देहरादून: बच्चे ढोते रहे रेत बजरी, स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने पर प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका सस्पेंड

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Oct 7, 2025 - 00:33
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देहरादून: बच्चे ढोते रहे रेत बजरी, स्कूली बच्चों से मजदूरी कराने पर प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका सस्पेंड

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रैबार डेस्क: उत्तराखंड के स्कूलों में इन दिनों स्कूली बच्चों से बाल श्रम कराए जाने के कई मामले सामने आए हैं। देहरादून के एक प्राइमरी स्कूल में भी ऐसी ही एक घटना ने प्रशासन की आंखें खोल दीं। इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका को निलंबित कर दिया है, जिससे इस प्रकरण की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

वीडियो में कैद हुआ बाल श्रम

आज राजकीय प्राथमिक विद्यालय बांध विस्थापित टीएस्टेट बंजारावाला का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें स्कूली बच्चे फावड़े, बेलचे और तसलों के साथ रेत और बजरी को ढोते दिखाई दे रहे हैं। यह नज़ारा देखकर यह स्पष्ट है कि बच्चों को स्कूल के समय में मजदूरी के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस घटना ने न केवल शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाया है, बल्कि बाल श्रम कानूनों के उल्लंघन को भी उजागर किया है।

शिक्षकों की चुप्पी और प्रशासन का कार्रवाई

विडंबना यह है कि स्कूल में तैनात छह शिक्षकों में से कोई भी इस स्थिति पर ऐतराज जताने के लिए सामने नहीं आया। बच्चे विद्यालय के निर्धारित समय में इस प्रकार की शिक्षा पाने के बजाए, काम करने पर मजबूर हुए। प्रशासन ने वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्रवाई करते हुए प्राइमरी स्कूल की प्रभारी प्रधानाध्यापिका अंजू मनादुली को निलंबित कर दिया। इसके अलावा, अन्य शिक्षकों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

बाल श्रम के खिलाफ समाज की जिम्मेदारी

बाल श्रम केवल एक कानून का उल्लंघन नहीं है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य और उनके विकास पर गहरा असर डालता है। शिक्षा का अधिकार हमारे बच्चों का मौलिक अधिकार है, और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अपने स्कूल में शिक्षित हो रहे हैं, न कि मजदूरों की तरह काम कर रहे हैं। समाज को इस दिशा में जागरूक रहना चाहिए ताकि बच्चे सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सकें।

निष्कर्ष

यह घटना एक चेतावनी है कि हमें शिक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेना होगा। बाल श्रम के खिलाफ इस तरह की सख्त कार्रवाई हमारी जिम्मेदारी बनाती है। उम्मीद है कि इस मामले के बाद अन्य विद्यालय भी ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए विचार करेंगे। हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने बच्चों को शिक्षा दें, न कि उन्हें काम के बोझ तले दबाएं।

इसके अलावा, ऐसे मामलों की अनदेखी करना और चुप रहना समाज के लिए ठीक नहीं है। हमें इस दिशा में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसे मामले सामने न आएं।

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