भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीक बसा पंजाब के पठानकोट का गांव रामकलवां कभी मोबाइल नेटवर्क के लिए तरसता था। लोगों को फोन पर बात करने के लिए खेतों या ऊंची जगहों पर जाना पड़ता था। लेकिन अब वही गांव मुफ्त वाई-फाई वाला गांव बन गया है। यहां पासवर्ड भी दीवारों पर लिखे। यह बदलाव गांव की महिला सरपंच सरोज कुमारी की सोच और मेहनत का नतीजा है। गांव में करीब 150 घर हैं। कैसे आया मुफ्त वाई-फाई का विचार
सरपंच सरोज कुमारी पहले शिक्षा विभाग में क्लर्क थीं और रिटायरमेंट के बाद गांव के विकास की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उन्होंने बताया कि- हमारे गांव में नेटवर्क की बहुत बड़ी समस्या थी। बच्चों की ऑनलाइन क्लासें लगती थीं। लेकिन इंटरनेट नहीं चलता था। कोरोना काल में ये परेशानी और बढ़ गई। तब ही मन में विचार आया कि इसका स्थायी हल निकालना चाहिए। सरपंच बनने के बाद सरोज ने बीएसएनएल के अधिकारियों से बात की और ‘विद्या मित्रम स्कीम’ के तहत गांव में वाई-फाई लगवाने की पहल की। पंचायत के पैसों से हुआ खर्च
गांव में करीब 150 घर हैं। हर घर तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए बीएसएनएल ने तीन कनेक्शन लगाए हैं। सरपंच बताती हैं वाई-फाई की पूरी लागत पंचायत की जमीन के ठेके से मिली आमदनी से दी जा रही है। पंचायत का पैसा गांव वालों का है, इसलिए उसी से गांव वालों को यह सुविधा दी गई। वाई-फाई से पढ़ाई करना आसान
रामकलवां के छात्र अब बिना किसी परेशानी के ऑनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं। बच्ची अंजली कौर ने बताया कि पहले पढ़ाई करना मुश्किल था। अब वाई-फाई आने के बाद सब आसान हो गया है। उन्होंने कहा गांव की सरपंच सरकारी नौकरी से रिटायर हुई हैं, उनको पता आज के टाइम में पढ़ाई के लिए इंटरनेट छात्रों के लिए कितना जरुरी है पासवर्ड भी दीवारों पर लिखे
गांव के छात्र शुशांत ने कहा कि हमें अपने गांव पर गर्व है। आज पंजाब में हमारा गांव सबसे पहला है, जहां मुफ्त वाई-फाई है। पासवर्ड भी दीवारों पर लिखे हैं, ताकि कोई भी आसानी से कनेक्ट हो सके। उन्होंने कहा कि आज के समय में इंटरनेट कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन भारत-पाकिस्तान बॉर्डर के नजदीक होने के कारण यह अपने आप में एक बड़ा मुशाकिल काम था। बॉर्डर पर नेटवर्क देना थी बड़ी चुनौती
बीएसएनएल के डिप्टी जनरल मैनेजर बलबीर सिंह ने बताया कि यह गांव सीमा क्षेत्र में है। हमें सिग्नल की वॉल्यूम सीमित रखनी पड़ी ताकि नेटवर्क बॉर्डर पार न जाए। इसके बावजूद हमने पूरा सहयोग दिया। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ पठानकोट बल्कि पूरे पंजाब का पहला सफल उदाहरण है। उन्होंने कहा कि बॉर्डर का इलाका होने के कारण हमें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा सरपंच सरोज कुमारी के इरादे पक्के थे। उन्होंने कहा इस प्रोजेक्ट को सफल बनाना ही है। अब दूसरों के लिए मिसाल बना यह गांव
अब यह गांव पंजाब का पहला ऐसा गांव बन गया है जो पूरी तरह मुफ्त वाईफाई से जुड़ा है। कई और सरपंच अब सरोज कुमारी से संपर्क कर इस मॉडल को अपने गांव में अपनाने की तैयारी कर रहे हैं। दुनिया में क्या चल रहा, नहीं चलता था पता
सरोज कुमारी ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारा गांव डिजिटल हो, बच्चे पढ़ाई में पीछे न रहें। अगर हर गांव ऐसा कदम उठाए तो पंजाब का हर कोना डिजिटल बन सकता है। सरोज कुमारी ने कहा आज का युग डिजिटल युग है। हमारे लोग पंजाब में रह कर भी दुनिया में क्या चल रहा है उससे अनजान थे।