LUCC और के एस पवार के सोशल बेनिफिट घोटाले में समानता साफ़ ,तो दोहरे मापदंड क्यों ? – गरिमा मेहरा दसौनी

  दी टॉप टेन न्यूज़ /देहरादून उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य में एक के बाद एक सामने आ रहे आर्थिक घोटालों को लेकर भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है। दसौनी… The post LUCC और के एस पवार के सोशल बेनिफिट घोटाले में समानता साफ़ ,तो दोहरे मापदंड क्यों ? – गरिमा मेहरा दसौनी first appeared on .

Jul 26, 2025 - 00:33
 137  28.9k
LUCC और के एस पवार के सोशल बेनिफिट घोटाले में समानता साफ़ ,तो दोहरे मापदंड क्यों ? – गरिमा मेहरा दसौनी
LUCC और के एस पवार के सोशल बेनिफिट घोटाले में समानता साफ़ ,तो दोहरे मापदंड क्यों ? – गरिमा मेहरा दसौनी

LUCC और के एस पवार के सोशल बेनिफिट घोटाले में समानता साफ़, तो दोहरे मापदंड क्यों?

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - avpganga

दी टॉप टेन न्यूज़ /देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य में एक के बाद एक सामने आ रहे आर्थिक घोटालों को लेकर भाजपा सरकार पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस पर गहराई से विचार-विमर्श किया। उनका कहना है कि LUCC घोटाले में किए गए कारनामे और 'सोशल बेनिफिट म्यूचुअल फंड लिमिटेड' के घोटाले में समानता साफ़ नजर आती है। लेकिन सवाल यह है कि जब दोनों मामलों में समानता है, तो भाजपा सरकार के पास दोहरे मापदंड क्यों हैं?

भाजपा का नूरा कुश्ती

दसौनी ने कहा कि जब एक ओर पुष्कर सिंह धामी सीबीआई जांच की संस्तुति देते हैं, तो दूसरी ओर सांसद अनिल बलूनी को अपने चार साथियों के साथ गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर LUCC मामले की जांच की मांग क्यों करनी पड़ती है? यह संकेत करता है कि भाजपा में आंतरिक खींचतान चल रही है और पार्टी के सदस्य ही धामी सरकार की कार्यविधियों पर भरोसा नहीं कर रहे हैं।

सोशल बेनिफिट घोटाला

दसौनी का कहना है कि 'सोशल बेनिफिट म्यूचुअल फंड लिमिटेड' नामक कंपनी ने उत्तराखंड के हजारों निवेशकों की मेहनत की कमाई को लूटा है। इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के औद्योगिक सलाहकार के.एस. पंवार की पत्नी की सीधी भूमिका संदिग्ध है, जो इस कंपनी की निदेशक थीं। प्रारंभिक जांच में 200 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों की पुष्टि हुई है।

क्या भाजपा का रवैया नैतिक है?

दसौनी ने यहां तक कहा कि भाजपाई नैतिकता पर सवाल उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि जब LUCC घोटाले में सीबीआई जांच की संस्तुति हुई, तो सोशल बेनिफिट घोटाले को क्यों EOW को सौंपा गया? क्या यह सत्ता के शिखर पर बैठे लोगों को बचाने की चाल है?

आगे की मांगें और कार्रवाई

दसौनी ने धामी सरकार से मांग की कि LUCC और सोशल बेनिफिट दोनों घोटालों की संयुक्त जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई द्वारा कराई जाए। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान के.एस. पंवार और उनके परिजनों की सभी संपत्तियों को फ्रीज किया जाना चाहिए। साथ ही, घोटालों के पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की जानी चाहिए।

निष्कर्ष

दसौनी का कहना है कि अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो कांग्रेस 2027 के विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाएगी और सत्ता पक्ष को उसकी करनी का जवाब देगी। भाजपा का यह रवैया साफ दर्शाता है कि वह केवल उन्हीं घोटालों पर कार्रवाई करती है, जिनमें आम चेहरे शामिल हों, जबकि जहां सत्ता से जुड़े लोग शामिल होते हैं, वहां जांच को दबाने की नीति अपनाई जाती है।

कुल मिलाकर, यह कहना उचित होगा कि राज्य में चल रहे आर्थिक घोटालों की गहन जांच की आवश्यकता है, ताकि अराजकता की इस स्थिति से निकलने का रास्ता निकाला जा सके।

Keywords:

LUCC scandal, KS Pawar, social benefit scam, Uttarakhand corruption, Garima Mehra Dasouni, BJP government, CBI investigation, financial fraud, political accountability, economic transparency.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow