भास्कर अपडेट्स:IATA ने पायलट्स की उम्र सीमा 67 साल करने का प्रस्ताव दिया
दुनियाभर की एयरलाइंस का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन IATA ने कमर्शियल फ्लाइट्स उड़ाने वाले पायलट्स की अधिकतम उम्र सीमा 65 से बढ़ाकर 67 साल करने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन को भेजा गया है। IATA का कहना है कि एविएशन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है, लेकिन पायलट्स की संख्या उस हिसाब से नहीं बढ़ रही।

भास्कर अपडेट्स: IATA ने पायलट्स की उम्र सीमा 67 साल करने का प्रस्ताव दिया
दुनियाभर की एयरलाइंस का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन IATA ने कमर्शियल फ्लाइट्स उड़ाने वाले पायलट्स की अधिकतम उम्र सीमा 65 से बढ़ाकर 67 साल करने का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन को भेजा गया है। IATA का कहना है कि एविएशन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है, लेकिन पायलट्स की संख्या उस हिसाब से नहीं बढ़ रही। इस लेख में हम इस प्रस्ताव के पीछे के कारणों और इसके संभावित प्रभावों की चर्चा करेंगे।
पायलट्स की कमी: एक वैश्विक चुनौती
वर्तमान में जब दुनिया भर में विमानन उद्योग तेजी से फिर से उभर रहा है, तो पायलट्स की कमी एक बड़ी समस्या बन गई है। 2020 में कोविड-19 महामारी के बाद, युवा पायलटों की भरती में कमी आई थी। IATA का मानना है कि मौजूदा मानदंडों के आधार पर, प्रतिभाशाली पायलट्स की संख्या में कमी के चलते उड्डयन उद्योग को नुकसान हो सकता है।
IATA का प्रस्ताव: संभावित लाभ
IATA का यह प्रस्ताव पायलट्स की उम्र सीमा को 67 साल करने से कई फायदों की अपेक्षा करता है। सबसे पहले, यह तब के अनुभव वाले पायलट्स को उड़ान भरने की अनुमति देने के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो विमानन उद्योग के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। इससे पायलट्स की कमी को कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी।
दूसरे, इस प्रस्ताव से पायलट्स की आयु सीमा बढ़ाने से उनके पारिश्रमिक में भी वृद्धि होने की संभावना है, जिससे नई पीढ़ी को एक स्थायी कैरियर के रूप में पायलट बनने की प्रेरणा मिलेगी। यह एक दीर्घकालिक समाधान साबित हो सकता है, खासकर जब प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
विरोधी दृष्टिकोण: सुरक्षा चिंताएँ
हालांकि, इस प्रस्ताव के संभावित लाभों के साथ-साथ कुछ सुरक्षा चिंताएं भी उठाई जा रही हैं। माना जाता है कि पायलट्स की उम्र बढ़ने के साथ उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता में कमी आ सकती है। ऐसे में, IATA को यह सुनिश्चित करना होगा कि सुरक्षा मानकों का पालन ठीक से हो रहा है।
अंतिम निष्कर्ष
अंततः, IATA का यह प्रस्ताव एयरलाइंस के लिए एक आवश्यक कदम हो सकता है, ताकि वे अपने परिचालन में सुधार कर सकें। यदि यह प्रस्ताव सफल होता है, तो यह न केवल पायलट्स की कमी को दूर करेगा, बल्कि उद्योग में नए अवसर भी पैदा करेगा। भविष्य में, हमें देखना होगा कि इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेता है।
यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण वक्त है एयरलाइंस उद्योग के लिए, और हम आपकी जानकारी के लिए इसे ध्यान में रखेंगे। अधिक अपडेट्स के लिए, हमारे साइट पर जाएं: avpganga.com.
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लेखक: प्रियंका शर्मा, साक्षी मदान, अक्षिता तिवारी, टीम avpganga
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