किश्तवाड़ में बादल फटा, 33 लोगों की मौत:चशोटी गांव में मचैल माता की धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचे कई लोग बहे, 65 को बचाया
जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ के चशोटी गांव में गुरुवार दोपहर 12:30 बजे बादल फटा। कई लोग पहाड़ से आए पानी और मलबे की चपेट में आ गए। हादसे में 33 लोगों की मौत हो गई है। इनके 28 शव भी मिल गए हैं। अब तक 65 लोगों को बचाया गया है। करीब 200 लोग लापता हैं। हादसा उस समय हुआ जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए किश्तवाड़ में पड्डर सब-डिवीजन में चशोटी गांव पहुंचे थे। यह यात्रा का पहला पड़ाव है। बादल वहीं फटा है, जहां से यात्रा शुरू होने वाली थी। यहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और कई दुकानें थीं। सभी बाढ़ के पानी में बह गए। मचैल माता तीर्थयात्रा हर साल अगस्त में होती है। इसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। यह 25 जुलाई से 5 सितंबर तक चलेगी। यह रूट जम्मू से किश्तवाड़ तक 210 किमी लंबा है और इसमें पद्दर से चशोटी तक 19.5 किमी की सड़क पर गाड़ियां जा सकती हैं। उसके बाद 8.5 किमी की पैदल यात्रा होती है। मैप से समझिए आपदा कैसे आई आपदा की 6 तस्वीरें... किश्तवाड़ आपदा से जुड़े पल-पल के अपडेट्स के लिए नीचे के ब्लॉग से गुजर जाएं...

किश्तवाड़ में बादल फटा, 33 लोगों की मौत: चशोटी गांव में मचैल माता की धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचे कई लोग बहे, 65 को बचाया
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जम्मू-कश्मीर में किश्तवाड़ के चशोटी गांव में गुरुवार दोपहर 12:30 बजे मौसम ने ज़बरदस्त कहर बरपाया, जब स्थानीय क्षेत्र में बादल फटने के कारण बाढ़ आ गई। इस खतरनाक घटना में 33 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से 28 शव प्राप्त किए जा चुके हैं। राहत कार्यों के तहत 65 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। अभी भी करीब 200 लोग लापता हैं। यह घटना उस समय हुई जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता की धार्मिक यात्रा के लिए चशोटी गांव पहुंचे थे।
हादसे का खौफनाक मंजर
बादल फटने की यह घटना तीर्थयात्रियों के लिए पहले पड़ाव के स्थान पर हुई। यह स्थान यात्रा की आरंभिक शुरुआत का स्थान बनता है, जहां श्रद्धालुओं की बसें, टेंट, लंगर और दुकानें थीं, जो अब बाढ़ के पानी में बह चुकी हैं। मचैल माता की यह तीर्थ यात्रा हर साल दुर्गा पूजा के समय, अगस्त में होती है और इस बार इसे 25 जुलाई से 5 सितंबर के बीच आयोजित किया जा रहा है।
राहत कार्य और बचाव अभियान
स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिया है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचकर बचाव कार्य में जुटी हैं। इसके साथ-साथ स्थानीय लोग भी 65 लोगों को बचाने में सक्रिय रूप से सहयोग कर रहे हैं। स्थिति गंभीर बनी हुई है और अन्य लापता लोगों को खोजने का प्रयास जारी है।
मौसम के प्रभाव
यह घटना कश्मीर क्षेत्र में मौसमी अस्थिरता का संकेत है। भारी बारिश और बर्फबारी की वजह से पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक खतरे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। विशेष रूप से तीर्थ यात्राओं के समय, जहां लाखों भक्त जुटते हैं, सतर्क रहना अत्यंत आवश्यक है। स्थानीय प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे मौसम की चेतावनियों पर ध्यान दें और सुरक्षित रहें।
समुदाय की एकजुटता
इस प्रकार की आपदाओं के समय, समुदाय की एकता और सहयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। सैकड़ों स्थानीय लोग राहत कार्य में शामिल हो गए हैं, आपसी मदद और सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए। श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता है और सभी संभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि किसी भी हानि को रोका जा सके।
निष्कर्ष
किश्तवाड़ में इस भीषण बाढ़ ने न केवल शोक का माहौल बनाया है, बल्कि सभी को यह याद दिलाया है कि प्रकृति के सामने हम कितने असहाय हैं। हमारे देश में जहाँ धार्मिक यात्रा का एक अलग ही महत्व है, वहाँ हमें अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस प्रकार की घटनाएँ हमें आपसी सहयोग और आपातकालीन तैयारियों की आवश्यकता का आभास कराती हैं। राहत कार्य जारी रहेगा, और हम उम्मीद करते हैं कि लापता लोगों को जल्द से जल्द ढूंढा जाएगा।
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