पुराने वाहनों को 1 नवंबर से नहीं मिलेगा फ्यूल:दिल्ली सहित 5 शहरों में नियम लागू होगा; पहले 1 जुलाई से बैन लगना था

दिल्ली में एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) या ओवरएज वाहनों पर फ्यूल प्रतिबंध 1 नवंबर तक स्थगित कर दिया गया है। वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। जो डीजल गाड़ियां 10 साल से पुरानी और पेट्रोल गाड़ियां 15 साल से पुरानी होती हैं। उन्हें EOL वाहन कहा जाता है। पहले जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को 1 जुलाई से दिल्ली में ईंधन नहीं दिया जाना था। अब इन्हें 31 अक्टूबर तक राहत दी गई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 3 जुलाई को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से ऐसे वाहनों के खिलाफ कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया था। दरअसल, CAQM ने अप्रैल में आदेश दिया था कि 1 जुलाई से पुराने वाहनों में ईंधन नहीं डाला जाएगा, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। ये नियम दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और सोनीपत में भी लागू होगा। दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) को लेटर लिखकर पुराने वाहनों पर ईंधन भरवाने की रोक को फिलहाल रोकने की अपील की है। ये जानकारी गुरुवार को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दी। दिल्ली सरकार ने मार्च में नए नियम की घोषणा की थी एक मार्च को पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा था कि जुलाई से 15 साल और उससे ज्यादा पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। एयर पॉल्यूशन को कंट्रोल करने के लिए दिल्ली सरकार ने यह कदम उठाया है। उन्होंने कहा था कि हम पेट्रोल पंपों पर गैजेट लगा रहे हैं जो 15 साल से पुराने वाहनों की पहचान करेंगे। ऐसे वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं दिया जाएगा। दिल्ली की हवा हर रोज 38 सिगरेट पीने जितनी नवंबर 2013 में दिल्ली में औसतन प्रदूषण का लेवल 287 AQI था। नवंबर 2024 में प्रदूषण का लेवल औसतन 500 AQI से ऊपर पहुंचा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2013 में एक व्यक्ति औसतन 10 सिगरेट जितना धुआं प्रदूषण के जरिए अपने अंदर ले रहा था। 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 38 सिगरेट तक पहुंचा। जब हम सांस लेते हैं तो हवा में मौजूद पॉल्यूटेंट्स भी हमारे फेफड़ों में समा जाते हैं। ये हमारी ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर सकते हैं और खांसी या आंखों में खुजली पैदा कर सकते हैं। इससे कई रेस्पिरेटरी और लंग्स से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी हो सकता है। कई बार तो यह कैंसर की वजह भी बन सकता है। अब लगातार नई स्टडीज में सामने आ रहा है कि इससे ब्रेन की फंक्शनिंग भी प्रभावित होती है। लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश ग्लोबल स्टडी के मुताबिक वायु प्रदूषण सबराकनॉइड हैमरेज (Subarachnoid Haemorrhage) यानी SAH की बड़ी वजह है। इसमें पता चला है कि साल 2021 में सबराकनॉइड हैमरेज के कारण होने वाली लगभग 14% मौतों और विकलांगता के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है। यह स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। एयर क्वालिटी इंडेक्स का क्या मतलब है? एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक तरह का टूल है, जो यह मापता है कि हवा कितनी साफ और स्वच्छ है। इसकी मदद से हम इस बात का भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसमें मौजूद एयर पॉल्यूटेंट्स से हमारी सेहत को क्या नुकसान हो सकते हैं। AQI मुख्य रूप से 5 सामान्य एयर पॉल्यूटेंट्स के कॉन्सन्ट्रेशन को मापता है। इसमें ग्राउंड लेवल ओजोन, पार्टिकल पॉल्यूशन, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड शामिल हैं। आपने AQI को अपने मोबाइल फोन पर या खबरों में आमतौर पर 80, 102, 184, 250 इन संख्याओं में देखा होगा। इन अंकों का क्या मतलब होता है, ग्राफिक में देखिए। दिल्ली में गाड़ियों से 12% प्रदूषण बढ़ा 2023-24 के इकोनॉमिकल सर्वे के मुताबिक, दिल्ली में करीब 80 लाख गाड़ियां हैं। इनसे सबसे छोटे प्रदूषित कण PM 2.5 निकलते हैं। दिल्ली के प्रदूषण में 47% PM 2.5 इन्हीं वाहनों से निकलता है। यह वाहन न सिर्फ हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं बल्कि यह धूल से होने वाले प्रदूषण की भी वजह बनते हैं। दिल्ली में 12% प्रदूषण इन्हीं गाड़ियों से बढ़ा है। ------------------------------------------- ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली में प्रदूषण के खात्मे के लिए कृत्रिम बारिश होगी, अगस्त-सितंबर में 5 ट्रायल होंगे दिवाली और सर्दी के मौसम में होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इसकी मंजूरी दी है। सरकार के मुताबिक, एक बार कृत्रिम बारिश कराने की लागत करीब 66 लाख रुपए होगी, जबकि पूरे ऑपरेशन का खर्च 55 लाख रुपए रहेगा। पूरी खबर पढ़ें...

Jul 9, 2025 - 00:33
 138  10.6k
पुराने वाहनों को 1 नवंबर से नहीं मिलेगा फ्यूल:दिल्ली सहित 5 शहरों में नियम लागू होगा; पहले 1 जुलाई से बैन लगना था
पुराने वाहनों को 1 नवंबर से नहीं मिलेगा फ्यूल:दिल्ली सहित 5 शहरों में नियम लागू होगा; पहले 1 जुलाई से

पुराने वाहनों को 1 नवंबर से नहीं मिलेगा फ्यूल: दिल्ली सहित 5 शहरों में नियम लागू होगा; पहले 1 जुलाई से बैन लगना था

दिल्ली में एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) या ओवरएज वाहनों पर फ्यूल प्रतिबंध 1 नवंबर तक स्थगित किया गया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय वायु गुणवत्ता आयोग (CAQM) की मंगलवार को आयोजित बैठक में लिया गया। इस फैसले का उद्देश्य वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना है, जो कि दिल्ली समेत अन्य शहरों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।

पुराने वाहनों की पहचान

जो डीजल गाड़ियां 10 साल से पुरानी और पेट्रोल गाड़ियां 15 साल से पुरानी होती हैं, उन्हें EOL वाहन माना जाता है। पहले निर्देशों के अनुसार, ऐसे वाहनों को 1 जुलाई से ईंधन नहीं दिया जाना था, लेकिन अब उन्हें 31 अक्टूबर तक राहत दी गई है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने 3 जुलाई को CAQM से अनुरोध किया था कि इन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई को रोका जाए।

प्रदूषण को कम करने के लिए उठाया गया कदम

CAQM ने अप्रैल में आदेश दिया था कि 1 जुलाई से पुराने वाहनों को ईंधन नहीं मिलेगा, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके। इन नियमों का गति को रोकने के लिए, दिल्ली सरकार ने एक पत्र CAQM को लिखा और पुरानी गाड़ियों पर ईंधन भरने की रोक को टाले जाने की अपील की। इस फैसले का दूसरा पहलू यह है कि इन नियमों का पालन केवल दिल्ली तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और सोनीपत जैसे शहरों में भी लागू किया जाएगा।

वायु गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य पर प्रभाव

दिल्ली की हवा की गुणवत्ता हमेशा एक विषय चर्चा रही है। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए, वायु गुणवत्ता के माप के लिए एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) एक महत्वपूर्ण टूल बन गया है। नवंबर 2013 में दिल्ली में औसतन AQI 287 था, जो अब तक बढ़ते हुए नवंबर 2024 में 500 AQI से ऊपर पहुंच गया है। यह सिद्ध होता है कि एक व्यक्ति अब औसतन 38 सिगरेट जितना धुआं प्रदूषण के जरिए अपने अंदर ले रहा है।

मोबाइल गैजेट्स की महत्वपूर्ण भूमिका

दिल्ली सरकार ने पेट्रोल पंपों पर ऐसे गैजेट लगाने की योजना बनाई है, जो 15 साल से पुराने वाहनों की पहचान करने में मदद करेंगे। यह कदम एयर पॉल्यूशन को कम करने में सहायक होगा। इस नई तकनीक से, केवल ईंधन भरने वाले वाहनों की निगरानी की जाएगी, जिससे प्रदूषण को सीमित करने में मदद मिलेगी।

संक्षेप में

दिल्ली में फ्यूल प्रतिबंध के फैसले को स्वास्थ्य संकट के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है। कई वैज्ञानिक अध्ययन में यह पाया गया है कि वायु प्रदूषण न केवल सांस और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का कारण बनता है, बल्कि यह कैंसर और मस्तिष्क के कार्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

इस प्रकार, इन आमूल-चूल परिवर्तनों के माध्यम से, दिल्ली सरकार प्रदूषण को कम करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है, ताकि शहर की हवा को बेहतर बनाया जा सके।

दिल्ली के नागरिकों को इस नई नीति के लागू होने से क्या बदलाव देखने को मिलेंगे यह भविष्य में देखने योग्य होगा। वर्तमान में, सरकार अपने नागरिकों की सेहत को प्राथमिकता दे रही है और यह आवश्यक कदम उठाकर एक स्वास्थ्यकर वातावरण बनाने का प्रयास कर रही है।

Breaking News, Daily Updates & Exclusive Stories - avpganga

Keywords:

Fuel ban, Delhi, EOL vehicles, pollution control, CAQM, environmental policy, AQI, air quality, health impact, government regulations

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow