उद्धव गुट बोला- हम हिंदी विरोधी नहीं:इस भाषा के थोपे जाने के खिलाफ; स्टालिन ने कहा था- महाराष्ट्र पहुंची तमिलनाडु की हिंदी विरोधी लड़ाई
महाराष्ट्र सरकार ने फैसला लिया था कि कक्षा 1 से 5 तक हिंदी तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी, लेकिन विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया। इस जीत का जश्न मनाने के लिए शनिवार को उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे सालों बाद एक मंच पर आए। हालांकि, अगले ही दिन रविवार को उद्धव की शिवसेना ने साफ किया कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है। पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा;- तमिलनाडु में जो हिंदी विरोध है, उसमें वे न हिंदी बोलते हैं और न दूसरों को बोलने देते हैं। लेकिन महाराष्ट्र में हमारा ऐसा कोई रुख नहीं है। हम हिंदी बोलते हैं, यहां हिंदी फिल्में, थिएटर और संगीत भी है। हमारी लड़ाई सिर्फ प्राथमिक शिक्षा में हिंदी थोपने के खिलाफ है। राउत ने कहा कि DMK नेता एम.के. स्टालिन को उनके संघर्ष के लिए शुभकामनाएं, लेकिन हमारी सीमाएं स्पष्ट हैं। स्टालिन बोले- हमारी हिंदी विरोधी लड़ाई महाराष्ट्र पहुंची उद्धव-राज ठाकरे बोले- मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी, तो हम गुंडे महाराष्ट्र में हिंदी को लेकर जारी विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने 'मराठी एकता' पर शनिवार को मुंबई के वर्ली सभागार में 'मराठी विजय रैली' की। दोनों ने 48 मिनट तक हिंदी-मराठी भाषा विवाद, मुंबई-महाराष्ट्र, भाजपा और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। दोनों नेताओं ने कहा- तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र से आया। हिंदी से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इसे थोपा नहीं जाना चाहिए। अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं। उद्धव और राज 20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए। आखिरी बार 2006 में बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ दिखे थे। उद्धव को शिवसेना का मुखिया बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। तब दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे। 20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए उद्धव-राज उद्धव और राज 20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए। आखिरी बार 2006 में बाला साहेब ठाकरे की रैली में साथ दिखे थे। उद्धव को शिवसेना का मुखिया बनाने के बाद राज ने अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) बनाई थी। तब दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे। सबसे पहले राज ठाकरे 25 मिनट बोले, कहा- आडवाणी भी मिशनरी स्कूल में पढ़े उद्धव ने 24 मिनट स्पीच दी, कहा- तो हां, हम गुंडे हैं जानिए, महाराष्ट्र में भाषा विवाद क्या है हिंदी से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें... शाह बोले- किसी विदेशी भाषा का विरोध नहीं: हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी गृह मंत्री अमित शाह ने 26 जून को नई दिल्ली में राजभाषा विभाग के कार्यक्रम में कहा- हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। हिंदी और सभी भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे आत्मगौरव के अभियान को उसकी मंजिल तक पहुंचा सकती हैं। पूरी खबर पढ़ें...

उद्धव गुट बोला- हम हिंदी विरोधी नहीं: इस भाषा के थोपे जाने के खिलाफ; स्टालिन ने कहा था- महाराष्ट्र पहुंची तमिलनाडु की हिंदी विरोधी लड़ाई
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हाल ही में, महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर एक बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि वे हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि हिंदी को प्राथमिक शिक्षा में अनिवार्य रूप से थोपने के विरुद्ध हैं। इस मुद्दे पर सरकार ने हाल ही में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने का निर्णय लिया था, जिसे बाद में विरोध के कारण वापस ले लिया गया।
उद्धव और राज ठाकरे का मंच साझा करना
इस नए विवाद के बीच उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ने शनिवार को मुंबई के वर्ली सभागार में 'मराठी विजय रैली' का आयोजन किया। यह देखना दिलचस्प था कि दोनों नेता 20 साल के अंतराल के बाद एक ही मंच पर नजर आए। दोनों नेताओं ने हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि तीन भाषा का फॉर्मूला केंद्र सरकार का इजाद है, लेकिन इसे थोपना उचित नहीं है। उद्धव ने कहा, "अगर मराठी के लिए लड़ना गुंडागर्दी है तो हम गुंडे हैं।"
संजय राउत का स्पष्टीकरण
शिवसेना के नेता संजय राउत ने इस मुद्दे पर स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र में हिंदी बोलने या इसे अपनाने में कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा, "हम हिंदी बोलते हैं, यहाँ हिंदी फिल्में, थिएटर, और संगीत भी हैं। हमारी लड़ाई सिर्फ प्राथमिक शिक्षा में हिंदी थोपने के खिलाफ है।" राउत ने एम.के. स्टालिन को उनके हिंदी विरोधी संघर्ष के लिए शुभकामनाएँ दी, लेकिन यह भी बताया कि महाराष्ट्र का रुख भिन्न है।
तमिलनाडु और महाराष्ट्र के बीच का विवाद
तमिलनाडु में हिंदी के खिलाफ जो आंदोलन चल रहा है, वह महाराष्ट्र में स्वीकार्य नहीं है। स्टालिन ने कहा कि उनकी हिंदी विरोधी लड़ाई अब महाराष्ट्र में भी पहुंच गई है। यह दर्शाता है कि हिंदी को लेकर विभिन्न राज्यों में भिन्न प्रतिक्रिया है।
केंद्र शासन की प्रतिक्रिया
हिंदी पर विवाद के बीच, गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक कार्यक्रम में कहा, "हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है।" उनका मानना है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएँ मिलकर देश के आत्मगौरव को बढ़ावा दे सकती हैं। यह सुनना महत्वपूर्ण है कि किसी विदेशी भाषा के खिलाफ नहीं बल्कि एक भाषा को थोपने के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है।
निष्कर्ष
हिंदी भाषा को लेकर महाराष्ट्र में चल रहा यह विवाद निश्चित रूप से गंभीर है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उद्धव गुट और शिवसेना हिंदी के खिलाफ नहीं है। उनका उद्देश्य है कि शिक्षा में हिंदी का अनिवार्य करना न हो। हर किसी को अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार है, और इसी मुद्दे पर महाराष्ट्र की राजनीति गर्मा रही है।
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