जुलाई में भारत की बेरोजगारी दर घटकर 5.2% हुई:बीते 3 महीनों में सबसे कम, गांव के मुकाबले शहरों में बेरोजगारी ज्यादा
जुलाई 2025 में भारत की बेरोजगारी दर घटकर 5.2% पर आ गई है। यह पिछले 3 महीनों में सबसे कम है। पिछले महीने जून में बेरोजगारी दर 5.6% थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। नई इंडस्ट्रीज, जैसे आईटी, टेलीकॉम, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल सेक्टर, ने रोजगार का ग्राफ ऊपर किया है। इसके अलावा छोटे और मध्यम उद्योगों में भी भर्तियां बढ़ी हैं, जिससे गांव और कस्बों में रोजगार का स्तर सुधरा है। अप्रैल में सबसे निचले स्तर पर रही बेरोजगारी दर पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की बेरोजगारी दर ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 4.4% रही, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 7.2% है। पुरुषों की बेरोजगारी दर (4.6%) की तुलना में महिलाओं में यह दर (8.7%) ज्यादा है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। यह डेटा बताता है कि शहरों में महिलाओं को रोजगार ढूंढने में पुरुषों की तुलना में अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। बेरोजगारी दर क्या है ? बेरोजगारी दर वह प्रतिशत है, जो बताता है कि काम करने की इच्छा और योग्यता रखने वाले लोगों में से कितने लोगों को नौकरी नहीं मिली है। यानी, जो लोग नौकरी की तलाश में हैं, लेकिन उन्हें काम नहीं मिला, उन्हें बेरोजगार माना जाता है। मान लें , 100 लोग काम करना चाहते हैं और नौकरी ढूंढ रहे हैं। इनमें से 5 लोगों को नौकरी नहीं मिली। तो बेरोजगारी दर होगी 5%। यह दर जितनी कम होगी, उतना ही मतलब है कि ज्यादा लोग नौकरी या काम में लगे हैं। सरकार इसे कैसे मापती है? कामगार-जनसंख्या अनुपात (WPR) भी सुधरा जुलाई 2025 में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) 52.0% था। WPR यह बताता है कि कुल आबादी में से कितने लोग वास्तव में रोजगार में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में WPR 54.4% था, जो शहरी क्षेत्रों के 47.0% से ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्रों में महिला WPR 35.5% था, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 23.5% था। इससे पता चलता है कि ग्रामीण भारत में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी शहरी महिलाओं की तुलना में अधिक है। कामगार-जनसंख्या अनुपात (WPR) क्या है? श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में बढ़ोतरी जुलाई 2025 में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) 54.9% रही। LFPR का मतलब है कि काम करने के लिए उपलब्ध या काम कर रहे लोगों की कुल संख्या। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में LFPR ज्यादा रही। गांव में ये 56.9% थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 50.7% रही। जेंडर के आधार पर, पुरुषों की LFPR (77.1%) महिलाओं की 33.3% की तुलना में बहुत ज्यादा रही। यह डेटा बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के इच्छुक लोगों की संख्या शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। श्रम शक्ति भागीदारी दर (LFPR) क्या है? श्रम शक्ति भागीदारी दर ( लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट) वह प्रतिशत है, जो बताता है कि कुल जनसंख्या में से कितने लोग काम कर रहे हैं या नौकरी की तलाश में हैं। यानी, यह उन लोगों का अनुपात है जो या तो काम में लगे हैं या बेरोजगार हैं, लेकिन काम करने के लिए तैयार हैं। अगर 100 में से 60 लोग काम कर रहे हैं या नौकरी तलाश रहे हैं, तो LFPR 60% होगा। यह जितना ज्यादा होगा, उतना ही मतलब है कि लोग काम करने के लिए उत्साहित हैं।

जुलाई में भारत की बेरोजगारी दर घटकर 5.2% हुई: बीते 3 महीनों में सबसे कम, गांव के मुकाबले शहरों में बेरोजगारी ज्यादा
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जुलाई 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने एक सकारात्मक मोड़ लिया है जब बेरोजगारी दर 5.2% तक गिर गई। यह आंकड़ा पिछले तीन महीनों में सबसे कम है, जब यह जून में 5.6% थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी किए गए पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे के अनुसार, यह गिरावट नए उद्योगों में रोजगार के अवसरों के बढ़ने का परिणाम है।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की भिन्नता
हालांकि, इस आंकड़े के पीछे एक चिंताजनक तथ्य यह है कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 4.4% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 7.2% है। यह आँकड़ा महिलाओं के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की बेरोजगारी दर 8.7% है, जो पुरुषों की 4.6% की तुलना में काफी अधिक है।
किस प्रकार की नई नौकरी के अवसर पैदा हो रहे हैं?
भारत में बेरोजगारी की इस कमी का श्रेय नई इंडस्ट्रीज जैसे आईटी, टेलीकॉम, मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल सेक्टर को दिया जा रहा है। इन क्षेत्रों में नौकरियों की संख्या में वृद्धि ने रोजगार के ग्राफ को ऊपर उठाने में मदद की है। इसके अतिरिक्त छोटे और मध्यम उद्योगों में भी भर्तियां बढ़ी हैं, जिससे गांव और कस्बों में रोजगार के स्तर में सुधार देखने को मिला है।
कामगार-जनसंख्या अनुपात (WPR) और श्रम बल भागीदारी दर (LFPR)
जुलाई में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) 52.0% दर्ज किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 54.4% है, जो शहरी क्षेत्रों के 47.0% से अधिक है। इस प्रकार से видно जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं शहरी क्षेत्रों की महिला Workforce की तुलना में अधिक रूप से कार्यबल में भाग ले रही हैं।
श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) जो बताती है कि कितने लोग कार्यबल में भाग ले रहे हैं, में भी इस महीने वृद्धि हुई है। अब यह दर 54.9% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 56.9% है, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह केवल 50.7% है। जेंडर के आधार पर, पुरुषों की LFPR 77.1% है, जबकि महिलाओं में यह केवल 33.3% है।
निष्कर्ष
इस आंकड़े से स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, लेकिन इसमें जेंडर और क्षेत्रीय असमानता की चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं। शहरी क्षेत्रों में महिलाओं को रोजगार पाने में अधिक कठिनाई होने के कारण, सरकार को इस दिशा में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो भारतीय श्र mercado में और 발전 संभव है।
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