चार लाख फ्लैटों पर कुंडली मारकर बैठे बिल्डर! सात साल में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दबाए

Real Estate Projects: भारत में अपना घर खरीदने का सपना अब लाखों लोगों के लिए एक डरावनी हकीकत बन गया है। वे उन घरों के लिए EMI भर रहे हैं, जो शायद कभी पूरे नहीं होंगे। रियल एस्टेट बाजार का यह संकट जहां बिल्डर अचानक गायब हो जाते हैं। बैंक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं और सरकारी मदद बहुत देर से और कम मिलती है। लाखों मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए एक बड़ा दर्द बन गया है। आंकड़े बताते हैं कि देश के पांच टियर-1 शहरों मुंबई, नोएडा, गुरुग्राम, ठाणे और ग्रेटर नोएडा में 1,636 प्रोजेक्ट्स में 4.3 लाख से ज्यादा घर अटके हुए हैं। यानी अगर एक फ्लैट पर 25 लाख का होम लोन है तो चार लाख लोगों के एक लाख करोड़ से ज्यादा रुपये बिल्डरों के पास दबे हैं। इस मामले की सुनवाई के लिए ग्राहकों को दर-दर भटकना पड़ता है।

Aug 20, 2025 - 18:33
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चार लाख फ्लैटों पर कुंडली मारकर बैठे बिल्डर! सात साल में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दबाए
चार लाख फ्लैटों पर कुंडली मारकर बैठे बिल्डर! सात साल में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दबाए

चार लाख फ्लैटों पर कुंडली मारकर बैठे बिल्डर! सात साल में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा दबाए

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भारत में रियल एस्टेट बाजार की स्थिति अब एक डरावनी हकीकत बन चुकी है। कई मध्यमवर्गीय परिवार अपने घर का सपना देख रहे हैं, लेकिन यह सपना अब कई लोगों के लिए संभव नहीं रही है। लाखों लोग उन फ्लैटों के लिए EMI भर रहे हैं, जो शायद कभी पूरे नहीं होंगे। इस स्थिति ने एक गंभीर संकट की ओर इशारा किया है जहां बिल्डर अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ रहे हैं, और सरकार भी इस मामले में कम मदद कर रही है।

संकट की गहराई

हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के शीर्ष पांच टियर-1 शहरों - मुंबई, नोएडा, गुरुग्राम, ठाणे और ग्रेटर नोएडा - में लगभग 4.3 लाख घर अटके हुए हैं। ये सभी घर 1,636 प्रोजेक्ट्स के तहत धकेले गए हैं। अगर हम मान लें कि प्रत्येक फ्लैट पर औसतन 25 लाख रुपये का होम लोन है, तो इसका मतलब है कि चार लाख से अधिक लोगों के एक लाख करोड़ रुपये बिल्डरों के पास दबे हुए हैं।

बिल्डरों की लापरवाही

बिल्डरों की इस लापरवाही के चलते, कई ग्राहक दर-दर भटक रहे हैं। उनकी शिकायतें सुनने वाला कोई नहीं है। बिल्डर अचानक गायब हो जाते हैं और ग्राहकों के पैसे बिना किसी काम के लेकर उनकी समस्याओं को और बढ़ा देते हैं। इस स्थिति ने अब ग्राहकों के लिए कानूनी लड़ाई का रास्ता अपनाना मजबूरी बना दिया है।

बैंक की भूमिका

यहां यह भी قابل ध्यान है कि बैंक अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं, और ग्राहकों का भरोसा टूटता जा रहा है। जब ग्राहक अपने पैसे वापस चाहते हैं तो बैंक उनकी मदद करने में उठते हुए खड़े हो जाते हैं। ग्राहक अपने हक के लिए न्यायालयों में जाने को मजबूर होते हैं। ऐसे में सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई मदद बहुत कम और बहुत देर से आती है।

समाज पर प्रभाव

इस संकट का प्रभाव न केवल आर्थिक है, बल्कि यह समाजिक भी है। कई मध्यमवर्गीय परिवार जो अपने सपनों का घर खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे थे, अब अवसाद और निराशा का सामना कर रहे हैं। वे अपने जीवन में नए सपनों को देखने में असमर्थ हैं। यह स्थिति एक स्थायी चिंता का रूप ले चुकी है, जिससे परिवारों का मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।

समाधान के उपाय

इसके लिए यह आवश्यक है कि ग्राहक संगठित होकर अपनी आवाज उठाएं और बिल्डरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को अपनाएं। इसके अलावा, सरकार को भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और त्वरित समाधान निकालने की दिशा में कदम उठाने चाहिए। ऐसा करना न सिर्फ ग्राहकों के हित में होगा, बल्कि इसके परिणामस्वरूप रियल एस्टेट बाजार में विश्वास भी बढ़ेगा।

ग्राहकों को भी सलाह दी जाती है कि वे अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानें और अपने निवेश पर जागरूकता बनाए रखें। अंततः, यदि हम एक अच्छी रियल एस्टेट व्यवस्था की मांग करते हैं तो हमें संगठित होकर इसका अंतिम परिणाम देखने की आवश्यकता है।

इस तरह के मुद्दों पर अधिक जानकारी के लिए, कृपया हमारी वेबसाइट avpganga पर जाएं।

दिन की इस बड़ी ख़बर के लिए, हम सभी ग्राहकों को समर्थन देने के लिए सलाह देते हैं, ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सकें और इसे लागू कर सकें।

— टीम avpganga

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