पन्न स्थिति ने न केवल तीर्थयात्रियों की हिम्मत को परखा, बल्कि बचाव कार्य में आईटीबीपी के जवानों ने फिर से यह प्रमाणित किया कि वे हमेशा देश की सेवा में तत्पर हैं। ऐसे में, सभी को सुरक्षित बाहर निकालने के साथ-साथ यह अभियान हमें सामूहिकता और सच्ची मानवता की परिभाषा भी देता है।
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