ABVP की जीत धाकड़ धामी युवा मुख्यमंत्री की लोकप्रियता..!
“युवा भले सड़कों पर थे, पर विश्वास अभी भी धामी में था — और वही आज जीत गया।” उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर प्रकरण और भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं को लेकर विपक्ष व कुछ संगठनों ने लगातार सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। इस बात को उछाला गया कि प्रदेश का युवा वर्ग […] The post ABVP की जीत धाकड़ धामी युवा मुख्यमंत्री की लोकप्रियता..! appeared first on Dainik Uttarakhand.

ABVP की जीत धाकड़ धामी युवा मुख्यमंत्री की लोकप्रियता..!
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उत्तराखंड के छात्रसंघ चुनावों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की शानदार जीत ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की युवा नेतृत्व पर मोहर लगा दी है। चुनावों के परिणाम दर्शाते हैं कि युवा वर्ग, जो पिछले कुछ समय से सरकार के खिलाफ सड़कों पर था, अब धामी के नेतृत्व में विश्वास जताते हुए नजर आ रहा है। “युवा भले सड़कों पर थे, पर विश्वास अभी भी धामी में था — और वही आज जीत गया।”
धाकड़ धामी की लोकप्रियता का कारण
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मुख्यमंत्री धामी ने अपनी नीतियों के जरिए युवाओं के साथ सीधा संवाद स्थापित किया है। हाल ही में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) पेपर प्रकरण और भर्ती परीक्षाओं में अनियमितताओं के आरोपों के बाद भी, धामी ने कई ठोस कदम उठाए हैं। नकल पर नियंत्रण के लिए नए कानून, तकनीकी निगरानी और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता जैसे कदम युवाओं को यह विश्वास दिलाने में सफल रहे हैं कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से लिया जा रहा है।
छात्रों के विचार और चुनाव का परिणाम
आखिरकार, छात्रसंघ चुनावों के नतीजे यह साबित करते हैं कि भाजपा और उसकी नीतियों के प्रति छात्रों का विश्वास केवल चुनावी रणनीति का मामला नहीं है, बल्कि यह एक संगठनात्मक मजबूत भावना का प्रतीक है। ABVP की ऐतिहासिक जीत दर्शाती है कि सरकार ने युवाओं की जरुरतों और आकांक्षाओं को समझा है, जो कि एक शिक्षाप्रद संदेश देता है। इस जीत ने युवा जनसंख्या में भाजपा के प्रति भरोसे की गहराई को भी उजागर किया है।
भविष्य की राजनीति में एबीवीपी की जगह
भविष्य में ABVP और भाजपा की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए, यह समझना आवश्यक है कि यह केवल एक चुनावी जीत नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह इस बात का संकेत है कि युवा वर्ग अपनी आवाज को मतदान के माध्यम से साझा करने के लिए तैयार है। अगर सरकार इसी तरह युवाओं की समस्याओं को प्राथमिकता देती है, तो भविष्य में एबीवीपी का स्थान मजबूत हो सकता है।
निष्कर्ष
यह कहना गलत नहीं होगा कि ABVP की जीत और धामी की लोकप्रियता एक नया अध्याय लिख रही है। युवा मतदाता अब अपनी ताकत पहचान चुके हैं और वह इसे सही दिशा में गतिमान रखने के लिए तैयार हैं। सरकार को चाहिए कि वह इसी भरोसे का सम्मान करे और भविष्य में भी अपने कदमों को इसी दिशा में बढ़ाए।
इस चुनाव ने यह स्पष्ट कर दिया है कि हमारी युवा पीढ़ी केवल आंदोलनों के माध्यम से ही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उपयोग करके भी अपनी आवाज़ को मजबूत कर सकती है।
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