भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक
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भीमताल के ऐतिहासिक हरेला मेले की शुरुआत, 6 दिन तक दिखेगी कुमाउंनी संस्कृति की झलक
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रैबर डेस्क: रामलीला मैदान मल्लीताल में भीमताल का ऐतिहासिक हरेला महोत्सव शुरू हो गया है। यह महोत्सव 6 दिनों तक चलेगा, जिसमें कुमाउंनी संस्कृति की सुंदर झलक देखने को मिलेगी। यह खास कार्यक्रम नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य द्वारा शुभारंभ किया गया।
हरेला महोत्सव का महत्त्व
हरेला महोत्सव, जिसे विशेष रूप से उत्तराखंड में मनाया जाता है, उस समय का अभिव्यक्ति है जब स्थानीय समुदाय अपने संस्कृति, कला, और परंपराओं का जश्न मनाता है। इस महोत्सव के दौरान कुमाऊंनी जनजीवन की रौनक और विविधता को दर्शाने वाले कई कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
संस्कृतिक कार्यक्रम और वृक्षारोपण
हनुमान मंदिर मल्लीताल में हरेला चढ़ाने के साथ ही हरेला महोत्सव की रंगारंग शुरुआत हुई। स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक कुमाऊनी पोशाक पहनकर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसमें लोक नृत्य और गीत शामिल थे।
इस महोत्सव के दौरान एक व्यापक वृक्षारोपण अभियान भी चलाया गया, जिसमें स्थानीय जनता और स्कूली बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वृक्षारोपण न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आगामी पीढ़ी को उनसे जुड़ने का एक मौका भी देता है।
माहौल और आयोजन
हरेला महोत्सव के दौरान मेला मैदान में 200 से अधिक दुकानें और झूले लगाए गए हैं। यह महोत्सव भीमताल के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता के रूप में भी कार्य करता है, जहां स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने का एक मंच मिलता है। आयोजनों में पूर्व विधायक संजीव आर्य, नगर पालिका अध्यक्ष सीमा टम्टा, मेला अधिकारी उप जिलाधिकारी नैनीताल नवाजे खलिक, और अधिशासी अधिकारी उदयवीर सिंह समेत अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति रही।
निष्कर्ष
भीमताल का हरेला महोत्सव एक अद्वितीय अवसर है, जहां परंपरा, संस्कृति और सामूहिकता का मेल देखने को मिलता है। यह सालाना उत्सव न केवल कुमाऊंनी लोगों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है, बल्कि एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो स्थानीय समुदाय को एकजुट करता है। इस महोत्सव में सभी नागरिकों और सैलानियों को आमंत्रित किया जाता है कि वे इस खास आयोजन का हिस्सा बनें और कुमांऊनी संस्कृति की समृद्धि का अनुभव करें।
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