चमोली के कोटी गांव में मिला चार सींग का खाडू, कर सकता है नंदा राजजात यात्रा की अगुवाई

देहरादून : विकासखंड के कोटी गांव में चार सींग वाला मेंंढा (खाडू) मिला है। उसका जन्म करीब पांच माह पहले हुआ है। चार सींग का मेंंढा श्रीनंदा देवी राजजात यात्रा की अगुवाई करता है। जिससे सोशल मीडिया में इसे अगुवा बताया जा रहा है। हालांकि समिति ने कहा कि जिसे देवी चयन करेगी वही बनेगा […] The post चमोली के कोटी गांव में मिला चार सींग का खाडू, कर सकता है नंदा राजजात यात्रा की अगुवाई appeared first on Dainik Uttarakhand.

Jul 14, 2025 - 09:33
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चमोली के कोटी गांव में मिला चार सींग का खाडू, कर सकता है नंदा राजजात यात्रा की अगुवाई
चमोली के कोटी गांव में मिला चार सींग का खाडू, कर सकता है नंदा राजजात यात्रा की अगुवाई

चमोली के कोटी गांव में मिला चार सींग का खाडू, कर सकता है नंदा राजजात यात्रा की अगुवाई

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देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले के कोटी गांव में एक अद्वितीय चार सींग वाला खाडू (मेंढा) मिला है। इस खाडू का जन्म करीब पांच माह पहले हुआ था और इसे लेकर स्थानीय समुदाय में विकट उत्साह है। इस चार सींग वाले मेंढे को श्रीनंदा देवी राजजात यात्रा की अगुवाई करने की संभावना जताई जा रही है। सोशल मीडिया पर इसकी व्यापक चर्चा हो रही है, जिससे लोग इसे अगुवा मानने लगे हैं। लेकिन राजजात यात्रा समिति ने स्पष्ट किया है कि जिसे देवी चयनित करेंगी, वही अगुवा होगा।

कोटी गांव का ऐतिहासिक महत्व

कोटी गांव में मां नंदा का एक प्राचीन मंदिर है, और यह स्थान हिमाली महाकुंभ श्रीनंदा देवी राजजात यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव भी है। गांव के सामाजिक कार्यकर्ता गौतम मिंगवाल ने बताया कि इस चार सींग वाले मेंढे का जन्म कुमार के हरीश लाल के यहां हुआ है और यह अपने आप में एक अनोखी घटना है, क्योंकि पिछले 20 वर्षों में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

चार सींग वाले खाडू का महत्व

बकरीपालक और उनके बेटे गौरव ने बताया कि उन्हें इस मेंढे की चार सींग होने की जानकारी दो सप्ताह पहले मिली जब उसके चार सींग दिखाई दिए। गौरव ने कहा कि यदि समिति इस मेंढे को देवी यात्रा के लिए चुनेगी, तो वे इसे नि:शुल्क प्रदान करने के लिए तैयार हैं।

राजजात समिति की प्रतिक्रिया

श्रीनंदा देवी राजजात समिति के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुंवर ने इस खाडू के महत्व के बारे में बात करते हुए कहा कि देवी यात्रा में किसी भी सामग्री का चयन परंपरा और शास्त्र सम्मत होने पर किया जाता है। वे ये भी कहते हैं कि चार सींग वाले मेंढों का जन्म यदा-कदा होता है, लेकिन जो भी मेंढा देवी द्वारा चयनित होगा, वही यात्रा का अगुवा बनेगा।

डॉ. कुंवर ने यह भी स्पष्ट किया कि बसंत पंचमी पर यात्रा के कार्यक्रम की घोषणा होगी और उसके बाद ही मेंढे के संबंध में कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

निष्कर्ष

चार सींग वाला खाडू न केवल क्षेत्रीय अध्यात्मिकता का प्रतीक हो सकता है, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को भी प्रोत्साहित करता है। जैसे-जैसे यात्रा का समय नज़दीक आ रहा है, ग्रामीणों की उम्मीदें भी बढ़ रही हैं कि यह अद्वितीय मेंढा, नंदा देवी राजजात यात्रा की अगुवाई करेगा। इस अनोखे घटना ने न केवल गांव का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि यह चमोली जिले और उसके आसपास के क्षेत्रों में चर्चा का विषय बन गया है।

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