मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी ले. कर्नल पुरोहित का प्रमोशन:मामले में 9 साल जेल में रहे, 31 जुलाई को कोर्ट ने निर्दोष कहा था
2008 मालेगांव ब्लास्ट में बरी किए जाने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को कर्नल के पद पर प्रमोशन मिल गया है। ये प्रमोशन उन्हें 17 साल के लंबे इंतजार के बाद मिला। 31 जुलाई 2025 को मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने कर्नल पुरोहित समेत मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। इस ब्लास्ट में 6 लोगों की मौत हो गई थी तो वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। गिरीराज सिंह ने किया ट्वीट कुछ दिन पहले ही मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट के फैसले के बाद ऐसी जानकारियां आई थीं कि सेना ने लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित के करियर पर पिछले 16 साल से लगा डिसिप्लिन एंड विजिलेंस (DV) बैन हटा दिया है। इससे उनके प्रमोशन और बाकी सर्विस बहाल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। केस में आरोपी बनने के बाद जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उन पर DV बैन लगा दिया गया था। पुरोहित ने कहा- देश से प्यार करता हूं बरी होने के बाद पुरोहित ने कहा था- मैं एक सैनिक हूं जो इस देश से बेहद प्यार करता हूं। मैं भारतीय सेना का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो अपने जवानों का साथ देती है। अदालत ने सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा था- बाइक साध्वी प्रज्ञा की और पुरोहित RDX लाए यह बातें साबित नहीं हुईं महाराष्ट्र के मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA स्पेशल कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा समेत सातों आरोपियों को 31 जुलाई 2025 को बरी कर दिया था। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित, रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी, समीर कुलकर्णी और सुधाकर धर द्विवेदी शामिल थे। जज एके लाहोटी ने कहा कि जांच एजेंसी आरोप साबित नहीं कर पाई है, ऐसे में आरोपियों को संदेह का लाभ मिलना चाहिए। पढ़ें पूरी खबर... ............... कर्नल पुरोहित से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें... भास्कर इंटरव्यू: ‘कर्नल पुरोहित से ISI-दाऊद की जांच का बदला लिया’:पत्नी का दावा- मालेगांव ब्लास्ट नहीं, सीक्रेट ऑपरेशन की वजह से ATS ने उठाया कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा ने कहा था कि ATS वाले कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को गैरकानूनी तरीके से उठा ले गए थे। ATS वाले मालेगांव ब्लास्ट नहीं, जाकिर नाईक, फेक करेंसी के रैकेट, दाऊद इब्राहिम और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से जुड़ी पूछताछ करते रहे थे। कर्नल आर्मी इंटेलिजेंस में थे और 2005-07 के बीच उन्होंने इन सभी चीजों पर रिपोर्ट बनाई थी। ATS के लोगों ने मालेगांव ब्लास्ट के बारे में कुछ नहीं पूछा, बल्कि इन रिपोर्ट्स के सोर्स के बारे में पूछते रहे थे। उन्होंने दावा किया था कि कर्नल ने एक सीक्रेट ऑपरेशन किया था, इसी के बाद उनके खिलाफ साजिश रची गई थी। उन्हें थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया। मार-मारकर घुटना तोड़ दिया गया। पढ़ें पूरी खबर...

मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी ले. कर्नल पुरोहित का प्रमोशन: मामले में 9 साल जेल में रहे, 31 जुलाई को कोर्ट ने निर्दोष कहा था
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2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के चलते लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को अब कर्नल के पद पर प्रमोशन दिया गया है। इस प्रमोशन का इंतजार उन्हें 17 साल तक करना पड़ा। 31 जुलाई 2025 को मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने कर्नल पुरोहित समेत सभी आरोपियों को निर्दोष ठहराया था। इस बम विस्फोट ने छह लोगों की जान ली थी और सैकड़ों अन्य घायल हो गए थे। इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े किए हैं, जिनमें से कुछ को आज हम यहां पर анализ करेंगे।
प्रमोशन की प्रक्रिया
कर्नल पुरोहित को पिछले 16 वर्षों से लगा डिसिप्लिन और विजिलेंस (DV) बैन हटा लिया गया है। यह जानकारी कुछ दिन पहले ही सामने आई थी, जिसके बाद उनके प्रमोशन और बाकी सर्विस को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू की गई। डीवी बैन उन पर तब लगा था जब वह मामले में आरोपी बन गए थे। बरी होने के बाद, उन्होंने देश के प्रति अपने प्यार का इज़हार किया। उन्होंने कहा, "मैं भारतीय सेना का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं जो अपने जवानों का साथ देती है।"
कोर्ट का फैसला और पूर्व सांसद का बयान
NIA स्पेशल कोर्ट के जज एके लाहोटी ने कहा कि जांच एजेंसी आरोपी होने के बावजूद सबूत नहीं पेश कर पाई है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, जिनके बारे में कहा गया था कि वह हमले में शामिल हैं, समेत सभी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, पूर्व भाजपा सांसद गिरीराज सिंह ने इस मामले में ट्वीट करते हुए राहत जताई थी। उनका मानना है कि कर्नल पुरोहित का प्रमोशन सही दिशा में एक कदम है।
कर्नल पुरोहित का व्यक्तिगत अनुभव
कर्नल पुरोहित की पत्नी, अपर्णा ने भी इसे लेकर अपनी बातें साझा की हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति को गैरकानूनी तरीके से उठाया गया था और मालेगांव ब्लास्ट के पीछे की सच्चाई को जानने के लिए उनसे सवाल पूछे गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब एक साजिश का हिस्सा था। पुरोहित के खिलाफ भारत की सुरक्षा से जुड़ी कुछ संवेदनशील जानकारियों का खुलासा करने के कारण कार्रवाई की गई थी।
समापन विचार
कर्नल पुरोहित का मामला न केवल एक सैनिक की व्यक्तिगत कहानी है, बल्कि यह भारतीय न्याय व्यवस्था की एक बड़ी परीक्षा भी है। कोर्ट का निर्णय जहां एक तरफ उसके लिए खुशी का मौका है, वहीं दूसरी ओर यह समाज में आतंकवाद से जुड़े मामलों की जटिलता को भी उजागर करता है। भारतीय सेना और न्यायपालिका का इस प्रकार एक साथ आना और सही फैसले देना आशा जगाता है। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसे मामलों में और सावधानी बरती जाएगी जिससे किसी निर्दोष व्यक्ति के साथ अन्याय न हो सके।
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