बिजली पोल से केबिल डालने को लेकर पुलिस से हुआ विवाद मां बेटी ने खटखटाया राज्य महिला आयोग का दरवाजा अध्यक्ष ने कहा मामले में होगी गंभीर व निष्पक्ष जांच
दी टॉप टेन न्यूज़/ देहरादून दिनाँक 13 अगस्त को राजधानी देहरादून के रेसकोर्स में बिजली पोल से केबिल डालने को लेकर विवाद के मामले में उत्तराखंड राज्य महिला आयोग… The post बिजली पोल से केबिल डालने को लेकर पुलिस से हुआ विवाद मां बेटी ने खटखटाया राज्य महिला आयोग का दरवाजा अध्यक्ष ने कहा मामले में होगी गंभीर व निष्पक्ष जांच first appeared on .

बिजली पोल से केबिल डालने को लेकर पुलिस से हुआ विवाद: मां बेटी ने खटखटाया राज्य महिला आयोग का दरवाजा
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दी टॉप टेन न्यूज़/ देहरादून — 13 अगस्त को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के रेसकोर्स में विद्युत पोल से केबिल डालने के मामले में विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद में एक मां और बेटी ने राज्य महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया और इसकी गंभीरता को देखते हुए आयोग की अध्यक्ष ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है।
विवाद की शुरुआत
जानकारी के अनुसार, विद्युत विभाग द्वारा दी गई भूमिगत लाइन के कारण आम नागरिकों को बिजली की समस्या पेश आ रही थी। एक परिवार ने इससे उत्पन्न स्थिति में विद्युतकर्मियों को अपने घर पर बुलाया था। इस कार्य को लेकर विवाद तब गहरा गया जब पुलिस और पड़ोसी इस कार्य में बाधा डालने आए।
मां-बेटी का विरोध
शिकायतकर्ता ने बताया कि लगभग एक बजे दिन में पुलिसकर्मी उनके घर पर आए और विद्युत पोल के साथ छेड़छाड़ करने लगे। जब प्रार्थिनी और उसकी बेटी ने इसका विरोध किया, तो पुलिसकर्मियों ने अभद्रता की। पुलिस कर्मियों के साथ आए अन्य लोगों ने घर के किनारे पर तार लगाने की कोशिश की, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
संवैधानिक कार्रवाई का आश्वासन
इन घटनाओं के बीच, जब प्रार्थिनी ने वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू किया, तो पुलिसकर्मियों ने उनका फोन छीनने की कोशिश की और दुर्व्यवहार किया। जब ये घटनाएं बढ़ गईं, तो मां और बेटी की सुरक्षा के लिए उत्तराखंड राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई गई। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पक्षों को बुलाया है।
जांच की आवश्यकता
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि इस मामले में निष्पक्ष और गंभीर जांच की जाएगी। उन्होंने कहा, "यह घटना अत्यंत निंदनीय है। हम सुनिश्चित करेंगे कि गलत करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। कानून समाज की सुरक्षा के लिए है, और इसका दुरुपयोग किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
समाज पर पड़ने वाला प्रभाव
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में चिंता पैदा कर दी है। महिलाएं और अन्यों को अपनी शिकायतें प्रकट करने में अधिक सतर्क होने की आवश्यकता है। कई समुदायों में, ऐसे मामलों में महिलाओं की आवाज को अनसुना कर दिया जाता है, और यही वजह है कि ऐसे मामलों में आयोग की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
निष्कर्ष
इस विवाद ने न सिर्फ एक परिवार की सुरक्षा को खतरे में डाला है, बल्कि कई सामाजिक मुद्दों को भी उजागर किया है। राज्य महिला आयोग का इस मामले में बयान और कार्रवाई स्थानीय महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण है। आयोग की सदस्यों ने यह स्पष्ट किया है कि उन्हें हर स्थिति की सच्चाई का पता लगाना है और सबका अधिकार सुनिश्चित करना है।
इसके लिए, सभी पक्षों को सुनना और उन्हें न्याय दिलाना उनकी प्राथमिकता बनी रहेगी।
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