संसद में गुरुवार को विदेश मंत्रालय की स्थायी समिति की ने एक रिपोर्ट पेश की। इसके अनुसार बांग्लादेश की वायुसेना के लालमोनिरहाट एयरबेस की हवाई पट्टी चीन बना रहा है। साथ हीॉ चीन बांग्लादेश के पेकुआ में 8 पनडुब्बियों का अड्डा भी बना रहा है। बांग्लादेश की नौसेना के पास अभी 2 पनडुब्बी हैं। बांग्लादेश ने इसी साल मार्च में चीन के साथ एमओयू किया है। इसके तहत मोंगला पोर्ट का 370 मिलियन डॉलर से विस्तार होगा। भारत ने बांग्लादेश के डीजीएमओ से लालमोनिरहाट पर पूछा तो सफाई आई कि इस हवाई पट्टी का सैन्य उपयोग नहीं करेंगे। कमेटी को गैर सरकारी विशेषज्ञों ने बताया कि 1971 के बाद से भारत बांग्लादेश में सबसे बड़ी सामरिक चुनौती का सामना कर रहा है। सीमा से 15 किमी दूर ही चीन की मौजूदगी लालमोनिरहाट एयरबेस भारत की उत्तरी सीमा से 15 किलोमीटर दूर है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर इसकी जद में आता है, जिसे संवेदनशील चिकननेक इलाके के रूप में जानते हैं। सिलीगुड़ी से बांग्लादेश वायुसेना के एयरबेस की दूरी करीब 70 किलोमीटर है। चीन की यहां मजबूत मौजूदगी गंभीर सामरिक सवाल खड़े करती है। भूटान और भारत के बीच के चीनी इलाके को देखते हुए भी इस एयरबेस का सामरिक महत्व बढ़ जाता है। सरकार ने कहा- हर स्थिति पर पैनी नजर कमेटी का कहना है कि बांग्लादेश में ऐसे देशों के पांव मजबूत होना भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है, जो हमारे मित्र नहीं। विदेश मंत्रालय ने समिति को आश्वस्त किया कि स्थिति पर पैनी नजर रखी जा रही है। राजनीतिक स्तर पर बांग्लादेश का हाथ थामते हुए चीन ने बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी पार्टी को अपने यहां आमंत्रित किया और बांग्लादेश के राजनीतिक नेतृत्व के साथ अपने संबंध मजबूत करने के इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। कमेटी की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि चीन बांग्लादेश से होते हुए अपनी वस्तुएं भारतीय बाजार में खपा रहा है। चीन की इस हरकत की वजह से भारत के व्यापारिक हित भी प्रभावित हो रहे हैं।