महुआ और उनके वकील के बीच कुत्ते की कस्टडी मामला:दिल्ली हाईकोर्ट बोला- दोनों आपस में विवाद को क्यों नहीं सुलझाते
दिल्ली हाई कोर्ट में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और उनके वकील जय अनंत देहाद्राई के बीच पालतू कुत्ते की कस्टडी विवाद मामले पर सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि आप दोनों आपस में बैठकर इस विवाद को क्यों नहीं सुलझाते? देहाद्राई ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें दोनों पक्षों को इस केस में चल रही कानूनी कार्यवाही के बारे में सार्वजनिक रूप से बताने पर रोक लगाई गई है। दरअसल, महुआ और देहाद्राई के बीच तीन साल के रॉटवीलर ब्रीड के कुत्ते की कस्टडी को लेकर विवाद चल रहा है। इस कुत्ते का नाम हेनरी है, जो फिलहाल महुआ के पास है। जय अनंत देहाद्राई इस कुत्ते की कस्टडी अपने पास चाहते हैं। महुआ और देहाद्राई दोनों ने ही एक दूसरे पर हेनरी को चुराने का आरोप लगाया है। जय ने महुआ की CBI से शिकायत की थी वकील देहाद्राई ने हीरानंदानी ग्रुप के साथ महुआ के संबंधों को लेकर CBI से शिकायत की थी। इसके बाद दोनों अलग हो गए थे। महुआ ने दिल्ली की एक कोर्ट में सिविल सूट दायर कर पालतू कुत्ते की कस्टडी की मांग की थी। यह विवाद जब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो जस्टिस मनोज जैन ने मामले को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि आप इस विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने की कोशिश करें। देहाद्राई बोले- महुआ ने शिकायत वापस लेने पर कुत्ता लौटाने की बात कही देहाद्राई ने 20 अक्टूबर को आरोप लगाया था कि महुआ ने कहा है कि वे हेनरी को उन्हें लौटा देंगी, अगर वह कथित 'सवाल पूछने के बदले कैश लेने' के मामले में हीरानंदानी ग्रुप के साथ उनके संबंधों को लेकर CBI को की गई शिकायत वापस ले लेते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर देहाद्राई ने लिखा था, 'कल दोपहर हेनरी के बदले मुझे CBI को की गई शिकायत और निशिकांत दुबे को लिखे पत्र को वापस लेने के लिए मजबूर करने की कोशिश की गई। मैंने साफ कर दिया और कहा कि मैं CBI को जानकारी दूंगा।' उन्होंने आगे लिखा था, 'मैसेज करने वाला बेहद मासूम है, लेकिन वह अपने बारे में सबकुछ उजागर कर रहा है।' --------------------------------------- महुआ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... महुआ बोलीं-शाह का सिर काटकर टेबल पर रख देना चाहिए, घुसपैठ के लिए गृह मंत्री जिम्मेदार पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा ने गृह मंत्री अमित शाह पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को नादिया जिले में घुसपैठ मुद्दे पर कहा कि सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की होती है। अगर घुसपैठ हो रही है तो अमित शाह का सिर काटकर टेबल पर रख देना चाहिए। पूरी खबर पढ़ें...

महुआ और उनके वकील के बीच कुत्ते की कस्टडी मामला:दिल्ली हाईकोर्ट बोला- दोनों आपस में विवाद को क्यों नहीं सुलझाते
दिल्ली हाई कोर्ट में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और उनके वकील जय अनंत देहाद्राई के बीच पालतू कुत्ते की कस्टडी विवाद पर सुनवाई का आयोजन हुआ। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान सुझाव दिया कि दोनों पक्ष आपस में मिलकर इस विवाद का समाधान क्यों नहीं निकालते। इस प्रकरण की चर्चा देशभर में हो रही है, और यह भारतीय न्याय व्यवस्था के एक अनूठे पहलू को उजागर करता है।
कुत्ते की कस्टडी विवाद की पृष्ठभूमि
महुआ मोइत्रा और जय अनंत देहाद्राई के बीच बहस का विषय एक तीन साल का रॉटवीलर ब्रीड का कुत्ता है, जिसका नाम हेनरी है। यह कुत्ता वर्तमान में महुआ के पास है, जबकि देहाद्राई इस कुत्ते की कस्टडी अपने पास रखना चाहते हैं। दोनों ने एक-दूसरे पर कुत्ते को चुराने का आरोप लगाया है, जिससे यह मामले और भी जटिल हो गया है।
महुआ की सीबीआई शिकायत और विवाद की धाराएँ
जय अनंत देहाद्राई ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें महुआ के हीरानंदानी ग्रुप के साथ संबंधों की जांच का अनुरोध किया गया था। इसके बाद दोनों के बीच विवाद और गंभीर हो गया, और महुआ ने दिल्ली की एक कोर्ट में कुत्ते की कस्टडी के लिए सिविल सूट दायर किया।
दिल्ली हाईकोर्ट की सुनवाई और सलाह
जब यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा, तब जस्टिस मनोज जैन ने टिप्पणी करते हुए कहा कि क्यों न दोनों पक्ष इस विवाद को आपसी बातचीत से सुलझाने की कोशिश करें। कोर्ट ने इस पर विचार करते हुए यह माना कि कानूनी लड़ाई से बेहतर है कि दोनों आपसी सहमति से समाधान निकालें।
देहाद्राई के आरोप और सोशल मीडिया पर रुख
देहाद्राई ने आरोप लगाया कि महुआ ने उन्हें बताया है कि अगर वह सीबीआई की शिकायत वापस ले लेते हैं तो वह हेनरी को उन्हें लौटा देंगी। देहाद्राई ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस बारे में अपना पक्ष रखकर मामले को और गरमा दिया।
समाज पर प्रभाव और कानूनी प्रणाली की भूमिका
यह मामला केवल एक कुत्ते के custody का है, लेकिन यह हमारे समाज में रिश्तों, भरोसे और वकीलों की भूमिका को भी उजागर करता है। ये सब बातें हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या हमें अपने व्यक्तिगत मामलों को अदालतों में ले जाने के बजाय आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट की सलाह निश्चित ही महत्वपूर्ण है, और यह दर्शाती है कि कानूनी प्रक्रिया को हमेशा सर्वोच्च नहीं माना जाना चाहिए। संवाद और सहमति का माध्यम भी उतना ही प्रभावी हो सकता है, जब तक दोनों पक्ष अपनी अपनी बातों को सुनने और समझने को तैयार रहें।
इस पूरे प्रकरण पर नजर रखते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि महुआ और जय इस विवाद को शांति पूर्वक सुलझाएंगे।
इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर भी देख सकते हैं: avpganga
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