सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा की जांच के लिए SIT बनाई:ये रिलायंस फाउंडेशन का वाइल्डलाइफ रेस्क्यू, रिहैबिलिटेशन सेंटर; हथिनी की शिफ्टिंग से शुरू हुआ विवाद

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के जामनगर में वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच के लिए 4 सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की। इस सेंटर को रिलायंस फाउंडेशन चलाता है। अदालत ने कहा कि SIT यह जांच करेगी कि जानवरों को भारत और विदेश से लाने में वन्यजीव संरक्षण कानून और अंतरराष्ट्रीय संधियों का पालन हुआ या नहीं। जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा- SIT को 12 सितंबर 2025 तक रिपोर्ट सौंपनी होगी। SIT पशु कल्याण, आयात-निर्यात कानून, वाइल्डलाइफ तस्करी, पानी और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग जैसे मुद्दों की भी जांच करेगी। SIT की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। टीम में जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व चीफ जस्टिस, उत्तराखंड व तेलंगाना HC), पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता शामिल हैं। ये याचिका कोल्हापुर की मशहूर हथिनी (माधुरी) की वनतारा में शिफ्टिंग को लेकर याचिका लगाई गई है। इसमें याचिकाकर्ता का पक्ष एडवोकेट सीआर जया सुकीन रख रहे हैं। 14 अगस्त- कोर्ट ने याचिका में वनतारा को पक्षकार बनाने को कहा याचिका पर पहली सुनवाई 14 अगस्त को हुई थी। इस दौरान जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील सीआर जया सुकीन से कहा था कि वह वनतारा पर आरोप लगा रहे हैं। जबकि उसे याचिका में पक्षकार के रूप में शामिल ही नहीं किया गया है। अदालत ने उन्हें वनतारा को पक्षकार बनाने और फिर मामले में लौटने को कहा। अब इस मामले की सुनवाई 25 अगस्त को होगी। इससे पहले CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ 11 अगस्त को हथिनी को वनतारा भेजने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई को सहमत हुई थी। पहले समझिए मामला क्या है 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि हथिनी माधुरी को वनतारा में शिफ्ट किया जाए। यह आदेश PETA इंडिया की ओर से हथिनी की सेहत, गठिया और मानसिक तनाव को लेकर जताई गई चिंताओं के बाद दिया गया था। इससे पहले दिसंबर 2024 में, बॉम्बे हाईकोर्ट ने हथिनी के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए उसे गुजरात के वनतारा पशु अभयारण्य में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। फिर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। यह मामला 2023 से चल रहा है। माधुरी को वनतारा शिफ्ट किए जाने पर कोल्हापुर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुआ। लोगों ने उसको वापस लाने के लिए हस्ताक्षर किए। धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। 7 अगस्त को वनतारा का बयान- शिफ्टिंग कोर्ट के आदेश पर हथिनी विवाद पर वन्यजीव संस्था वनतारा ने 7 अगस्त को बयान जारी किया। इसमें कहा कि हथिनी 'माधुरी' को वनतारा शिफ्ट करने का फैसला उसका नहीं था, बल्कि यह माननीय सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों के तहत हुआ। वनतारा ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के अनुसार उसकी भूमिका माधुरी की देखभाल, पशु-चिकित्सा सहायता और अस्थायी पुनर्वास तक ही सीमित थी। उसने न तो माधुरी को शिफ्ट करने की कोई सिफारिश की और न ही इससे जुड़ा फैसला लिया। अगर हमारी किसी बात, निर्णय या प्रक्रिया से जैन समुदाय या कोल्हापुरवासियों को दुख पहुंचा हो, तो उसके लिए मन से माफी मांगते हैं। वनतारा ने अपने बयान में और क्या कहा वनतारा संस्थान ने कहा- "मिच्छामी दुक्कड़म" यानी अगर हमने किसी को जाने-अनजाने ठेस पहुंचाई हो, तो कृपया हमें क्षमा करें। हमारा उद्देश्य केवल माधुरी की भलाई है। हम सभी को मिलकर उसके हित में एकजुट होना चाहिए। जैन मठ में 32 साल से रह रही थी कोल्हापुर के नांदणी गांव के जैन भट्टारक पट्टाचार्य महास्वामी संस्थान मठ में माधुरी नाम की हथिनी को 1992 में लाया गया था। इस जैन मठ में 700 सालों से ये परंपरा है कि यहां हाथी पाला जाता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। यहां माधुरी हथिनी को तब लाया गया था, जब वह सिर्फ 4 साल की थी। वह यहां 32 सालों से रह रही थी।

Aug 26, 2025 - 00:33
 117  6k
सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा की जांच के लिए SIT बनाई:ये रिलायंस फाउंडेशन का वाइल्डलाइफ रेस्क्यू, रिहैबिलिटेशन सेंटर; हथिनी की शिफ्टिंग से शुरू हुआ विवाद
सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा की जांच के लिए SIT बनाई:ये रिलायंस फाउंडेशन का वाइल्डलाइफ रेस्क्यू, रिहैबि�

सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा की जांच के लिए SIT बनाई:ये रिलायंस फाउंडेशन का वाइल्डलाइफ रेस्क्यू, रिहैबिलिटेशन सेंटर; हथिनी की शिफ्टिंग से शुरू हुआ विवाद

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - avpganga

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के जामनगर में स्थित वनतारा वाइल्डलाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर की जांच के लिए चार सदस्यीय स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है। यह सेंटर रिलायंस फाउंडेशन द्वारा संचालित है। अदालत ने निर्देश दिया है कि SIT यह तस्दीक करे कि जानवरों को भारत और अन्य देशों से लाने में वन्यजीव संरक्षण कानून और अंतरराष्ट्रीय संधियों का पालन हुआ या नहीं।

जांच का उद्देश्य और गठन

जस्टिस पंकज मित्तल और पीबी वराले की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि SIT को अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर 2025 तक प्रस्तुत करनी होगी। इस टीम में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर को अध्यक्ष बनाया गया है। इसमें जस्टिस राघवेंद्र चौहान (पूर्व चीफ जस्टिस, उत्तराखंड व तेलंगाना हाईकोर्ट), पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और कस्टम्स अधिकारी अनिश गुप्ता भी शामिल हैं।

SIT की जांच में पशु कल्याण, आयात-निर्यात कानून, वाइल्डलाइफ तस्करी, पानी और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह जांच तब शुरू हुई जब कोल्हापुर की एक मशहूर हथिनी, माधुरी की वनतारा में स्थानांतरण को लेकर याचिका दायर की गई थी।

हथिनी की शिफ्टिंग और विवाद

माधुरी को 1992 में कोल्हापुर के नांदणी गांव के जैन मठ में लाया गया था, जहां वह 32 साल से रह रही थी। 16 जुलाई को बॉम्बे हाईकोर्ट ने उसके स्थानांतरण का आदेश दिया, जिसके बाद इसे वनतारा में भेजा गया। हालाँकि, इस कदम पर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया, जो धार्मिक परंपराओं और भावनाओं को ठेस पहुँचाते हुए मानते हैं।

7 अगस्त को, वनतारा ने एक बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया कि उसने माधुरी की शिफ्टिंग का निर्णय नहीं लिया है। बल्कि यह निर्णय उच्च न्यायालयों के आदेशों पर आधारित है। वनतारा ने कहा कि वह केवल माधुरी की देखभाल और पशु चिकित्सा सहायता के लिए जिम्मेदार है।

सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को सुनवाई के दौरान वनतारा को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। इस समय, जस्टिस मित्तल और वराले ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि यदि उनका आरोप वनतारा पर है, तो इसे याचिका में शामिल करना आवश्यक है। अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।

आगे की राह

यह मामला 2023 से चल रहा है और इससे जुड़ी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट का रुख यह दर्शाता है कि वह वन्यजीव संरक्षण के सिद्धांतों पर गंभीरता से विचार कर रहा है। इस पूरी जांच के परिणामों का पशु संरक्षण कानूनों की व्याख्या पर व्यापक प्रभाव हो सकता है, खासकर जब यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्य जीवों के व्यापार की बात आती है।

हम सभी का यह दायित्व है कि हम जानवरों के कल्याण के प्रति संवेदनशील रहें। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि किसी भी जानवर का स्थानांतरण उसके भले के लिए किया जाएगा और उसे किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक पीड़ा का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इसके अलावा, यह भी स्पष्ट है कि जितना जरूरी मानव विकास है, उतना ही जरूरी हमारे पशु मित्रों का संरक्षण भी है। इस पर चर्चा कर सकते हैं और अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.

Keywords:

Supreme Court, Wildlife Rescue, Rehabilitation Centre, Reliance Foundation, Madhuri Elephant, Wildlife Conservation, Animal Welfare, SIT Investigation, Environmental Law, Animal Rights

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow