गढ़वाल राइफल्स में तैनात जवान बीरेंद्र सिंह का निधन, चमोली में शोक की लहर
देहरादून: चमोली जिले के जवान बीरेंद्र सिंह का हादसे में निधन हो गया है. बीरेंद्र सिंह गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे. उनके निधन पर सीएम पुष्कर धामी ने दुख जताया है. उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को को दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है. चौड़ गांव के रहने […] The post गढ़वाल राइफल्स में तैनात जवान बीरेंद्र सिंह का निधन, चमोली में शोक की लहर appeared first on Dainik Uttarakhand.

गढ़वाल राइफल्स में तैनात जवान बीरेंद्र सिंह का निधन, चमोली में शोक की लहर
देहरादून: चमोली जिले में गढ़वाल राइफल्स में तैनात जवान बीरेंद्र सिंह का हालिया निधन एक दुखद घटना है। उनके निधन से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस घटना पर गहरा दुख प्रकट किया है। उन्होंने दिवंगत आत्मा की शांति और शोकाकुल परिवार को दुख सहने की शक्ति देने की प्रार्थना की है।
जवान बीरेंद्र सिंह की पहचान
जानकारी के अनुसार, जवान बीरेंद्र सिंह चमोली जिले के देवाल विकासखंड के चौड़ गांव के रहने वाले थे। उनकी आकस्मिक मृत्यु ने उनके परिवार और पूरे गाँव में संकट की स्थिति पैदा कर दी है। परिवार को सांत्वना देने और शोक मंजिल पर लोगों का ताता लगा हुआ है। उनके साथी और ग्रामीण उनकी शहादत को सलाम कर रहे हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी का संदेश
सीएम धामी ने कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर भारतीय सेना के साहस और समर्पण को नमन करते हुए शोक में डूबे परिवारों को याद किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड वीर सपूतों की भूमि है, जहां कई परिवारों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। वे भारतीय सेना के अदम्य साहस के लिए गर्व महसूस करते हैं।
कारगिल विजय दिवस और उत्तराखंड का योगदान
साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध में उत्तराखंड के 75 जवानों ने शहादत दी थी। इस युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया और अपने प्राणों की बलि देकर राष्ट्रीयता की मिसाल पेश की। हर साल, कारगिल विजय दिवस पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
अन्य परिजन की चिंता और प्रतिक्रियाएं
जवान बीरेंद्र सिंह का निधन न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके साथी सैनिक उनके व्यक्तित्व को याद कर रहे हैं, और वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें शहीद मानते हुए श्रद्धांजलि दी है। इससे सबूत मिलता है कि उत्तराखंड के स्थानीय लोग सेना के प्रति अपनी निष्ठा को कैसे देखते हैं।
निष्कर्ष
जवान बीरेंद्र सिंह की आकस्मिक मृत्यु ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना से हमें यह याद दिलाया गया है कि सैन्य बल हमारे देश की सुरक्षा में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमें उनकी सेवा और बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए। सरकारी अधिकारियों और स्थानीय नेताओं को इस दिशा में विशेष ध्यान देना होगा कि शहीदों के परिवारों का उचित सम्मान और सहायता हो सके।
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