जयशंकर बोले- इमरजेंसी के आखिरी दिन UPSC का इंटरव्यू दिया:दबाव में बात करना सीखा; उन अधिकारियों से मिला, जो देश के हालात से अनजान थे

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को अपने UPSC इंटरव्यू का किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि जिस दिन 21 मार्च 1977 को देश में इमरजेंसी खत्म की गई थी, उसी दिन उनका UPSC का इंटरव्यू हुआ था । जयशंकर ने बताया कि वे उस समय 22 साल के थे और दिल्ली के शाहजहां रोड पर मौजूद UPSC कार्यालय में इंटरव्यू देने वाले सुबह के पहले कैंडिडेट थे। दिल्ली में नए सिविल सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने उस इंटरव्यू से दो अहम बातें सीखीं, पहला- दबाव में कैसे बात करें। दूसरा, बबल में रहने वाले खास लोग, जो अपनी ही दुनिया में रहते हैं और असली हालात नहीं समझ पाते। जयशंकर के भाषण की 3 अहम बातें... 1. विदेश मंत्री ने इमरजेंसी के बाद का माहौल बताया जयशंकर ने कहा कि उस समय देश में चुनाव के नतीजे आ रहे थे। इमरजेंसी की हार का माहौल था। यह संयोग केवल तारीख का नहीं था, बल्कि एक राजनीतिक बदलाव की लहर उनके साक्षात्कार का हिस्सा भी बन गई थी। लोगों को लगने लगा था कि आपातकाल के खिलाफ जनभावना बहुत प्रबल है। दरअसल, इमरजेंसी जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगाई थी, जिसे 21 मार्च 1977 को खत्म कर दिया गया। उसके ठीक बाद हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। 2. जयशंकर बोले- मैं लकी था जयशंकर ने बताया कि इंटरव्यू में उनसे उस चुनाव के बारे में सवाल पूछा गया। उन्होंने कहा, ‘मैं जेएनयू में पढ़ता था। राजनीति विज्ञान का छात्र था। इसलिए मुझे उस माहौल की पूरी जानकारी थी। मैं भाग्यशाली था। मैंने खुद इमरजेंसी के खिलाफ प्रचार में हिस्सा लिया था।’ 3. ‘लुटियंस बबल’ का एहसास जयशंकर ने बताया कि इंटरव्यू बोर्ड के कुछ सदस्य चुनाव परिणामों से हैरान थे। वे यकीन नहीं कर पा रहे थे कि जनता ने ऐसा फैसला किया, लेकिन हम छात्रों को तो पहले से यह हवा महसूस हो रही थी। विदेश मंत्री ने कहा कि मुझे इंटरव्यू के दौरान पता चला कि कई बार देश में शीर्ष पर बैठे लोग जमीनी हकीकत से कटे रहते हैं। 4. अमृत काल नई पीढ़ी के लिए विदेश मंत्री जयशंकर ने UPPSC को अग्निपरीक्षा बताया और कहा कि यह आपके चरित्र और सोच की परीक्षा है। उन्होंने सिविल सेवा उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए कहा कि 'आप सभी एक सेवा में जा रहे हैं। अगले 25 साल अमृत काल आपके लिए है। आपको देश के विकास के लिए काम करना है। आप विकासशील भारत को विकसित भारत बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा;- आपको आज से ही सोचना शुरू करना है कि अगले 20 सालों में आप देश के लिए क्या कर सकते हैं। आपकी सोच और काम देश के भविष्य का आधार बनेगा। -------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... जयशंकर बोले- SCO आतंकवाद-अलगाववाद से निपटने के लिए बना, पहलगाम हमले की फिर निंदा की ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार, भारत और पाकिस्तान के विदेश मंत्री 15 जुलाई को चीन के तियानजिन में आमने-सामने आए। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहलगाम हमले के निंदा की। पूरी खबर पढ़ें...

Jul 21, 2025 - 00:33
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जयशंकर बोले- इमरजेंसी के आखिरी दिन UPSC का इंटरव्यू दिया:दबाव में बात करना सीखा; उन अधिकारियों से मिला, जो देश के हालात से अनजान थे
जयशंकर बोले- इमरजेंसी के आखिरी दिन UPSC का इंटरव्यू दिया:दबाव में बात करना सीखा; उन अधिकारियों से मिल

जयशंकर बोले- इमरजेंसी के आखिरी दिन UPSC का इंटरव्यू दिया: दबाव में बात करना सीखा; उन अधिकारियों से मिला, जो देश के हालात से अनजान थे

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अपने UPSC इंटरव्यू के अनुभव को साझा किया, जो उन्होंने इमरजेंसी के आखिरी दिन, 21 मार्च 1977 को दिया था। जयशंकर, जो उस समय केवल 22 वर्ष के थे, ने यह जानकारी दिल्ली में नए सिविल सेवा अधिकारियों को संबोधित करते हुए दी। उनके अनुसार, इस इंटरव्यू ने उन्हें कुछ महत्वपूर्ण सीखें दीं, जिनका जिक्र उन्होंने अपने भाषण में किया। इस लेख में हम उनके अनुभव, सीख, और उस समय के राजनीतिक परिदृश्य पर नजर डालेंगे।

इंटरव्यू का संयोग और राजनीतिक माहौल

जयशंकर ने बताया कि उनका साक्षात्कार उस समय आयोजित किया गया जब देश में चुनाव के नतीजे आने वाले थे। 1975 में लागू इमरजेंसी को समाप्त करने के बाद, यह समय राजनीतिक बदलाव की लहर का हिस्सा था। उन्होंने कहा, "यह सिर्फ तिथियों के संयोग की बात नहीं थी, बल्कि यह एक गहरे राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत थी।" उस समय जनता ने आपातकाल के खिलाफ एक सशक्त भावना व्यक्त की थी, जो चुनाव में भी दिखाई दी।

अपने अनुभव को साझा करते हुए

जयशंकर ने बताया कि साक्षात्कार के दौरान, उनसे उस चुनाव के बारे में सवाल पूछा गया, क्योंकि वे जेएनयू के राजनीति शास्त्र के छात्र थे और उन दिनों के राजनीतिक माहौल से भली-भांति परिचित थे। उन्होंने कहा, "मैं भाग्यशाली था कि मैंने इमरजेंसी के खिलाफ प्रचार किया था।" उनके अनुसार, इस अनुभव ने उन्हें प्रमाणित किया कि वे राजनीतिक रूप से जागरूक थे।

अधिकारियों का 'लुटियंस बबल'

इससे भी महत्वपूर्ण, जयशंकर ने यह उल्लेख किया कि उनके साक्षात्कार के दौरान, कुछ बोर्ड के सदस्य चुनाव परिणामों से हैरान थे। उन्होंने कहा, "यहां मैं यह देख पाया कि कई बार देश के शीर्ष अधिकारी जमीनी हकीकत से कटे रहते हैं।" यह अनुभव उन्हें यह सिखाता है कि दबाव में संवाद कैसे करें और वास्तविकता के साथ कैसे जुड़ें।

नई पीढ़ी के लिए अमृत काल

सभा में, जयशंकर ने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आने वाले 25 साल अमृत काल हैं। उन्होंने सिविल सेवा उम्मीदवारों से कहा, "आपको देश के विकास के लिए काम करना है, और अगले 20 वर्षों में ऐसा सोचने की आवश्यकता है, जिससे देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिले।" यह विचार उन्हें बताता है कि उनके कार्य और सोच भविष्य के आधार को तैयार करेंगे।

निष्कर्ष

जयशंकर का यह भाषण न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभव को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस प्रकार युवा नेता देश की परिस्थितियों और समस्याओं को समझ सकते हैं। यह वास्तव में सिविल सेवा में प्रवेश करने वालों के लिए प्रेरणादायक है। उनके अनुभव से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मुश्किल समय में भी कैसे सही निर्णय लेना चाहिए।

अंत में, जयशंकर का यह अनुभव न केवल उनके लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नज़ीर है।

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