किश्तवाड़ त्रासदी- खून से सने शव, फेफड़ों में कीचड़ भरा:अंग बिखरे पड़े; अब तक 52 की मौत, 167 लोगों को बचाया गया

जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ के चशोटी गांव में 14 अगस्त की दोपहर 12:30 बजे बादल फटा। कई लोग पहाड़ से आए पानी और मलबे की चपेट में आ गए। हादसे में अब तक 52 लोगों की मौत हो गई है। अब तक 167 लोगों को बचाया गया है। करीब 100 से ज्यादा लोग लापता हैं। हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए किश्तवाड़ में पड्डर सब-डिवीजन में चशोटी गांव पहुंचे थे। यह यात्रा का पहला पड़ाव है। बादल वहीं फटा है, जहां से यात्रा शुरू होने वाली थी। यहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें थीं। सभी बाढ़ के पानी में बह गए। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, इस त्रासदी के मंजर डराने वाले हैं। मलबे में कई शव खून से सने थे। फेफड़ों में कीचड़ भर गया था। टूटी पसलियां और अंग बिखरे पड़े थे। स्थानीय लोगों, सेना के जवानों और पुलिस ने घायलों को घंटों मशक्कत के बाद कीचड़ भरे इलाके से खोदकर अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया। किश्तवाड़ में जहां फ्लैश फ्लड हुआ जानिए उस इलाके को चशोटी किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर और मचैल माता मंदिर के रास्ते पर पहला गांव है। यह जगह पड्डर घाटी में है, जो 14-15 किलोमीटर अंदर की ओर है। इस इलाके के पहाड़ 1,818 मीटर से लेकर 3,888 मीटर तक ऊंचे हैं। इतनी ऊंचाई पर ग्लेशियर (बर्फ की चादर) और ढलानें हैं, जो पानी के बहाव को तेज करती हैं। मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल अगस्त में होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलेगी। यह रूट जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किमी लंबा है और इसमें पद्दर से चशोटी तक 19.5 किमी की सड़क पर गाड़ियां जा सकती हैं। उसके बाद 8.5 किमी की पैदल यात्रा होती है। आपदा की 7 तस्वीरें... किश्तवाड़ आपदा से जुड़े पल-पल के अपडेट्स के लिए नीचे के ब्लॉग से गुजर जाएं...

Aug 15, 2025 - 00:33
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किश्तवाड़ त्रासदी- खून से सने शव, फेफड़ों में कीचड़ भरा:अंग बिखरे पड़े; अब तक 52 की मौत, 167 लोगों को बचाया गया
किश्तवाड़ त्रासदी- खून से सने शव, फेफड़ों में कीचड़ भरा:अंग बिखरे पड़े; अब तक 52 की मौत, 167 लोगों को बचाया ग�

किश्तवाड़ त्रासदी- खून से सने शव, फेफड़ों में कीचड़ भरा: अंग बिखरे पड़े; अब तक 52 की मौत, 167 लोगों को बचाया गया

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जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ के चशोटी गांव में 14 अगस्त की दोपहर 12:30 बजे अचानक बादल फटने से हुई त्रासदी ने इलाके में अफरा-तफरी मचा दी। यह प्राकृतिक आपदा उस समय आई जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता तीर्थ यात्रा पर निकले थे। चश्मदीदों के अनुसार, पानी और मलबे के साथ कई लोग बह गए, जिससे स्थिति भयावह हो गई। इस हादसे में अब तक 52 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि 167 लोगों को बचाया गया है। इसके अतिरिक्त, लगभग 100 लोग अब भी लापता हैं। यह त्रासदी मानवता के लिए एक कठोर अनुस्मारक है कि प्राकृतिक आपदाएं कितनी भयानक हो सकती हैं।

ऐसी घटनाओं की पृष्ठभूमि

किश्तवाड़ में बाढ़ का पानी तब तेजी से बढ़ गया जब पहाड़ों के ऊंचे क्षेत्रों से जलस्तर अचानक बढ़ा। चशोटी गांव वह स्थान है, जहां श्रद्धालु मचैल माता की यात्रा से पहले रुके थे। यह यात्रा हर साल अगस्त में होती है, जो कि श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। हादसे के समय वहां बसें, टेंट और लंगर मौजूद थे, जो सभी बाढ़ के पानी में बह गए।

हादसे का भयावह मंजर

न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, बाढ़ के मलबे में कई शव खून से सने हुए पाए गए। स्थानीय लोगों, सेना के जवानों, और पुलिस ने घंटों की मेहनत के बाद घायलों को कीचड़ भरे इलाके से निकाला। दर्शकों ने यह भयावह दृश्य देखा, जहां फेफड़ों में कीचड़ भरा हुआ था और कई शवों के अंग बिखरे पड़े थे। यह स्थिति निश्चित रूप से एक गंभीर संकट का संकेत है।

छोटे दृश्य और स्थानीय कार्रवाई

स्थानीय समुदाय और बचाव दल ने मिलकर राहत कार्य शुरू किया है। घायलों को पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाने के लिए घंटे बीत गए। बहुत से लोग अभी भी लापता हैं, और दुर्घटना स्थल पर खोजबीन जारी है। प्रशासन और स्थानीय संगठन संकट का सामना करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

भविष्य में सावधानी

इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी जागरूकता और तैयारी कितनी आवश्यक है। आदriana की बाढ़ के कारण, हमें अब और अधिक सतर्क रहना होगा, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में।

निष्कर्ष

किश्तवाड़ की यह त्रासदी केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि हमारे लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। हमें अधिक तैयारी और जागरूकता की आवश्यकता है ताकि हम भविष्य में ऐसी घटनाओं को यथासंभव रोक सकें। हमारे विचार इस दुखद घटना के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं।

हमारी ओर से दिल से संवेदनाएँ, सहायता और यथासंभव राहत प्रदान करने के प्रयासों को जारी रखना आवश्यक है।

Written by: Anjali Sharma, Priya Singh, Neha Verma - team avpganga

Keywords:

natural disaster, flash floods, Kishtwar tragedy, Chashoti village, emotional response, Macheil Mata pilgrimage, Jammu & Kashmir disaster, rescue operation, loss and recovery, community support

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