जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में सुरक्षा एजेंसियों ने निगरानी बढ़ाई:लड़कियों के बीच कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने की आशंका; नशीली दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां ने कई स्कूलों में निगरानी बढ़ा दी है। प्राइवेट स्कूल की लड़कियों के बीच धार्मिक कट्टरपंथी विचारधाराओं को फैलाने की कोशिशें हो रही हैं। नशीली दवाओं का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है। अधिकारियों ने बताया कि कुछ प्राइवेट स्कूलों में कट्टर विचार फैलाए जाने की खबर मिली थी। इसके बाद उनको चेतावनी दी गई है। यह कार्रवाई युवाओं को चरमपंथी विचारों से बचाने के लिए की जा रही है। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, घाटी में युवाओं और लड़कियों के बीच अखिल-इस्लामी विचारधारा अचानक बढ़ रही है। कट्टरपंथी मौलवी उन्हें इस्लाम की सख्त व्याख्या सिखा रहे हैं। इसमें सूफी संतों और ऋषियों के दरगाह पर जाना और वहां चढ़ावा चढ़ाना गैर-इस्लामी बताया जा रहा है। धार्मिक उग्रवाद से कश्मीर की सूफी परंपराएं खत्म होने का खतरा न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं बल्कि कुछ पूर्व अलगाववादी भी इस बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ से परेशान हैं। उन्हें डर है कि पाकिस्तान की ओर से थोपे जा रहे धार्मिक उग्रवाद से कश्मीर की सदियों पुरानी सूफी परंपरा कमजोर हो सकती है। सोशल मीडिया पर आतंकवादी भी कट्टरपंथी विचारों को फैला रहे हैं। कश्मीर की शिक्षा व्यवस्था कमजोर होने से युवा इन विचारों की ओर जा रहे हैं। पिछले 30 सालों में आतंकवाद और अस्थिरता ने युवाओं के दिमाग पर बुरा असर डाला है। इसकी वजह से पत्थरबाजी जैसी घटनाएं देखने को मिलती है। मदरसों में आतंकी संगठन प्रोपेगैंडा फैला रहे इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में बिना नियम-कायदे के कई नए मदरसे बन रहे हैं। इनका फायदा आतंकी संगठन उठाकर धर्म के नाम पर प्रोपेगैंडा फैला रहे हैं। कुछ लोग फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल करके लोगों में गुस्सा भड़का रहे हैं। 3 महीने में नशा बेचने वाले 97 लोग गिरफ्तार न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, कुछ स्कूलों में नशे की गंभीर समस्या है। पुलिस ने नशे और ड्रग तस्करी के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की है। पिछले तीन महीनों में 97 लोग गिरफ्तार हुए और 73 मामले दर्ज किए गए। पुलिस की सख्ती के बाद हीरोइन मिलना मुश्किल हो गया है, जिसके चलते कई युवा अब मेडिकल दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। ------------------------- ये खबर भी पढ़ें... जम्मू-कश्मीर में 5 साल में 84 हजार करोड़ का निवेश:पर्यटन से 18 हजार करोड़ कमाएं; 35 साल में आतंकवाद से 40 हजार मौतें जम्मू-कश्मीर में 2019 के बाद हालात तेजी से सुधर रहे हैं। राज्य की मौजूदा GDP औसत 8.5% दर से बढ़ रही है। पिछले 5 सालों में 84 हजार करोड़ का निवेश प्रस्ताव आया है। वहीं 2024 में राज्य को पर्यटन से 18 हजार करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला। पूरी खबर पढ़ें...

जम्मू-कश्मीर के स्कूलों में सुरक्षा एजेंसियों ने निगरानी बढ़ाई: लड़कियों के बीच कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने की आशंका; नशीली दवाओं का इस्तेमाल बढ़ रहा
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जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने हाल ही में कई स्कूलों में निगरानी बढ़ा दी है, खासकर प्राइवेट स्कूलों में लड़कियों के बीच धार्मिक कट्टरपंथी विचारधाराओं के बढ़ते प्रभाव की चिंता के चलते। इससे न केवल शिक्षा का माहौल प्रभावित हो रहा है, बल्कि नशीली दवाओं का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है, जो युवा पीढ़ी के भविष्य को खतरे में डाल रहा है।
कट्टरपंथी विचारधाराओं का फैलाव
अधिकारियों ने सूचित किया है कि कुछ प्राइवेट स्कूलों में कट्टरपंथी विचारों को फैलाने की कोशिशें हो रही हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, घाटी में कुछ मौलवी धार्मिक सख्ती से इस्लाम की व्याख्या कर रहे हैं, जिससे युवा लड़कियां भटकी हुई हैं। विशेष रूप से सूफी संतों और ऋषियों के दरगाह पर जाने और वहां चढ़ावा चढ़ाने को गैर-इस्लामी ठहराया जा रहा है। इस प्रकार के विचारों के फैलने से कश्मीर की सूफी परंपरा को खतरा हो सकता है।
नशीली दवाओं की बढ़ती हुई समस्या
इस बीच, स्कूलों में नशीली दवाओं का इस्तेमाल एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। पुलिस ने नशे और ड्रग तस्करी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पिछले तीन महीनों में 97 लोगों को गिरफ्तार किया है। इन गिरफ्तारियों के बाद अब हीरोइन जैसे नशीले पदार्थों की उपलब्धता कम हो गई है, जिससे युवा अब मेडिकल दवाओं का सेवन करने को मजबूर हो रहे हैं। यह एक गंभीर चिंता का विषय है, जो कश्मीर की युवा पीढ़ी के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए खतरा उत्पन्न करता है।
समाज की चिंताएं और उपाय
इस बढ़ते धार्मिक कट्टरपंथ से न केवल सुरक्षा एजेंसियां, बल्कि पूर्व अलगाववादी भी परेशान हैं। उनका मानना है कि पाकिस्तान से थोपे जा रहे धार्मिक उग्रवाद के कारण कश्मीर की सदियों पुरानी सांस्कृतिक और सूफी परंपराएं कमजोर हो सकती हैं। इसके साथ ही, मदरसों में भी कट्टरपंथी विचारों को फैलाने वाले आतंकी संगठन सक्रिय हो गए हैं। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां सख्त कदम उठा रही हैं।
निष्कर्ष
जम्मू-कश्मीर में इस प्रकार के हालात न केवल कश्मीर की संस्कृति और परंपरा के लिए चिंता का विषय हैं, बल्कि यह युवा पीढ़ी के भविष्य के लिए भी खतरनाक हैं। जरूरत है कि सुरक्षा एजेंसियां और सरकार मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाएं। अंततः, हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है जहां धार्मिक कट्टरता और नशीली दवाओं का इस्तेमाल न हो, और युवा एक सुरक्षित, समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ सकें।
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