गड्ढों-मैनहोल से मौत पर अब ₹6 लाख मुआवजा मिलेगा:घायलों को ₹2.50 लाख तक मिलेंगे, बॉम्बे HC बोला- मुआवजे में देरी हुई तो अफसर-ठेकेदार जिम्मेदार होंगे
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में गड्ढों और खुले मैनहोल की वजह से होने वाली मौतों के मामलों में अब पीड़ित परिवारों को ₹6 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और संदीश डी. पाटिल की बेंच ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को इन हादसों में चोट लगती है, तो उसे 50 हजार रुपए से 2.50 लाख रुपए तक का मुआवजा मिलेगा। ऐसे हादसों के लिए ठेकेदारों के साथ-साथ नगरपालिका और सरकारी अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी योग्य पीड़ितों को 6 से 8 हफ्तों के भीतर मुआवजा दिया जाए। अगर देरी होती है तो संबंधित अधिकारी जैसे कमिश्नर, जिला कलेक्टर, सीईओ आदि व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे और उन्हें ब्याज सहित पैसा देना होगा। ये रकम जिम्मेदार अधिकारी, इंजीनियर या ठेकेदार से वसूली जाएगी। दरअसल, 2013 में तब के बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जीएस पटेल (रिटायर्ड) ने मुख्य न्यायाधीश को लेटर लिखकर मांग की थी कि मुंबई जैसे शहर में खराब सड़कों की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने इसी लेटर के आधार पर केस दर्ज किया था। सरकारी अधिकारियों पर जवाबदेही तय होगी हाईकोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है कि गड्ढों और खुले मैनहोल से होने वाली मौतों और चोटों के लिए जिम्मेदार लोगों को सीधे जवाबदेह ठहराया जाए। जब तक अधिकारियों और ठेकेदारों को व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा, तब तक वे इस गंभीर मुद्दे को समझ नहीं पाएंगे। बेंच ने कहा कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और नगर निगम (BMC/MCGM) एशिया की सबसे अमीर संस्थाओं में से एक है। फिर भी सड़कों की हालत खराब है। यह किसी भी तरह से सही नहीं है। अच्छी और सुरक्षित सड़कें नागरिकों का मौलिक अधिकार हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन के अधिकार) के तहत आती हैं। खराब सड़कें न सिर्फ जानलेवा हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था और कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर भी बुरा असर डालती हैं। निगरानी समितियां बनेंगी हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि हर नगर क्षेत्र में विशेष समितियां बनाई जाएंगी। ये समितियां गड्ढों या मैनहोल से जुड़ी मौतों और हादसों की जांच करेंगी। पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजे की राशि तय करेंगी। किसी भी ऐसी घटना की जानकारी मिलने पर 7 दिनों के भीतर बैठक करेंगी और हर 15 दिन में प्रगति रिपोर्ट तैयार करेंगी, खासकर बरसात के दौरान। समितियां चाहें तो खुद से मामला उठाएं या अखबारों में छपी खबरों, पुलिस रिपोर्ट या शिकायतों के आधार पर भी कार्रवाई कर सकती हैं। पुलिस अधिकारियों को भी आदेश दिया गया है कि किसी भी गड्ढे या मैनहोल हादसे की जानकारी 48 घंटे के भीतर समिति को भेजें। खराब सड़कों को 48 घंटे में ठीक करें हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी इलाके में गड्ढे या खुले मैनहोल की जानकारी मिलती है, तो उसे 48 घंटे के भीतर ठीक किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो यह घोर लापरवाही मानी जाएगी और संबंधित अधिकारी या ठेकेदार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

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